पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३०४

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फरार ६६ कराही क्रि० प्र०—पाना= निश्चित होना । ठहरना। तै पाता । जैसे, विशेष—इसमे तीन भघात झौर दो खाली होते हैं। इसके पबउन दोनों के बीच यह वात करार पाई है। वज के बोल ये हैं----+ १०२० +धा केटे तुता केटेताम् करार - वि० [सं० कराल] दे० 'काल' । उ०---भिर दूऊ गदि धेने नागदेत । धा ।। भार तुटे वगतार, अकथ्यं करार कहै देव पार ।-पृ० रा०, काला--संज्ञा स्त्री० [सं०] अनंतमूल । सारिवा । भीषण या भयकर २४ । १७१ । रूपवाली । २ दुर्गा ! चडी (को०)। करार -सज्ञा पु० [हिं० करारा = फौ] दे० 'करारा' । उ०— करालिक-सज्ञा पुं० [सं०] १ वृक्ष । २. तलवार [ये] । प्रति समय दोल्ले करार सुभ कहिय पुर्व गनि । अगिनि। करालिका--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] दुर्ग 1 चडी । कोन रिपु मरन पथिक अवइ दहिन मनि ।—अकवरी० कराली-सच्चा वी० [सं०] अग्नि की सात जिह्वीप में से एक। पृ० ३२६ ।। कर ली- वि० ४ावनी । भयावनी । उ०—परम कराली दूरी करारना —क्रि० अ० [अनु० । स० करट] क क शब्द करना। कौवे का बोलना । कर्कश स्वर निकालना । उ०—राधे भूलि लबवान जिन केश । सहसेन महा पिशाचिका देखि परी तेहि रही अनुराग । तृरु तरु रुदन करत मुरझानी दूढ़ि फिरी बन देश ।-रघुराज (शब्द॰) । वाग । कुवरि ग्रसित श्रीख अहि भ्रम चरण शि नीमुख कवि--सञ्ज्ञा पुं० [हिं० फरका] १ एक प्रकार का विवाह या लाग। वाणी मधुर जानि पिक वोलत कदम करारत काग । | सगाई । वैठावा। २ विधवा स्त्री से किया जाने वाला विवाह । सूर (शब्द॰) । करावना--क्रि० स० [६० करना] दे० 'करवाना' । उ०—अत्र ही करारा--सज्ञा पुं० [सं० कराल =उँचा या हि० कट = काटना+सं० तो तोलो पागे सेवा करावनी है ।—दो सौ वावन०, भाग० १, आर = किनारा] १ नदी का वह ऊँचा किनारा जो जल के पृ० २२७ ।। काटने से वने । उ०--जघन सघन जु भयानक भारे 1 महानदी | करावन--वि० [हिं० करना] करानेवाला। करवानेवाला । के जनु कि करारे ।—नद ग्र 2, पृ० २३६ । २ ऊँचा किनारा । उ०•-जग जीवन घट घट वसे करने करावन सोय --केशव० ३ टोला । ठूह ।। अमी०, पृ० १३ । करारा-सझा पु० [सं० फरट, प्रा० करह] को । उ०—असगुन कुरावल -सज्ञा पुं० [१०] १ वे सैनिक या सैनिको का दस्ता जिसका होहि नगर पैठारा) रहि कुमति कुस्खेत करा -- काम आगे जाकर पक्ष के विषय में सूचना जाना है। २ तुलसी (शब्द०) । घुड़सवार । पहरेदार । ३ शिकारी। करारा-- वि० [हिं०कड़ा, करी] १. छूने में कठोर ! कडा । २. दृढ़चित्त करावा--संज्ञा पुं० [हिं० कराव] ३• 'कवि' ।। जैसे,—जरा करारे हो जाओ, रुपया निकल आवै । ३ खूब सेंका कराह'--मज्ञा स्त्री० [हिं० करना+अाह]वह शब्द जो व्यया के समय हुआ। आँच पर इतना तला या सेंका हुआ कि तोडने से कुर प्राणी के मुंह से निकलता है। पीड़ा का शव्द । जैसे,—-माह-! कुर शब्द करे । जैसे,—कर राि सेव, करारा पापड़ । ४, उग्र ।। ऊ६ । इत्यादि । उ००-या रोगी की तरह कराह कराकर तेज । तीक्ष्ण । दिन बिताते हैं ---भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ० ५५४।। मुहा०— करारा दम = जो थका भाँदा न हो । जो शिथिल ने मुहा०—कराह उठना = दु ख या पीड़ा को गहरी अनुभूति प्रकट हो। तेज । करना । अत्यधिक व्यवस्थित होना। उ०—भरी वासना सरिता ५. चोखा । खरा । जैसे,—करारा रुपया । ६. अधिक गहरी । की वह, कैसा था मदमत्त प्रवाह, प्रलय जलधि में सुगम जिसका घोर । जैसे,—उसपर वही करारी मार पड़ी । ७ जिसका देख हृदय था उठा कराह I—कामायनी, पृ० १० । बदन कडा हो । हट्टा कट्टा । चलवान । जैसे,—करारा जवान । कराह -सज्ञा पुं० [सं० कटाई, प्रा० काही दे० 'कडाह' । करार-सञ्ज्ञा पुं॰ [हिं०] एक प्रकार की मिठाई ।। करारापन--सज्ञा पुं० [हिं० करारा+पन (प्रत्य॰)] कडाई । कराहट-सज्ञा स्त्री॰ [हिं० कराहना] कराहने का भाव या क्रिया । राह कपन । कराह । उ०---इसी कराहट को कला में लपेटकर दर्द भरे करारी--सज्ञा स्त्री० [हिं० करार] करार । समझौता। उ०— सगीत का रूप देना चाहते हैं ।—वो दुनिया, प्रा०, हाथ पाँव कटि जाय करे ना सत करारी ।--पलटू०, कराहत--सज्ञा स्त्री॰ [अ०] नफरत । घृणा । मा० १, पृ० ३२ ।। कराहना---क्रि०अ० [हिं० कर रह से नाभिक घा०]व्यथा सूचक शब्द मुह कराल?- वि० [सं०] १ जिसके वडे दाँत हो । २. इरावनी प्रकृति से निकालना । क्लेश या पीडा का शब्द मुंह से निकालना । अाहे का । डरावना । भयानक । भोपण । ३ ऊँचा । आह करना । उ० --मरी इरी कि टरी व्यथा कहा खरी चलि । करालसा पुं० १ राल मिला हुआ तेल । गर्जन तेल । र दाँत का । चाहि । रही कराहि काहि अति अत्र मुख अाहि न अहि । एक रोग जिसमे दाँतों में बडी पीड़ा होती हैं और वे ऊँचे नीचे बिहारी (शब्द०) ।। और वेडौल हो जाते हैं । कराहा--संज्ञा पुं० [हिं० कराह] दे॰ 'कडाहा' ।। करालमच--सज्ञा पुं० [सं० करालमञ्च सगीत में एक ताल का नाम । कराही –सुङ्गा लौ[हिं० कराह का स्रो०] दे॰ 'कडाही' । उ॰---