पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३२७

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फलमा छरी । चाकू । २. ( कहारो और हाथीवान की बोली में} कलम कराना= कटवाना । उ---कलम रुकै तो कर कलमें कराइये ।--(प्राब्द०) । कलम घिसना कलम चलाना । । अरहर की खुटी । । उ०—आखिर वलम घिसने से पहले ही जीभ चलाने की कलमदान- सल्ला पुं० [अ० कलम+फी वान] काठ का एक पतली विद्या सखी थी ।—-किन्नर०, पृ० २१ । । । | लवी सदूक जिसमें कमल, दावत, पेंसिल अाफू अदि रखने के ३ वह पौधा जो कलम लगाकर तैयार किया गया हो । खानें बने रहते हैं । उ०—अपनी लेखनी को मानंद के कलम५ वे छोटे बाल जो हजामत बनवाने में कनपटियों के पास दान विश्रामालय में स्थान दिया ----प्रेमघन॰, भा॰ २, छ५ दिए जाते हैं । पृ० ४५८ ।' क्रि० प्र०-कादेना ।—छाँटना |---बनाना ।—रखना। मुहा०-कलमदान देना= किसी को लिखने पढ़ने की कोई नौकरी ५. एक प्रकार की वशी जिसमे सति छेद होते हैं । ६ वालो की | कुची जिससे चित्रकार चित्र बनाते या रग भरते हैं । कलमना -क्रि० स० [हिं० कलम छाटना। दो टुकड़े करना । यौ०–कलमकार । उ०----तव तमचरपति तमकि कह्यौ घरि घरि हरि खाहू । ७. शीशे का काटा हुप्रा लश टुकड। जो झाड में लटकाया जाता मिलि मारो दोउ इंघु बैंक कपि कलमत जाहू-रघुनाथ है। प्रोरे, नौसादर अदि का जमा हुआ छोटा लवा (शब्द॰) । विशेष—यह प्रयोग अनुचित र भददा है। टुकड़ा। रवः। ६ छछुदर । फुलझडी ( अतिशबाजी ) । १० सोना या संगतराशो का एक औजार जिससे वे वारीक | कलमवद–वि० [अ० कलम + ४० बव| लिखित । लिपिवद्ध । कलमबद-सुज्ञा पु० चित्रकार की कूची बनानेवाला कारीगरे । नक्काशी का काम करते हैं। ११. मुहर बनाने वालो का वह कलमरिया—सा जी० [पुर्त०] हवा का वद ही जाना ---(लश०) मौजा जिससे वे अक्षर खोदते हैं। १२ किसी पेशेवाले का कमल-सज्ञा पुं॰ [अनु॰] कुलबुलाहट । कसमसाट । । वह औजार जिससे कुछ काटा, खोदा या नकाशा जाय । १३ । महा०—कलमल कलमल करना= व्याकुल होना। व्यथित होना। शैनी । पद्धति । जैसे, राजपूती कम । १४ लेखनकौशले । उ०---पिय मूरति जु अनि दर अरे । कामिनि कलमल कलम्'चा पुं० [सं०] १. वह धान जो एक जगह बोया जाय और कलमेल करे ।-नद ग्र०, पृ० १३३ । | सुखाकर दूसरी जगह लगाया जाय । जईहेन । सन कलमगोपवघक मलखु–सज्ञा पुं० [सं० कलिमल] कल्मष । पाप । उ०—मए यो०-फलमोत्तम = बहुत अच्छा महीन घान । कलमगोपघु के मलपु'सच्चा पु० [सं० कालम ल] कल्मष कलमले दूर तन के, गई तपने नसाय हो !-—घेरनी० १० ३। कलमगोपी = धान के खेतों की रखवाली करनेवाली स्त्री । कलमेलना -ऋि० अ० [अनु॰] दाब या अरसे से पहने के २ लेखनी (को०)! ३ चोर (को०)। ४. दुष्ट । वदमाश (को०)। कारण अगों का इधर उधर हिलना होला । कुलबुलाना । कैलमक, कलमक्क संच्चा पुं० [फा०] एक प्रकार की अंगूर जो ' उ०—(क) चिवकरहि दिग्गज डोल महि अहि कोल कूरम बलूचिस्तान में बहुतायत से होता हैं। कलमले |--तुलसी (शब्द०) । (ख) चौंके विरंचि शकर कलमकेसाई–सश्च पुं० [हिं० कलम +अ० कसाई] कठोर लिखने- ।। सहित, कोल कमठ अहि झलमल्यो ।—तुलसी (शब्द॰) । वाला । क्रूरतापूर्वक लिनेवाला ।। | कलमलाना--क्रि० अ० [अनु॰] दाव या अंडस में पकड़ने के कलमकार- सच्चा पुं० [फ०] १ चित्रकार । चित्रो में रग भरनेवाला ।' कारण अगों का इधर उधर हिलना औलन । कुलबुलाना । ३, एक प्रकार का बाफता ( कपडr ) जिसमें कई प्रकार के | बेलबूट होते हैं । उ०—भूमी भय कलमसात डगमग अकुलाई ।--संत तुरसी०, | पृ० १५२। कलमकारी-सच्चा औ• [फा०] १. कलम से किया हुआ काम । जैसे,| नक्काशी, बेलवडा अादि । कलमस---सञ्ज्ञा पुं० [सं० कल्मष दे० 'कल्मष' । उ०—जह उन्मत्त कलमकीली-सुज्ञा स्त्री० [अ० कलम+हि० कौली } कुश्ती का एक समान होइ विचरत गत व लमस 1-भारतेंदु १०, मा० ३, १० ४२५।। पेंच । कलमा--सुज्ञा पुं० [ म कलिमह,] १ वाक्य । वात् । २ वह वाक्य विशेप---इसमें विपक्षी के सामने खड़े होने पर अपने दाहिने हाथ । जो मुसलमान धर्म का मूल मंत्र है-'ला इलाह इल्लिल्लाह, की गलियों से उसके बाएँ हाथ की उंगलियों में पजा गठकर महम्मद उर् रसूलिल्लाह' । वृ०-चारो वर्ण धर्म छोडि कनमा अपने दाहिने हाथ को उसके पजे के सहित अपनी गरदन पर निवाज पढ़ि, शिवाजी न होते तो सुनति होति सब की । लाते हैं और मानी दाहिनी कोहनी उसकी बोई कलाई से ऊपर भूपेण (शब्द॰) । लाकर नीचे की और दवाकर उसे चित कर देते हैं। कलमख७--संज्ञा पुं० [सं० कल्मष] १ पाप । दोष । २ . फलक । मुहा०----कलमा पढनी= मुसलमान होना । किसी के नाम का कलमा पढ़ना = किसी व्यक्तिविशेष पर अत्यत श्रद्धा या प्रेम लाछन । दाग 1 धब्बा । उ०—विमल ज्ञान प्रगटै तह कलमख छोरे खोय |---दरिय० वानी०, पृ० १३ । । - रखना । कलमा पवना = मुसलमान करना । कलमा भैराना= लमजद-वि० [अ० कलम+फा० जद ] कलम किया हुमा । कटा । इस्लाम धर्म के प्रति प्रेरित करना । --दिल्ली वादिसा दीन अाप के मिलाया । फलमr prग मशि + : कालमतराश-सज्ञा पुं० [अ० झलम* फ़ा० तराश