पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३२५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

कठिीरा c६३१

केलेपवच्छ

कलठ-सच्चा पुं० [हिं० काला+ठों] कलचोंचा कबूतर।

  • ४. अधीनता। वर्षयता (को०) ।५. बोध । प्रत्यय-ज्ञान कुलत--वि० [सं०] गंजा । खल्वाट [को०] ।

- (को०)।६. धारण करना (को०)।७, परित्याग । मोचन(को०)। कलतूलिका–स वी० [सं०] कुलटी । पुश्चली (कौ] । कलना -क्रि० स० • [हिं० करना] करना 1 किसी कार्य को कलत्र--सज्ञा पुं॰ [सं०] [खौ० कलवान्, कलत्री] १ स्त्री । पत्नी । करना। उ०—करि : कक सुक असुरनि उर कहर वत्त वा उ०—किसकै माँ बाप और किसके पुत्र कलत्र, कोई किसी को दिन कलिय -पृ० रा०, २.। २८५। , , नहीं ।---श्यामा०, पृ०१२। २. नितव । ३ दुर्ग । किला। कलनाद-संज्ञा पुं० [सं०] १. मधुर ध्वनि ! २. हुस को०] । । - 3 . ४ सात की संख्या का सूचक शब्दं । । कलनाद्र- वि० मधुर ध्वनिवाला । जिसकी आवाज मीठी हो[को०] । कलत्रगहि सैन्य-सज्ञा पुं० [सं०] परिवार के वशीभूत सेना। वह कलनादी-वि० [स० कलनादिन् कलकल ध्वनि करनेवाला । । सेना जो परिवार (पुत्र कलत्र) की चिंता में डूबी रहे। 'उ०—मीन, औरगुल को केव्रते हुए सत्र,उसी कलनादी स्रोत ... विशेप-कौटिल्य ने यद्यपि ऐसी सेना को ठीक नहीं कहा है, तथापि में कूद पडे ।-आकाश, दी० पृ० ३७]:.:.., , -अत शल्य (शत्रु से भीतर भीतर मिली हुई) सेना से अच्छी कलप -सज्ञा पुं० [हिं०: कैलपना] व्याकुलता । छटपटाहट। " कहा है। उ०—तन विह्वले दुख तलफ, कलप उपजे निज काया ।कलत्यना- क्रि० अ० [सं० कलह, छटपटाना। दुखी होना। ; रा००, पृ॰ ३३७ }; । - । ' उ०---उत्थे पलत्यै कलत्य करा--पद्माकर प्र :,पृ० ११। कुलप-संश्च पुं० [सं० कन्प= रघुना] १ कलफ । उ०- छुटैमल कलुथरा संज्ञा पुं॰ [देश॰] करघे की चक नामक लकडी । | दाग नाम का कलप लगावं ।—पलटू०, भा० १, पृ० ४। कलया*–वि० दे० 'चक' : ।। २. विजावे । । । । । । । । । कलदार'--वि। [हिं० कल+फा० दार (प्रत्य॰)] जिसमें कल कलप-सच्चा पुं० [सं० कल्प] दे० 'कप' । उ0--कोटि कलप नगि | लगी हो । पेचदार। | " तुम प्रति प्रति उपकार करी जो। हेमनहरनी तरुनी उन ने कलदार--सा पुं० वह कृपया जो टकसाल की कुल में बना हो । होत्रं तव तौ ।-नद अ6, पृ० २१ । सरकारी रुपया ! राजकीय रुपया । कल्पतरु-मज्ञा पुं० [सं०. कल्पतर] दे॰ 'कल्पतरु' । चु०-चाह कलदुमा-वि० [हिं० काला+फा० दुम+हि० मा (प्रत्य॰)] अलिवाल और अचाह के कुलपत, कीरति मयक प्रेमसागरी | काली दुम को 1 काली पूछ का ।।

अपार है!-घनान्द०, पृ०,१३१ । । " कलदुमा संज्ञा पुं॰ काली दुम का कबूतर ।

कलपत्तर-सज्ञा पुं० [सं० कृल्पत],एक पेड जो मिले और जौनसार कलचूत-सच्चा पुं० [स] चाँदी ।। की पहाडियो मे अधिक होता हैं। कलभूत संज्ञा पुं० [सं० कलौत] दे॰ 'कलधौत' । उ०-~-लघुत विशेष--इसकी लकड़ी सफेढ़ और मजबूत होती है जो मकानों , मे लगती है, तथा खेती के सामान बनाने के काम में आती है। कलस दस गढित हुथ्य । उचे कुडि जन न्हीन सय्य ---पृ० । ' रा०, १४ । १२३ । । । कुलपद्र म —सुज्ञा पुं० [सं०., कुल्पद्रुम] दे० 'कल्पद्रुम' । उ०— एक कई कनपट्टम है इमि पूरत है सवृकी चित चाहे ।मुपण कृलचौत सी पुं० [सं०] १ सोना। उ०—केतिक ये कुनघौत के ग्र०, पृ० ५० । . _ घाम करील के कुजन ऊपर वारी ।-रसखान (शब्द॰) । . ? कलपना--क्रि० अ० [सुं०. कल्पना =उजूावना करना (बु व को)] २ चाँदी । ३ सृदर ध्वनि ! | ..विलाप करना । दिलखना। दुख की बात सोच सोच, या कलध्वनि'- सच्चा स्त्री० [सं०] मधुर ध्वनि । कोमल आवाज सुरीली कह कहकर रोना । जैसे,—अब रोने, कलपने से क्या होगा । - * अवाज । उ०नेकु.तिहारे निहारे विना कल जिम क्यो पल :घोरङ्ग कुलध्वनि-सा पुं० १ कबूतर। १, मार [को०] । • लेखों। नीरजनैनी के नीर भरेकित नीरद से द नीरज कुलध्वनि-सा स्त्री०-कोयल को०] ! देखों --पद्माकर (शब्द॰) । 1. २. कल्पना करना। कुलून संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि० कुलित] १. उत्पन्न करना । बनाना । कलपना@---संज्ञा स्त्री० [सं० कृल्पना]दे० 'कल्पना' । उ०—माया । लगाना । सुजाना। २. धारण करना । होना । ३. अचरण । मोह भरम की मोठरी, यह सर्व काल कल्पना ।-धरनी, { ; ४. लगाव। संबध । ५. गणित की क्रिया । हिसाव । जैसे,- " १ ० २८ ।'*- * ।। सकलन, व्यवकलन । ६ ग्रास । कौर। ७- ग्रहण । ८. शुक्र कुलपना -क्रि० स० [सं० कर्तन, कल्पन, प्रा. कप्पण और शोणित के योग का वह विकार जो गर्भ की प्रथम काटना । कतरना। उ०—हीं रनयभउंर नाह हमीरू। कंलपि रात्रि में होता है और जिससे कवल बनता है । ६ वेंत। माय वेई दीन्ह सरोहा—जायसी (शब्द॰) । १०. घन्वा (को०)। ११. दोप । अपराध (को॰) । कलपनी--संश ली० [सं० कल्पनी] करनी । कैची -(हिं०) । कलना-चज्ञा स्त्री० [सं०]१. गणना। हिसाव । उ०——देव सृष्टि की कलपवच्छ -सी पुं० [सं० कल्पवृक्ष] ६० 'कल्पवृक्ष' । उ०--- | सुख विभावरी, ताओं की कृलना थी ।-फामयिनी, पु० ८। । मलपवृक्छ ष सुनिय सडल' चिवनि फलदायक ।-नंद . २. पादान । अहण (२) । ३. यदा। उपद कुरा )। = लुपद मण, | । । ।