पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३६

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जियोनी उजियाना-क्रि० स० [१० उज्जीवन, प्रा० उज्जवण, उज्जीय] उजीता--सज्ञा पुं० चाँदनी । प्रकाश । उजाला । उत्पन्न करना । पैदा करना । प्रकट करना। उजौर -सृज्ञा पुं॰ [ अ० वजोर ] दे० 'वजीर' । उ०—(क) पाप उजियार'G----सच्ची पु० [ मै० उज्ज्वल ] उजाला । प्रकाश 1 उ०— उजीर कह्यो मोइ मान्यो, धर्म सु घन लुटयौ । सूर०, १६४। (क) राम नाम मनि दीप धरु जीह देहरी द्वार, तुलसी (ख) खिज्यौ देखि पतिसाह को कियौ उजीर सुवोध --हम्मीर भीतर वाहिरेई जो चाहसि उजियार ।—मानस १।२१।। रा०, पृ० ५६।। क्रि० प्र०—करना । उ०--जोति अयन को कियो उजियार, जैसे उजुर--सज्ञा पुं० [अ० उच्च ] दे॰ 'उ' । उ०—चाकर ह्व उजुर कोऊ ओह सवार ।--सुर (शब्द०) । होना। कियौ न जाय, नेक पै कछू दिन उर्वरते ती घने काज करते ।- उजियार ७–वि० १ प्रकाशमान् । दीप्तिमान् । कातिमान् । भूपण में ०, पृ० ४० । उज्ज्व ल । उ०--( क ) जसे अचल महे छिप न दीया, तस । तस , उजू सच्चा पुं० [अ० वजू ] दे॰ 'वजू' । उजियार दिखावे हया ।--जायसी (शब्द॰) । २ चतुर । उजवा.-सुज्ञा पुं० [अ० उजुवा ] बैगनी रग का एक पत्थर जिसमें वृद्धिमा । उ०- प्रागै अाउ पखि उजियारा । कह सुदीप चमकदार छीटे पड़े रहते हैं। पतग किय मारा --जायसी (शब्द॰) । उजूवा--वि० [अ० उजुबह ] दे० 'अजूबा' । । उजियारना —क्रि० सं० [हिं० जियारा] १ प्रकाशित करना ।। | उजेणी,- उजेनी--सज्ञा स्त्री० [सं० उज्जयिनी, प्रा० उज्ज- २. वालना । जलाना । उ०-- सरस सुगधन सो आँगन सिचाई यिणी उज्जैणी ] दे॰ 'उज्जयिनी' । उ०--( क ) हाडा दुदी करपूर मय वातिन सा दीप उजियारती ।–व्यग्या (शब्द०)। का धरणी नग्न उजेणी अाई दीयो मैल्हाण ।-धीसले० स०, उजियारा' —संज्ञा पुं० [सं० उज्ज्वल ] [ स्त्री० उजियारी ] १ पृ० १८ । (ख) गयेॐ उजेनी सुनु उरगारी ।—मानस, ७ । उजाला । प्रकाश । चाँदना । उ०——देखि घरहर कर उजि- १०५ । । या । छिपि गए चाँद सुरुज श्री तारा ।—जायसी (शब्द॰) 1 बजेर--सच्चा पुं० [सं० उज्ज्वल 1 उजाला ! प्रकाश । उ०—- २ प्रताप गौर भाग्यशाली पुरुप । वश' को उज्ज्वल या गौर- मारग हुत जो अँधेरा सुझा, ६ उजेर सब जाना बूझो । वान्वित करनेवाला पुरुप । उ०—(क) तू राजा दुई कुल —जायसी (शब्द०)। उजियारा अस के चरच्यो मरम तुम्हारा। (ख) तेहि कुन उजेरना - क्रि० स० [हिं० उजेर से नान० ] दे॰ 'उजालना। रतन सेन उजियारा धनि जननी । जनमा अस बारा ।-- जायसी । (शब्द॰) । उ०—-पुनि कहि उठी जसोदा मैया उठहूं कान्ह रवि किरनि उजियारा G--वि० १ प्रकाशमान् । उ०—सैयद असरफ पीर। उजेरत ।--सुर०, १०४०५ । पियारा, जेहि मोहि पथ दीन्ह उजियारा । जायसी ग्र०, १० उजे T ----सच्चा पुं० [सं० उज्ज्वल ] उजाला । प्रकाश । ७। २ कातिमान् । द्युतिमान् । उज्ज्वल । उ०~-ससि चौदह उजेरा-वि० प्रकाशमान् । जो दई सँवारा । ताहू चाहि रूप उजियार । जायसी (शब्द०)। उजेरा-सा पुं० [ अव-उ= नहीं + जेर= रहट ] बैल जो हले उजियारी*---संज्ञा स्त्री० [हिं० उजियारा] १ चांदनी । चद्रिका । इत्यादि मे जौता न गया हो। ३०- माय सरद ऋतु अधिक पियारी। नव कुशार कातिक उजेला--मक्षा पुं० [सं० उज्वल ] प्रकाश । चाँदनी । रोशनी। उजियारी ।—जायसी (शब्द॰) । प्रकाश । रोशनी । उ०— उजेला.-वि० [स्त्री॰ उजेली ] प्रकाशमान् । -ौर नखत चहु दिसि उजियारी । ठाँहि ठाँव दीप अस यौ-उजेलो रात = चांदनी रात । उजेला पाखि = शुक्ल पक्ष । वारी --जायसी (शब्द॰) । ३ वश को उज्ज्वल करनेवाली उजोरा--सुद्धा पुं० [ १० उज्ज्वल ] प्रकाश । रोशनी । चाँदनी । स्त्री 1 सती साध्वी स्त्री। उ०----(क) माई में दूनो कुल उजि- उज्जुना –क्रि० स० [ स० उदय ] उदित होना प्रकट । होना । यारी । वाहू खसम नैह्रे खायो सोरह खायो ससुरारी ।-- उपस्थित होना। उ०-लाज सरस चहुमान जोग उज्जै जुर्घ कबीर (शब्द॰) । (ख) सो पदमावती तकरि वारी, मौ सव मुत्तम ।—पृ० रा० २६ । ५० । दीप माहि उजियारी ।—जायसी (शब्द॰) । उज्ज़यत सच्चा पुं० [सं० उज्जयन्त ] रेवत हैं पर्वत जो विध्य श्रेणी उजियारो-वि० प्रकाशयुक्त। उजेनी । उ०--कढुक रतन महल का एक भाग है [को०] । चिसारी सरद निसा उजियारी। बेटे जनक सुता सँग विल- उज्जयिनी --सज्ञा स्त्री॰ ] स ० ] मालवा देश की प्राचीन राजधानी । सत मधुर केलि मनुहारी।-- सूर (शब्द॰) । विशेष--यह सिप्रा नदी के तट पर है। विक्रमादित्य यहाँ के उजियाला-संज्ञा पुं० [हिं॰] दे० 'उजाला' । उ०--द्विज चहक बड़े प्रतापी राजा हुए हैं। यहाँ महाकाल नाम की शिव का उठे, हो गया नया उजियाला -“साकेत, पृ० २४५। एक अत्यत प्राचीन मंदिर है। उजिहिरा –वि० [सं० उज्ज्वल ] ज्योतिर्मय 1 प्रकाशयुक्त। उज्जर--वि० [ १० उज्ज्वल, श० उज्जल ] दे० 'उज्ज्वेन' । चमकता हुअा। उ०--हीरा मोती लाल जवहिरा । पान चढ़े उज्जल-क्रि० वि० [ स० उद्=ऊपर+जल=पान ] बहाव से पुनि देवू इजिहिरा ।--क्वीर सा०, पृ० ५५७ । उलटी शोर। नदी के चढ़ाव की ओर। भाटा का उनटा । सुजीता--वि० [ मुं० उत् +व्योति +प्रा० *उज्जइति> उजीता उजान । जैसे, यह नाव उज्जल जा रही है। अथवा उद्युति, प्रा० उज्ज) ] प्रकाशमान । रोशन । उज्जल -वि० [सं० उज्ज्वल, प्रा० उज्जल] दे० 'उज्जवल । उ०—