पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३०

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उच्चारणीयं उच्छिन्न और व्यजनयुक्त शब्द निकालना । जैसे (क) वह लडेका शब्दो रहित । अनावृत (को०) । ३ नष्ट । विध्वस्त । उछिन्न । का ठीक ठीक उच्चारण नहीं कर सकता। (ख) बहुत से लोग काटा हुभा (को०] । वेद के मंत्र का उच्चारण संवके सामने नहीं करते । । उच्छरना)---क्रि० अ० [सं० उच्ल न ] ३० 'उछरना' र विशेप - गद्य में मनुष्य ही की वोली के लिये इस शब्द का प्रयोग ‘उछलना' । उ4- के वहुते रजत चकई चलत के फुहार जल होता है। मानव शब्द के उच्चारण के स्थान से सवद्ध मनुष्य हैं। उच्छरत ।भारतेंदु ग्र०, भा० १, पृ० ४५६ ।। -उर, कठ, मृद्ध, जिह्वा, स्थरत त्री, काकल, अभिकाकल, उच्छल-वि० [सं०] ऊपर की ओर उछलनेवाला । अागे की शोर जिह्वामूल, वसं, दांत, नाक, ओठ और तालु । बढनेबाला ३ लहरानेवाला। तर गायितु । उ०—कुछ माँग २ यावण शब्दों को बोलने का ढगे । तलफ्फुज । जैसे- रही इठा इठन्ना, निज उच्छल गरिमा से निकला, चंचल बगालियो का संस्कृत उच्चारण अच्छा नहीं होता। कपोल की नृत्य कला --इत्यलम्, पृ० ९६। उन्चारणय-वि० [सं०] उच्चारण करने योग्य । बोलने लायक । उच्छलन--सज्ञा पुं० [सं०] उछलने या तरगापित होने की क्रिया या | मुंह से निकालने लायक है । 'माव । उ०-परम प्रेम उछलन इक, वढयो जु तन मन उच्चारना- क्रि० स० [ सृ० उच्चारण ] ( शब्द ) मुंह से मैन । व्रज वाला विरहिन भई, कहति चंद सौं वैन ।।--भद० निकालना । उच्चारण करना । बोलना । उ०—कै मुख करि ग्र ०, पृ० १६२ ।। भू गर्न मिस अस्तुति उच्चारत । भारतेंदु ग्र ०भा० १॥पृ०४५५। उच्छलना)-- क्रि० अ० [ स० उच्छलन ] दे॰ 'उछलना' । उ०- उच्चारित- वि० [ १० ] जिसका उच्चारण किया गया हो। सिंधु जल उच्छयौ गिरे पर्वत शिखर वृक्ष ज चौ सबै दिये वोला हुआ। कहा हुआ । जारी 1 भारतंदु प ०, ३ पृ ४३७ । उच्चार्य- वि० [सं० 1 दे० 'उच्चारणीय' ।। उच्छलित-वि० [सं०] १ उछलता प्रा। छलकता हुआ। तरगापित । उच्चार्य माण–वि० [ सं ० ] जिसका उच्चारण किया जाय । बोला २ हिलता डुलता हुआ । कपित को०] । ३ गया हुअा। | जानेव, ल । गत (को०) । उच्चावच–वि० [सं०]१ ऊँचा नीचा । २ ऊबड़ खाबड । विषम। उच्छव--सज्ञा पुं० [ स० उत्सव, प्रा० उच्छव] उत्सव 1 उ०-वोलि | ३ छोटा वडा। ४ अनेक रूप या प्रकार का । विभिन्न् । सर्वं गोकुल की वाला। उच्छव कियो महा तत्काल। --नेद० विविध (को॰] । ग्र ०, पृ० २४१।। इच्चिगट- सज्ञा पुं॰ [ स ० उच्चगट] १ भावाविष्ट या ऋद्ध व्यक्ति। उच्छवति —सधा स्त्री॰ [सं० उच्छवृत्ति] दे॰ 'उछवृत्ति' । २ एक प्रकार का केकडी । ३ एक जाति का झिगुर (को०)। उच्छादन-सज्ञा पुं॰ [सं० अक्छादन] १ आच्छादन । ढकना । २. उच्चित--वि० [सं०] चुना हुआ ! एकत्र किया हुअा। पु जीकृत । सुगधित द्रव्यों को शरीर पर मलना । लेपना। उच्चित्र-वि० [सं० ] स्पष्ट रूप से बने हुए, विशेषत उभरे हुए, उच्छावपु–सद्मा पु० [ सं० उत्साह, प्रा० उच्छा ] १. उत्साह । चित्रो के साथ को०]। उमगे । २ धूमधाम ।। उच्चूड, उच्चूल--संज्ञा पुं॰ [सं०] १ घ्वज या उसका ऊपर का भाग। उच्छास--सच्ची पुं० [सं० उच्छ्वास, प्रा० उच्छाम, ऊसास ] दे॰ २ घ्वज के ऊपरी हिस्से की सजावट [को०]। ‘उच्छ्वास' । । उच्चे--वि० [ स० उच्च वा उच्च ] ऊँचा। उ०---जल जत्र- उच्छासन-वि० [सं०] प्रतिवध शासन में न रहनेवाला । अनियति । छुटे उच्चे सवध । हम्मीर रा०, पृ० ६३ । निरंकुश (को॰] । उच्चै -अव्य० [सं०] २ ऊँचा । नीचा का उलटा । २ ऊच स्वर से । उच्छ्वासित—वि० [सं०] १ उच्छ्वासयुक्त । २ जिसपर सांस का जोर से । ३. वहुत अबिक । ज्यादा (०] । प्रभाव पडा हो । ३ प्रफुल्लित । विशेष--समास मे या स्वतत्र रूप मे इसका विशेषण की तरह उच्छास्र–वि० [स०] १ शास्त्रविरुद्ध । नियम या समाजविरुद्ध । भी प्रयोग होता है। शास्त्रविरोधी अचरण करनेवाला (को०) ।। उच्चैश्रवा-सच्चा पुं०[स० उच्चै अवस्]इद्र का सफेद घोडा जिसके खड़े यौ॰—उच्छास्त्रवर्ती = शास्त्रानुकूल अचरण न करनेवाला । खडे कान और सात मुंह थे। यह समुद्र में से निकले हुए चौदह .. रत्नों में था । उ०—एक बेर सूर्यपुत्र उच्चैश्रवा अश्वारूढ होकर उच्छाह —सज्ञा पुं० [स० उत्साह प्रा० उच्छाह] ३• “उछाह', । विष्णु के दर्शनार्थं वैकुंठ को गया। कबीर ग्र०, पृ० १८८। उत्साह । उ०——उच्छाह सहित उठि सेख तव, आनद मंगल उच्चैश्रवा–वि० ऊंचा सुननेवाला । बहरा। वपियउ । ---हमीर रा०, पृ० ५३ । उच्छटना(G—कि० अ० [सं०] उत्क्षिप्ति> प्रा० उच्छमठ > हि० उच्छधन-सज्ञा पुं० [सं० उच्छिड घन] नाक से साँस लेना । खट उच्छड, उथुल या चतु+लि ] उछलना । छूटना। पड़ना । । भरना [को०] । गिरना। उ०—हैजाम हुज्ज सिर उच्छटी। बीजलि के अवर उच्छिख–वि० [सं०] १ चूडायुक्त, शिखासहित । २ जिसकी लपट अरी । झनान भजि पुपरि पला। मही अग्गि उछटी परी ।। ऊपर की ओर जा रही हो । ३. चमकीला । प्रकाशमान [को०)। पृ० रा०, १२ । १४६ । उच्छित्ति—सच्चा स्त्री॰ [सं०] विनाश । उच्छेद (को०]। इच्छन्न-वि० [सं०]१ दबा हुमा । लुप्त । २. खुला हुमा । अावरण उच्छिन्त-वि० [सं०) १. कृदा हुआ । खडिव । ३. उखाड़ा हुमा ।