पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३२

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उच्छवासी उछार उच्छवासी--वि० [अ० उच्छ्वासिन्] [वि० ख० उच्छृङ्गासिनो] १ है । २ झटके के साय एकवारगे। शरीर को क्षण भर के किये। साँस लेनेवाला । २ ग्राह भरनेवाला ! ३ मरने, विलीन होने इस प्रकार ऊपर उठा लेना जिसमें पृथ्वी का लगाव छुट जाये । या मुरझानेवाला (को०)। रुकनेवाला (को०)। अागे आनेवाला कूदना । जैसे—उस लड़के ने उछल कर पेड़ से फन तोड़ लिया। (को०) । विभक्त (को॰) । विशेप-प्रत्यत प्रसन्नता के कारण भी लोग उछते हैं। जैसे, उछक -सज्ञा स्त्री० [सं० उत्सग, प्रा० उच्छग] दे॰ 'उत्सग' । देटी यह बात सुनते ही वह खुशी के मारे उछल पड़ा। राजा मोज की उठइ उछकि लेई अकमय ---वी० रासो, ३ अत्यंत प्रसन्न होना। खुशी से फूना । जैसे, अब में उन्होंने यह | पृ० ५० । खबर सुनी है तभी से उछल रहे है । ४ चिह्न पडना । उछग-सच्चा पु० [सं० उत्सङ्ग प्रा० उच्छग] २ गोद । कोड । कोरा । उपटेन। उ भड़ना । जैसे, (क) उसके हाथ में जहाँ जहाँ वेत उ०—(क) स्तुति करि वै गए स्वर्ग को अमय हाथ करि दीन्हो, लगा है, उछल आया है। (ख) तुम्हारे माथे में चदन उछला बघन छोरि नदवालक को ले उछग करि लीन्हो ।—सूर (शब्द०) नही । (ग) इम मोहर के अक्षर ठीक उछल नहीं । '३०--बैठ (ख) जननी उमा वोलि त लीन्ही, लेइ उछग सुदर सिख मेंबर कुच नारंग लारी, लगे नख उछरै रग धारी 1-जायसी दीन्ही । तुलसी (शब्द०)। २ समीप । प्रतिनिकट । उ०- (शब्द०)। ५ उतरना । तरना। उ०---(क) चोर चुराई जानि कुअवरु प्रीति दुराई, मखि उछग वैठीं पुनि जाई ।--- तू वडी गाडी पानी माहि । वह गाडे ते ऊष्ठले यो करनी छपनी मानस १६८। ३ हृदय । नाहि । कवीर (शब्द॰) । (ख) व विन काज बुडि बुडि मुहा०—उछग लेना = अागिन करना 1 हृदय से लगना। उ० उछत वह बड़े वस विरद वडाई सो वडायत । निधि है। —-मैं हारी त्यो ही तुम हारो चरन चापि स्रम मेटौंगी । निघान की परिधि प्रिय ग्रान की सुमन की अवधि बृपभाने की सूर स्याम ज्यों उछग लई मोहि त्यो मैं हू हैसि मैटौंगी।--- लड़ायती ।--देव (शब्द॰) । उछलवाना--क्रि० स० [हिं० उछलना का प्र० रूप ] उछालने में सूर० १० ११४७ । | प्रवृत्त करना। उछछल -वि० [सं० उत् + चंचल = उच्चवल उछलनेवाला। उ०- उछला----वि० [हिं० उयला] उयला । छिछला 1 कम गहर। | अलवेला सु उछछला ग्रन नी अब नदा ।--पृ० रा० २५॥५३६ । उछलाना-क्रि० स० [हिं० उछालना का प्र० रूप] दे० 'उछलवाना' । उछकना--क्रि० अ० [ हिं० उचकना, उझकना= चौंकना ] उछलित-- वि० [सं० उच्छलित ] दे॰ 'उच्छलित' । ३००-प्रति चौंकना । चेतना । चैत में माना। उ०—डर न टर, नीद न रस मत वदत नहि काहू उछलित रस वैसा । --भारतेंदु परे, हरे न काल विपाकु, छिनकु छाकि उछ न फिरि खरौ । ग्र ०, भा॰ २, पृ० ५३२। विपद् छवि छाक ।-विहारी र०, दो० ३१८ । उछव --सच्चा पुं० [सं० उत्सव, प्रा० उच्छव] दे॰ 'उच्चव' । उ०— उछक्का -वि० पुं० जी० [ हि० उचकना ! १ जगह जगह उछलता प्रथम जामि निसि रज्ज़ कज्ज है गै दिप्पत लगि, दुतिय जाम फिरनेवाला। २ कलटा । दुश्चरित्र । सगीत, उछव रस कित्ति काव्य जगि t---पृ० १०, ६ । ११ । उछटना-क्रि० अ० [म० उत् + चाट्या/चल्] छूटना । गिरना। उछट्टना-क्रि ० अ० [हिं० उछाह से नाम०] दे० 'उछलना' । उ-- छटककर गिरन । उ०-हैजाम हुज्ज़ सिर उच्छटी, वीजलि जत गरल कठ दीसदृति वीय, जिम चित प्रगट सोसार नीय। के अबर अरी। क्रनान मजि पु परि पला, मही अग्गि उछटी सारग उछह तिन पान पानि, दिव तुग जाल जव जवनि परी -पृ० रा०, १२ । १४८। मानि ।--पृ० १०, ७ । ६ ।। उजग--सच्चा पुं० [हिं० उछाह उत्साह । उमग । उ०—संग्रत उछाँट--सज्ञा पुं० [सं० उच्चाट] दे॰ 'उजाट'। उ०--जिस वक्त जली झलहल नप साग, अष्ट निकट गायण उछरगे ।-रा० आदमी का दिल उछाँट होता है उम वक्त उनको किसी की ९०, पृ० १८ ।। वात अच्छी नहीं लगती ---श्रीनिवास ग्र०, पृ० ५८ ।। उछरनाG-झि० अ० [सं० उच्छलन] दे० 'उछलना' । उ०---जमत उछाँटना-क्रि० स० [सं० उच्चाटन, हि० उबटना] उचाटना । उडत ऍडत उछत पैजनी वजावत ।--प्रेमघन॰, भा० १ उदासीन करना । विरक्त करना । उ०--हर किशोर ने पृ० ११।। हरगोविद की तरफ से अापका मन उछाँटने के लिये यह उछरना--क्रि० स० [हिं० उछाल+ना (प्रत्य॰)] वमन या तदवीर की हो तो भी कुछ आश्चर्य नही !----परीक्षागुरु उल्टी करना। (शब्द०)। २ उखाडना । उराटना । उछल कूद- सज्ञा स्त्री० [हिं० उछलना+कूदना] १. वेलकूद । २ उछाँटना -क्रि० स० [हिं० छौटना] छटना । चुनना । उ०-- हलचल । अधीरतः । चचलता । अकिल अरग सो ऊतरी विधिना दोन्ही वाँटि, एक ग्रभागी रह मुहा०- उछल कूद करना = वेग और उत्साह दिखाना । बढ़ गया एक न लई उछोटि-कवीर (शब्द॰) । बढकर बातें करना । जैसे,-हुत उछल कूद करते थे, पर इस उछार —स्त्री० पुं० [सं० उच्छाल] सहसा ऊर उठने की क्रिया। ममय कुछ करते नहीं बनता। उछाल । २ ऊपर उठने की हद । ऊँचाई जहाँ तक कोई बस्तु उछलना-क्रि० अ० [सं० उच्छलन] १ नीचे ऊपर होना । वेग से उछल सकती है। ३ ॐवाई। उ०—-पक लेख योजन भानु ऊपर उठना और गिरना। जैसे-समुद्र का जल पुरसो. उछलता ते, है शशि लोक उछार 1 योजन अडतालिस सहस में ताको