पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२८७

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कमीला ६०१ कमोदिक मे वह कर जो जमादार गाँव में उन वसनेवालों से वसूल उत्त ग रंग सुमाल जनु फुनि कमुद्दिनौ ताल ।—पृ० रा०, करता हैं जो खेतों नहीं करते । । १४।१८८ । कमीला-सच्चा पु० [न० कम्पिल्ल] एक छोटा पैड जिमकै पत्त कमून--संज्ञा पुं० [अ०] जीरा । जीरक । अनाज ।। अमल्द की तरह के होते हैं और जिसमें वैर की तरह के फन कमुनी--वि० [फा० कमुतजीरा जौरा सवधी । जीरे का । गुच्छों में लगते हैं। जिसमे जीरा मिला हो । विशेष—यह पेड़ हिमालय के किनारे काश्मीर से लेकर नेपाल यो०--जवारिश कमुनी = जीरे का अवलेहु वा चटनी । तक होता है, तुया वगाल (पुरी, सिंहभूमि), युक्तप्रदेश कमनी-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [फा०] एक यूनानी दवा जिमका प्रधान भाग (गइवोल, कमाऊँ, नेपाल की तुराई), पजाव (काँगडा), जी हैं । मध्यप्रदेश और दक्षिण में वरावर मि तृा है। इसके फन पर मूल–सच्चा पुं० [हिं॰] दे॰ 'कमलाई' । । एक प्रकार की लाल लाल धूल जमी होती है जिसे झाडेकर कमेटी--सुज्ञा स्त्री० [अ० कमिटी] सभा | भमिति। उ०—चुमी की अलग कर लेते हैं । यह धूल भी कमीला के नाम से प्रसिद्ध है। कमेटी सफाई करके मेरा निवारण करना चाहती हैं।•• यह रेशम रंगने के काम में आती है। इसकी रंगाई इस प्ररि भारतेंदु ग्र०, भा० १, पृ० ४७८ । होती है--सेर भर रेशम को अध सैर सोडा के साथ थोडी कमेडी--सज्ञा स्त्री० [अ० कॉमेडी] दे० 'कामेडी' । उ०--जिस नाटक देर तक पानी में उबालते हैं। जब रेशम कुछ मुलायम हो । के अंत में सर्व बखेडा मिटकर अनद है जाय उसे अग्रेजी में जाता है, तब उसे निकाल लेवे हैं और उसी पानी में २० तोल कमेडी कहते हैं। कमेडी कहते हैं।-यी वास ग्र०, पृ० ७) कमीना (बुक) और ढाई नै तिल का तेल, पाव पर कमेड़ी-ता स्त्री० [अ० कुररी पडुक जानि की एक चिडि।। फिटकरी और सोडा मिलाते हैं। फिर सब चीजों के साथ पानी उ० - और घणा ही अावसी चिड़ी कमेडी काग । हस। फेर न को पाव घटे तक उबालते हैं। इसके अनंतर उसमें फिर रेशम अवमी सण समदर मैदमाग ।—राम० वर्म०, पृ० ६६ ।। डाल देते हैं और १५ मिनट पर उवा कर निकाचे लेते हैं । विशेप-यह सफेद कबूतर और पडूक से उत्पन्न होती हैं । रंग निकलने पर रेशम का रग नारगी निकल आता है। कनीना। सफेद और गने में केठीय हैसुली होनी है। पैर लाल होते फोड़े फुसी की मरहम में भी पड़ता है। यह खाने में गर में हैं और वो मनोहर एवं गभीर होती है जिसमे “के शव तु, और दस्तावर होता है। यह विषेत्रा होता है । इमसे ६ रत्ती केशव तू सी ध्वनि निक नती है। यह प्राय उजाड स्थानों में से अधिक नहीं दिया जावी । रहती हैं और इसका पालन अशुभ माना गया है। कमीवेशी--सुज्ञा स्त्री० [फा०] न्यूनता अधिकता । स्वल्पता या कमेरा--- सवा पुं० [हिं० काम कम + एरा (प्रत्य॰)] १ कामे वाहुल्य । | करनेवाला । मजदूर । नौकर। २. माहित नौकर । कमीशन--मेची पु० अ० कमिशन] १ चुने हुएँ कुछ विद्वानी की कमेला'.--सज्ञा पुं० [हिं० काम+एला] (प्रत्य॰)] वह जगह जहाँ वह समिति जो कुछ समय के निये किसी गूढ विषय पर विचार पशु मारे जाते हैं। वधम्यान । कसाईखाना। बूचडखना [को०] । करने के लिये नियत की जाती है। आयोग ! २ कोई ऐसी मुहा०---कभेला करना = मारना । हनना । सभा जो किसी कार्य को जाँच या खोज के लिये नियत की। कमेला}--संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'कमला' । जाय । आयोग । कमेहरा--संज्ञा पुं० [हिं० काम या देश॰]कच्ची मिट्टी का सच। जिसमें क्रि० प्र०--बैठना 1-वैठाना। मठिया वा कसकुट की चूडियो द्वाली जाती हैं। ३ किती दूर रहनेवाले व्यक्ति की गवाही लेने के लिये एक या । कमोड–सज्ञा पुं॰ [अं॰] लोहे या चीनी मिट्टी ग्रादि का बना हुआ, अधिक वकीलों का नियत होना । क्रि० प्र०--जाना।-निकलना । कडाही के प्रकार का एक प्रकार का अँगरेजी ढग का पात्र ४. दलनि । दस्तूरी ! ५ एजेंट की हैसियत से काम करने का जिममें घाख ना फिरते हैं। गमा । | अविकार । कमोद- सञ्चा मं० [मु० कुमुद] दे॰ 'कुमुद' । उ० –कोइ के मोद कमीस-सज्ञा स्त्री० [हिं० कमीज] दे॰ 'कमज' । परसहि कर पाया। कोई मायागिरि छिरहि काया ।-- कमू जी- सज्ञा स्त्री० [स० के मुजा] १ चोटी । वेणी । २ केशों को पदमावत, पृ० ८७ । । | गुच्छी को०)। कुमोदन -सज्ञा स्त्री० [सं० कुमुदिनी] दे॰ 'कुमुदिनी'। कम्मा--संज्ञा पुं० [हिं० काम] नाव घेने की डौड का दस्ता । कमोदिक- सच्चा सुं० [सं० कामोद= एक राग + क] १. कामोद राग कमुकदर--सूझा पु० [सं० कामु के+दर] धनुष तोडनेवाले रामचद्र। गानेवाला पुष । २ गयी। उ० •-बेगि चो वलि के वरि उ०-व्याकुल लखि वदर, हसि कमुकंदर सब दसकधर नाश समानी । ममय वसत विपिन रय हृय गय मदन सुभट नृप किये --विश्राम (शब्द॰) । फौज पानी । वोलत हेंमत चपन वदोजन मन कमुजा--सज्ञा स्त्री०स०]१ चोटी । वेणी । २ वे शो का गुच्छाको०)। प्रशसित पिक बर वानी। धीर समीर रटत वर अलिगन मन कमदिन --सच्चा बी० [सं० कुमुदिनी] दे॰ 'कुमुदिनी' । उ०-- कमोदिक मुरलि सुठानी।—सूर (शब्द०)।