पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३३९

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कलेज कलेजा ६५३ वाक्यो की वर्षा करनी। लगती बात कहना। ताने मेहुने मारना । कलेजा छलनी होना = ३० 'कलेज दिना या विघना' । कलेजा जलना=(१) अत्यत दु ख पहुँचना । कृप्ट पहुचना । (२) बुरा लगना। अरुचिकर होना । कलेजा जलाना = दु ख देना। दु ख पहुँचाना । कलेजो जला देना= दे० 'कलेजा जलान' । उ०—क्या अजब, कृवि जलो भुना कोई । हैं कलेजा जला जला देता । -चौवे०, पृ० १० । कलेजा जली= दुखिया । जिसके दिल पर बहुत चोट पहुची हो। कलेज जली तुवकले = वह तुक्कल जिसके बीच का भोग काला हो। कलेजा टूटना या टुकड़े टुफ होना= जी टूटना । उत्साह भग होना । हौसला न रहना । कलेजा टूक टूक होना = शोक से हृदय विदीर्ण होना । दिल पर कड़ी चोट पहुँचना । कलेजा उठा करना = सुतोष देना । तुष्ट करना। चित्त की अभिलाषा पूरी करना । जैसे,—उसे देख मैंने अपना कलेजा ठळ किया। कलेजो ठा होना = तृप्ति होना । सतोप होना । अभिलापा पूरी होना । शांति मिलन।। चैन पडना । कलेजा तर होना = (१) कलेजे में ठठक पहुँचना । (२) धन से भरे पूरे रहने के कारण निद्वंद रहना । फलैजा यामना= दु ख सहने के लिये जी कड़ा करना । शोक के वेग को दवाना । कलेजा यमिकर बैठ जाना या रह जाना=(१) शोक के वेग को। दवाकर रह जाना । मन मसे सकर रह जाना । जैसे,जिस समय यह शोकसमाचार मिला, वे कलेज घामकर रह गए । उ०—(क) उस समय रवाना अशरते काशीना की तरफ नजर डाली तो महताबी पर उदासी छाई हुई । कलेजा थाम के बैठ गए ।-फिसाना०, भा० ३, पृ० ३२४। (ख) थाम कर रह गए कलेजा हम। कर गया काम श्रख को टोना ।--चोखे०, पृ० ४२ । (२) सतोय करना। कलेजा धाम यामकर रोना = (१) मसोस मसोस कर रोना । शोक के वेग को दबाते दवाते रोना । जी (२) रह रहकर रोना । कलेजा दहलना = भय से कपिनो । कलेजा धक धक करना = भप से व्याकुल होना । अाशका से चित्त विचलित होना । कलेजा धक्क घक्क करना दे• 'कलेजा धक धक करना' । उ०-अप जादै, मैं आप को रोक नही सक्ती, पर मैं व अभागिनी हैं, इसी से भरा कलेजा घेवक धक कर रहा है 1--३०, पृ० ५२ । कलेजर घक से हो जाना =(१) भय से सहसा स्तव्ध होना । एकवारगी डर छा जाना। उ०-हरिमोहन का कलजा धक से हो गया और उन्होंने लुटाती जीभ से कहा --प्रयोs (शब्द॰) । (२) चकित होना । विस्मित होना । 'भौंचक्का रहना । उ०--उसकी बुराई मुनते ही उसका कलेजा धक से हो गया |--मयोऽमा (शब्द॰) । फलेना घड़कना = (१) डर चे जी कोपना। भय से भ्याकुलता होना । (२) वित में चिता हैन । जी म चटका होना । कलेजा घट्ट पड़ फरना = दे० 'कले ना घडना' । ३०-दूसरा अफसर-फुलेजी र घड़ कर रहा है।-फिनाना, भाग ३, पृ० १०५ । मले। फना = (१) वर देना। भयभीद कर देना । (२) में डाल देना । कलेजा घेकडे पुरुङ होना = ३०'कलेजा धडकना। कलेजा निकलना (१) अत्यंत कष्ट होना। असह्य ने होना । खलना । (२) सार वस्तु का निकल जाना । हीर निकल जाना । कलेजा निकालकर दिय नाना = हृदय को बात प्रकट करना । उ०--कम नहीं है कमान कविया का । हैं। कलेजा निकाल दिखलाते -चोखे०, पृ० ६ । कलेजा निकाल घर देना= दे० 'कलेजा निकाकर रवना' । उ०-वैधने के लिये कलेजो को । हैं कलेजा निकाल धर देते ।---बोले०, पृ० ७ । कलेजा निकालना = ३० कलेजा काढ़ना' । कलेजा निकालकर रखना= अत्यंत प्रिय वस्तु समर्पण करना । सर्वस्व दे देना । जैसे,—यदि हम कलेजा निकालकर रख दें तो भी तुम्हें विश्वास न होगा। कलेजा पक जाना=कप्ट से जो ऊत्र जाना । दु.ख सहते सहुवै तग अा जाना । जैसे,---नित्य के लडाई झगडे से तो कलेजा पक गया । कलेजो पकडना = ३० 'कलेजा यामना' । कलेजी पकड़े लेना (१) किसी कष्ट को सहने के लिये जी कडा कर लेना (२) कलेजे पर भारी बोझ मालूम होना । जैसे—(क) बलगम ने क नेजा पकड़ लिया। (ख) मैदे की पूरियो ने तो कलेजा पकड निया । कलेजा पकाना = इतना दु ख देना कि जो जल जाय। नाक में दम करना । हैरान करना ! पत्यर का कलेजा = (१) कड़ा जी । दु:ख सहने में समर्थ हृदय । (२) कठोर वित्त । कजी पद पर फा करना=(१) 'मारी दु ख झेलने के लिये चित्त को दबाना । जैसे -जो होना था सो हो गया अब फलेजा पत्यर का करके घर चनो । (२) किं सो निष्ठुर कार्य के लिये वित्त को कठोर करना । जैसे,—-पत्थर का कलेजा करके मुझे उम निरपराध को मारना पडा। कलेजा पत्थर का = होना (१) जी का होना । जैसे,—उसका दु छ सुन कर पत्थर का कनेजा भी पानी होता था। कलेजा फटना=(१) किमी के दुख को देखकर मन में प्रत्यन कप्ट होना । जैसे,--) दुखि माँ का रोना सुनकर कलेजा फटता या । (ख) कि को चार पैसे पाते दु ख तुम्हारा कलेजा क्यों फटar है। कलेजा फूलना = मानदिन होना । फून मुह से झड़े किसी कवि के, है कलेजा न फूलता किसका ।-चोखे०, पृ० ८। कलेजा बढ़ जाना=(१) दिल बढ़ना । उत्साह और अनद होना। हौस होना । उ॰--चढ़ गए चाव चिहा गया चढ़ बढ़ । व गए बढ़ गया कलेजा है।--चो०, पृ० २३] फलेजा बांसों, बत्नियों या हायो उछलना=(१) अानंद से चिदा प्रफुल्लित होना । मानद की उमन में फूलना। उ०---में। कलेजा दुनियों उछलाता है। मरी बरसात के दिन हैं। कहीं फिसल न पड़े तो कहकर उडे ।—फिसाना०, भा१, १० १। (१) भय या प्राश का से नी धक धक के ना । कलेजा बैठा जाना= भय या शिथिता से चित्त का सागू पौर कुल होना । क्षीणता के कारण शरीर और मन की शक्ति का मंद पड़ना । कलेजा भरना= तृप्त होना । अघा जाना । उ4--- प्यार में किसको लेना है ना |--चो३०, पु० १०-- ।।