पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३०२

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कर सभी । कुरकुल फरतमा -सा पुं० [फा० किरिश्मह.] ६० करमा' । उ० - करह...-सी पुं० [कलि ] फूल की कली। उ०—बाल विभूषन मुकामी होल उमझाएँ । करसमा देख दरसावे ।- सत तुरसी०, लसत पाइ मृदु मजुल अग विभाग । दशरथ सुकृत मनोहर पृ० ३६ । निरवनि रूप करह जनु ल ग ।—तुलसी (शब्द०) । करसाइन - मी पुं० [हिं० करसोयलदि० 'कर सायल कर सायर' । करह कटग--संज्ञा पुं० [सं० देश०] गढ़ करग । यह अकबर के समय करसाद- सम पुं० [सं०] १ हाथ की दुवलता। २ किरणों का मद में सूबा मालवा के १२ सरकारों में से एक था । | पहना (०) । करहनी सज्ञा पुं॰ [देश॰]एक प्रकार का धान जो अगहन में तैयार रसान (9)- न पुं० [सं० कृपाण] किसान ! खेतिहर । उ० --- | होता है और जिसका चावल बहुत दिनो तक रहता है । कुरुक्षेत्र व मेदिनी खेत करै करसान । मोह मृगा सव चरि करहल --संज्ञा पुं० [हि करह ऊँट । उ०---अब कै बौरे बरहल गया प्रास न रहि खलिहान 1-कबीर (शब्द॰) । करहल निमिया छोलि छोलि खाई !-—कबीर ग्र २, पृ० १४८ | फरसार, करसायल-सया पुं० [सं० कृष्णसार] काला मृग । करहा'---सज्ञा पुं॰ [देश०] सफेद सिरिस का वृक्ष । काना हिरण ।उ०---घायल हूँ करसयल ज्यो मृग ज्यों उतही करहा–सच्चा पुं० [सं० करन] दे० 'करह' । उ०—६ घरे चढ़ि गयौ उतरायल घुमे -(शब्द॰) । | राइ को कहा -कवीर ग्न ०, पृ ११२।। करसीमा स्त्री० [सं० करोय] १ उपले या कड़े का टुकड़ा। करहाई-सज्ञा स्त्री॰ [देश॰] एक प्रकार की वेल । उप का चूर । कडो की भूसी या कुनाई । कड़े की कोर । करहाटेसा पुं० [सं०] १ कमल की जड । भसीह । मुरार । २ २ कडा । उपला। उ०सोइ सुकृती सुचि साँचो जाहि राम कमल का छा। कमल की छतरी । उ०—अंगद कूद गए। तुम रीझे। गनिका गीध बधिक हरिपुर गए ले करसी प्रयाग जहँ अासनगन ल केश । मनु हुटिक फरहाट पर शाभित श्यामल , का ती-- तुलसी (शब्द॰) । वेश केशव (शब्द) । ३. मैनफल । मुही०- करसी लेना = उपले या कडे की अगि मे शरीर को करहाटक--- सज्ञा पुं० [सं०] १ कमल की मोटी जड । भर्स डे । लिझाने का तप करना। उ०—-सिर करवते तन करसी लै लै मुरार। २ कमल का छत्ता । कमल के फूल के भीतर की छतरी चहू सीझे तेहि असि । वहुत धूम घूटते में देखें उतरु न देई जो पहले पीली होती हैं, फिर बढ़ने पर ही हो जाती है । निस ।—जायसी ग्रे ० (गुप्त), १६६ । उ०--(क)सुदर मदिर में मन मोहति। स्वर्ण सिंहासन ऊपर करसु–स पु० [२] विवाह का कगन [को॰) । सोहति । पकज के करहाटक मनिहु । है कमला विमले। यह करस्पर्शन-सी पुं० [सं०]नृत्य मे उरप्लुत करण के ३६ भेदो मे से जानहु ।—केशव (शब्द॰) । (ख) सुदर सेत सोरुह मे ए जिसमें गर्दन नीची करके उछलते तथा धरती पर गिर और करहाटक हाटक की दुति को है --केशव (शब्द) । कुकुट असने रच दोनो हाथो को उ १८ देते हैं । ३. मैनफल । । करस्याली-सज्ञा पुं० [सं० फरस्थालिन् शिव (को०] । करही-सज्ञा स्त्री॰ [देशः] वह दाना जो पीटने के बाद बाल में करस्वन---सी पुं० [सं०] करताली । हाथ की ताली [को०] । लगा रह जाता है । उ०—क करही उबल र, सूखत, महजूम करहन -सज्ञा पुं० [हिं० करहस] दे० 'करहस' । वनत कह पर --प्रेमघन॰, भY० १, पृ० ३४ । २ शीशम करहत--सज्ञा पुं० [हिं० फरहस] दे॰ 'करहस' । की तरह की एक प्रकार का वृक्ष जिसके पत्ते शीशम के पत्तो करहजसा पुं० [सं०] एक वणवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक पद • से दूने बड़े होते हैं। इसकी लकडी बहुत भारी होती और में नगण, संगण मौर एक लघु (न स ल अर्थात् ॥ +15+1) प्राय इमारत के काम में आती है । होता है। इसी को करतूस वीरवर या करहुच भी कहते हैं । करागण--सज्ञा पुं० [म कराङ्गण] १ बाजार । मेल । ३ कर या उ०—निसि लख गुपाल । सरितहि मम बाल । लखत अरि चुगी इकट्ठा करने का स्थान (फो०)। कसे । नपढ़ कर हम । | कैq -सज्ञा पुं० [सं० कला] दे॰ 'कला'। उ०—कुवर वतीसी करहेंज- सज्ञा पुं० [सं० कर+पञ्ज) खेत में अनाज (प्रलसी, चना, लखना सहस कर जस मान [----जायसी यू ० (गुप्त), मुग, उरद अादि) का वह पौधा जो अधिक जोरदार जमीन पृ० ३०६ । । मे १३ने के कारण यदु ते। बहुत जाता हैं, पर जिसमे दाना ककुन-सज्ञा पुं० [म० कलाङ्कर] पानी के किनारे की एक बड बहुत कने पड़ता हैं। चिडिग्रा । कूज । नकुवाडौं । च । । ---(क) तहँ तमसः कन्हु'--सी पुं० [R० फरन] ऊट । उ०-दादू कर पलाणि के विपुल पुलिन मे लेख्यो कराँकुल जौरा । विहरत मिथुन हरि को चेतन चढ़ जाई । मिलि साहिब दिन देपत सोझ भाव मॅह अति रत करत मनोहर गोर।।--रघुराज। य.ब्द॰) । पड़े विनि ३ दि (जन्द॰) । (१) बन ते भनि विह (ब) तहे विचरत वन मॅह मुनिराई । युगल करो कुल परे पर फर हु। मपनी यानि । बेदन कर फासो कल्ले को कहा दिखाई --रघुराज (शब्द०)। हो जइनि |--ौर (ब्द०)। (ग) ऊमर गुणि मुक्त विशेप--इस विडिया के मूड ठडे पहाडो देशो से जाडे के दिनो बीनती, देउः म मार सुरंग । नरहउ सँघियउ, टिपङ, में माते हैं। यह 'करं कर' शब्द करती हुई पक्ति बोध कर मापन राव -यो , दु० ६६७ । प्रकाश में उड़ती है। इसका रग स्याही और कुछ सुर्ख लिए