पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२९५

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करधनी ६०६ करना करधनी'-- सज्ञा स्त्री॰ [न० कटि + अाधानी, अथवा म० किङ्किणी] १. विशेप---इसके पत्ते केवडे के पत्ते की तरह लंबे लवे पर विना सोने या चांदी का कमर में पहनने का एक गहना जो या तो काँटे के होते हैं । इसमें सफेद सफेद फूल लगते हैं जिनमें हलको सिकड़ी के रूप में होता है या घुधरूदार होता है। अब मीठी महक होती हैं। घुघवाली करधनी केवल वच्चो को पहनाई जाती है। करना - संज्ञा पुं० [न० करण]विनौरे की तरह का एक बडा नीबू । तागड़ी। २. कई लडो का सूत जो कमर मे पहना विशेप---यह कुछ लंबोतरा होता है। इसे पहाडी नीव्र भी कहते जाता हैं। | है । वैद्यक मे इसको कफ, वायुनाशक और पितवर्धक बताया है। मुहा०-- करधन टूटना = (१) सामथ्र्य न रहना । साहस छूटना। करना -सज्ञा पु० [सं० करण] किं हुअा काम । करनी । हिम्मत न रहना । (२) धन का वल में रहना । दरिद्र होना। करतुत । उ०—-अति अपार करता कर करना । वरन न कोई करघन में बुता होना = कमर में ताकत होना । शरीर में बन पाव वरना--जायसी (शब्द॰) । होना । पौरुष होना । करना—क्रि० स० [सं० करण] १ किसी काम को चलाना। किसी करवनी- सज्ञा पु०[च० कला+घान्य, हि०*कल+धनी> करधनी] क्रिया को समाप्ति की ओर ले जाना । निबटाना । भुगताना । एक प्रकार का मोटा घान जिसके ऊपर का छिलका काला और सपुराना । अमल मे जाना । अजाम देना। सपादित करना । चावल का रंग कुछ लाल होता है। जैसे—यह काम चटपट कर डालो। करवर'--सा पु० [स० कर= वयपले+धर = धारण करनेवाला सयोक्रि०—प्राना।-छोडना - जाना।-डालना।—देखना। | वादल । मेध । उ०—करघर,की घरमैर सखी री,को सुक सीपज –दिखाना ।--देना।-घरना।- पाना-बैठना - रखना। की वगपगति की मयूर की पीढ पखी री ।—सूर (शब्द॰) । –लाना |--लेना।। करवर सज्ञा पुं॰ [दश०] महुवे के फल की रोटी । महुअरी। २ पकाकर तैयार करना । रघना। जैसे, रसोई करना, दाल करना, रोटी करना। करन-सज्ञा पुं॰ [देश॰] एक ओपछि । जरिश्क । विशेष—इसका प्रयोग ऐसी सज्ञाश्रो के साथ ही होता है जो विशेप--यह स्वाद में कुछ खटभट्ठी होती है और प्राय चटनी तैयार की हुई वस्तुप्रो के नाम है, प्राकृत पदार्थों के नामो के अदि में डाली जाती है । यह दस्ताबर भी है। यह रेचन के साथ नहीं जैसे, दूध करना, पानी करना कोई नहीं कहता । ग्रौषधो में भी दी जाती है। करन'Gf-सज्ञा पुं० [स० कणं] १ कान। उ०---करन कटक वटु ३ ले जाना पहचाना । रखना । जैसे,--(क) इस किताव को जरा पीछे कर दो । (ख) इनको इन के बाप के यहाँ कर वचन बिसिप सम हिय हुए --तुलसी ग्र०, पृ० ३४। २ अायो । ४ धारण करना। उ०--कंबु कठ कौस्तुम मनि राजा कर्ण । उ०—करन पास लीन्हेउ के छदू । विप्र रूप धरि झिलमिल इदु ।--जायसी (शब्द०) । घरे। सूख चक्र अायुध कर करे---नद० अ ०, पृ० २६७ । यो:--करन का पहरा = प्रमात या प्रातकाल का समय,जो राजा मुहा०—-किसी वस्तु मे करना= किसी वस्तु मे घुसाना। डालना। कर्ण के पहरा देने का समय माना जाता है ! जैसे,—तलवार म्यान में कर लो 1 फर गुजरना= विलक्षण या साहसिक कार्य कर डालना । ३ नाव का पतवार । ५ पति या पत्नी रूप से ग्रहण करना । खसम या जोरू बनाना। करन - वि० [सं० करण] करनेवाला । उ०—मज थी वल्लम जैसे,—उस स्त्री ने दूसरा कर लिया। ६ रोजगार खोलना। सुत के चरन । नदकुमार भजन सुखदाइक, पतित पावन व्यवसाय खोलना । जैसे,—दलाली करना, दूकान करना, करन --नद० अ०, पृ० ३२९ ।। प्रेस करना । करनवार--सज्ञा पुं० [सं० कर्णधार दे० 'कर्णधार' ।। विशंप-वस्तुवाचक संज्ञा के साथ इसका प्रयोग इस अर्थ में दो करनफूल-सच्चा पुं० [सं० कण+हिं० फूल] स्त्रियों के कान में पहनने चार इने गिने शब्दों के साथ ही होता है । का सोने चाँदी का एक गहना । तरौना। काँप । ७ सवारी ठहराना । भाड़े पर सवारी लेना । जैसे, गाडी करना, नाव करना, पालकी करना । उ०पैदल मत जाना, रास्ते विशय--यह फूल के अकिार का बनाया जाता है और कान को में एक गाडी कर लेना । ८ रोशनी बुझाना । प्रकाश बुझाना। लौ में बढ़ा सा छेद करके पहना जाता है । करन फूल सादा भी जैसे,---सवेरा हुमा चाहता है, अव दिया कर दो। ९ कोई होता है और जड़ाऊ 'मी ।। रूप देना । किसी रूप में लाना । एक रूप से दूसरे रूप में करनवेघ-सज्ञा पुं० [सं० कर्णवेघ बच्चो के कान छेदने का सस्कार जाना । बनाना । जैसे,--(क) उन्होने उस चांदी के कटोरे को अथवा रीति । ७०---करनवेध उपवीत विवाहा। सग सग सोना कर दिया । (ख) गधे को मार पीटकर घोडा नही कर सव भयउ उछाहा । सकते । १० कोई पद देना। बनाना । जैसे,—-कलक्टर ने करना'---संज्ञा पुं० [स० कण] एक पौधा । सुदर्शन । उ०—(क)मौल उनपर प्रवृन्न होकर उन्हें तहसीलदार कर दिया । ११ किसी सिरी वेइलि करना । सबै फूल फूले बहुवरना । - जायसी वस्तु को पोतना । जैसे,—स्याही करना, रग करन',चूना करना। ग्र ०, पृ० १३ । (क) करना के करनफ्ल करन वीच घारे । १२. पशुम का वधे या जवह करना । जैसे--उसने आज १५ -भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ० ४४० । बकरियां की हैं । १३ सभोग करना । प्रसग करना।