पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३१०

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कर या+ करौंदा । करैया --वि० [हिं० करनी+ऐया (प्रत्य॰)] कर्ना। करनेवी वा । करोत-सज्ञा पुं० [सं० फरपत्र, प्र० करवा] लकडी चीरने कार्य करनेवाला । उ०—ब है कोई लाखों, करैया कोई एक है। औजार ।— रा । उ०—जात न उठि लपटात सु%ि, कठिन •--कवीर मा०, भा० १, पृ० १० । प्रेम की बात । सूर उदो करोत सम, चीरि किया विवि करेल-सज्ञा स्त्री० [हिं० कारा, काला] १ एक प्रकार की काली मिट्टी गते । भद० प्र०, पृ० १४३ ।। जो प्राय तालों के किनारे मिलती है । | करोदना.—क्रि० स० [सं० फर्तन, हि० कुरेदना] स्वरोचना । विशेष—यह बहुत कडी होती है, पर पानी पहने पर गलकर पुरचना । करोना । उ०---मिहिर नज़र सो भावते रामु याद लसीली हो जाती है । इससे स्त्रियf सिर साफ करती हैं । भरि मद । अनखन खनि अनखन अरे मत मो मनहि फरोद। –सनिधि (शब्द॰) । कुम्हार भी इसे काम में लाते हैं । करोघf-सा पु० [सं० क्रोध ३० 'कोध' । उ॰---जीत पनि २ वह भूमि जहाँ की मिट्टो करेल या काली हो। अहार की दूजे और करोध । वह मनुष्यो क स ग तजि छाँदै करेल?--संज्ञा पुं० [सं० करीर] १ वाँस का नरम कल्ला या अँखुमा ।। प्रीति विरोध ---तेज०, पृ० १५.६ । २ रोम ।। करोना - क्रि० स० [सं० सुरण = खरोंचना] १ खुरचना । करेल-सज्ञा पुं० [हिं० करेला] ३० 'करेला' । खसोट न । उ०—लाल निठुर वं वैठि रहे। प्यारी हाहा करेली-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० करेली दे० 'करेली। करति न मानत पुनि पूनि चरन गई । नहि वोलत नहि करेली मिट्टी-सच्चा औ॰ [ हि करल+मिट्टी] दे० 'करेल' । चितवत मुख तन धरनी नखन करोवत 1- सूर (शब्०)। करोट-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० करवट] दे० 'करवट' । २ पके हुए दूध या दही का अश जो पेंदी में जमा रहता है। करो-प्रत्य० [सं० कृत(किर] की । उ०-- तान्हि करी पुत्र अौर जिसे सूरचकर निकालते हैं । ३ लोहे या पीतल फा युवजिन्हि माँझ पवित्र कौति०, पृ॰ १२ ।। वना खुर्गी के आकार का औजार जिससे बुरचते हैं। करोट'–स पुं० [सं०] [स्त्री० करोटी] खोपडे की हडडी । खोपडा । करोनो–समा स्त्री॰ [हिं० करोना] १ पके हुए दूध या दही को वह करोट ---सच्चा पुं० [हिं० करवट दे० 'करवट' । उः--जागत अश जो वरतुन में चिपका रह जाता है और खुरचने से जाति राति सबै काटी । ले करोट सेज की पाटी ।--कृतला निकलता है । २. खरचन नाम की मिठाई । ३ लोहे या पीतल पृ० १०८ । का बना हुमा खुप के मामार का एक औजार जिससे दूध बसौंधी झादि कहाही में से छरची जाती है । कराटने---सच्चा पु० [अ० क्रोदन] १ वनस्पति की एक जाति जिसके कशेर(+-वि० [हिं० फोड] दे० 'कोड' । उ करुना कार अतर्गत अनेक पेड़ और पौधे होते हैं । किसोर की रोर हरन बरजोर ! अष्ट सिद्धि नव निदि जुत विशेष--इस जाति के व पौधों में मजरी लगती है और फलों करत समृद्ध करोर ।--स० सप्तक, पृ० ३४४ । । में तीन या छह वीज निकलते हैं । इस जाति के कई पेड दवा करोला'+--सधा पुं० [हिं० फरवा] करवा। गड, । उ०—(क) के काम में भी आते हैं और दस्तावर होते हैं। रेडी और लसत अमोले कान के करोले । भरे सुरभि जल घरे अतोले । जमालगोटा इसी जाति के पेड़ हैं । रघुराज (शब्द॰) । (ख) थार कटोरे कनक करोले । चिमचा २ एक प्रकार के पौधे जो अपने रग विरगे और विलक्षण प्रकार प्याले परम अमोले ।--रघुराज (शब्द०)। के पत्तो के लिये लगाए जाते हैं। करोला- सुज्ञा पुं॰ [देश॰] मालू । रीछ ।—(हि०)। करोटी-सच्चा स्त्री० [सं०] खोपड़ी । करौछा--वि० [हिं० कारा, फाली+छा (प्रत्य॰)] [त्री करोटी*--सच्चा श्री॰ [हिं० करवट] दे० 'करवट' ।' उ०--एक करौंछी] काना । श्याम । उ०—केसर सो उवटी अन्हवाई दिना हुरि लई करोटी सुनि हरषी नैदरानी । विप्र बुनाइ चुनी चुनरी चुटफोन सो कोठी । बेनी जु मगि भरे मुकता वडी स्वस्तिवाचन करि रोहिणि नैन सिरानी ।—सूर (शब्द॰) । बेनी सुगध फुलेल तिलोछी । मोचक माए वे रोम उठे लखि करोडी-नि० [सं० कोdि] सौ लाख फी सख्या जो अफी में इस प्रकार मूरति नदलला की करोछी । भोलि है कह्यो अली री ते हा लिखी जाती है—१०००००००। देह गुलाल की पोती सो पोछी ।--बेनी (शब्द॰) । मुहा०—करो की एक = बहुत सी बातों का तत्व । यथार्थ तत्व । करौजी- सच्चा ली[सं० कालाजाजी] कलौजी । मैंगरेला । ३० बड़े अनुभव की बात । जैसे,—इस समय तुमने करोड़ की | काय करौंजी कारी जीरी। काइफरो कुचिला कनकीरी --- एक कही ।। सुदन (शब्द॰) । करोडखुख-वि० [हिं० करोड़+स्वख] झूठमूठ लाखों करोड़ों की बात कौंट- सच्चा सौ० [हिं० करवट] दे० 'करवट' । | होकनेवाला। झूठा । गप्पी । करौदा-सुवा पु० [सं० फरमदं, प्रा० करमद्द, करवंद] १ एक करोड़पति–वि० [हिं० करो+से पति] करोड़ो रुपए का स्वामी । कदीला झाड । वह जिसके पास करोड़ों रुपए हो । बहुत बड़ा धनी। विशेष—इसकी पत्तिय नीबू की तरह की, पर छोटी छोटी होती करोड़ी-सच्चा पुं० [हिं० करोड़+ई (प्रत्य॰)] १. रोढ़िया । वह्वील हैं । इसमें जूही की तरह के सुफेद फल लगते हैं-जिनमे भीनी दार 1 २. मुसलमानी राज्य का एक अफसर जिसके जिम्मे कुछ। भीनी गच्च होती है। यह बरसात में फूलता है। इसके फूल वहसील रहती थी । ३. करोड़पति । अत्यत धनी । छोठे बेर के बराबर बहुत सूदर होते हैं जिसका कुछ भाग बूब