पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२६५

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कला. ७७६ कन्यव्रतस्था कन्ना--वि० [ली० कन्नी] (लकड़ी या फल) जिसमें कन्ना लगा हो । चक्रपूजा के लिये बहुत पवित्र मानी गई हैं—नटी, कापालकी | काना । जैसे,—कती मुटी, कन्नी ईख । (कपडिया), वेश्या,-घोविन, मइन, ब्राह्मणी, शूद्रा, ग्वालिन कन्नास--सुज्ञा स्त्री॰ [हिं० ३• ‘कनासी' ! और मालिन । कन्नी'--सज्ञा स्त्री० [हिं० कप्ता] १. पतग या कनकौए के दोनों शोर २. पुत्री । वेटी ।। - के किनारे । यौ०---कन्यादान । कन्यारासी। कन्यावेठी। • । मुहा०-- कन्नी ख़ानी या मारना= पतग का उड़ते समय किसी ३. १२ राशियों में से छठी राशि जिसकी स्थिति उत्तर 11 अोर झेका रहना ।।पतग का एक ग्रोर झुककर उड़ना । फाल्गुनी के दूसरे पाद के प्रारम से चित्रा के दूसरे पाद तक विशेष—इस प्रकार उड़ने से पग बढ़ नहीं सकती। है । ४; घीवार। ५ वेडी इलायची । ६. बाँझ ककोली । २ वह धज्जी जो पतग की कन्नी में इसलिये वाँधी जाती हैं। ७ बाराही कद । गेठी।'६ एक वर्णवृत्त का नाम जिसमे {? ? किं उसका वजन बरावर हो जाये और वह सीसी उड़े। चार गुरु होते हैं। ९. एक तीर्थ या पवित्र क्षेत्र का नाम । क्रि० प्र०--बांधना ।—लगाना । दे० 'कन्याकुमारी' । । ३ किनारा । हाशिया ! कोर । कन्याकुमारी-सज्ञा स्त्री० [सं० कन्याकुमारी भारत के दक्षिण में * मुही--किसी की कन्नी दवाना=(१) किमी के अधीन या रामेश्वर के निकटं का अतरीप । रासुकुमारी । केपकुमारी। ।।; वशीभूत होना 1, किसी के तावे में होना । (२) दवेना । कन्यागत- सज्ञा पुं० [सं०] ‘कनागत' । । * सहभना धीमा पड़ना । (३) झेपेना । लजाना । | कन्याग्रहण-मज्ञा पुं० [सं०] विवाह द्वारा विधिपूर्वक कन्या का । F४ घोती चद्दर आदि का किनारा । हाशिया । जैसे, लाल कन्नी ' ग्रहण [को॰] । । । ' । की धोती ।। कन्याजाते- वि० [स०] क्वाँरी कन्या से उत्पन्न । कानीन) यौ–कुन्नीदार= किनारेदार ।। कन्याट–वि० [सं०] कन्या का पीछा करनेवाला ।' केन्नी-सज्ञा पुं० [स० करण] राजगीरों का एक औजार जिससे वे कन्याट-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ अतपुर । २. वह व्यक्ति जो कन्या का '।। दीवार पर गारा पन्ना लगाते हैं। करनी ।। पीछा करता हो (को०] । कन्नी-सज्ञा पुं० [Hd स्कन्ध] १. पेडो का नया कल्ला ! कोप न । कन्यादान-सज्ञा पुं० [सं०] विवाह में वर को कन्या देने की रीति । ।। ३तमाकू के वे छोटे छोटे पत्ते या कल्ले जो पत्तो के काट क्रि० प्र०—करना ।—देना ।---लेना ।। 1 ' लेने पर फिर से निक नाते हैं। ये अच्छे नहीं होते । ३. हेगे कन्यघिन-सज्ञा पुं० [सं०] वह घन जो स्त्री को अविवाहिता * या पटेल के खीचने के लिये रस्सियो की मुट्ठी में लगी हुई | कन्या. अवस्था में मिला हो । एक प्रकार के स्त्रीधन । । खुटी जिसे हूँगे के सूरधि में फंसाते हैं। । विशेप-अधिकारिणी के अविवाहिता मरने पर इस न । कनी–वि० [हिं० कन्न+ई (प्रत्य॰)] कान की। उ०--सुरति अधिकारी 'माई होता है। 1. सिंमृति दुइ केन्न मदा --कवीर ग्र०, पृ० २२८ । कन्यापाल--- सज्ञा पुं० [सं०] १. कुमारी लडकियो क = ः कन्नौज-सज्ञा पुं० [अ०' कान्यकुबज़, प्रा० कण्उ ज्ज] फरुखाबाद रोजगार करनेवाला पुरुषु । २. वगाल की ? ।' जिले का एक 'नगर' या कसबा जो किसी समय विस्तृत जो अवै पाल कहलाती हैं । । । । ' साम्राज्य की राजधानी था। आजकल यहाँका इत्र प्रसिद्ध है। कन्यापुर-सज्ञा पुं० [सं०] अतपुर । जनानखाना । कन्नौजी-वि॰ [हिं० फन्नौज +ई (प्रत्य०}] कन्नौज सबधी । कन्याभत सज्ञा पु० [सं० 'कन्याभतृ] १. दामाद । इन्द:: कन्नौज की। केन्नोजी–सुज्ञा स्त्री० कन्नौज की भाषा का नाम ।। कार्तिकेय [को०] । कन्यका-सा जी, [सं०] १ कुवारी लडकी । अनव्याही लड़की कन्यारासी-वि० [सं० केन्पाराशि] १. जिसके बकः -- ।। २ पुत्री । धेटी ।। ।। कन्या राशि में हो । २ चौपट !; सुत्याइ कन्यस-संज्ञा पुं० [सं०] चवमें छोटा भाई (को०] । । कमजोर ! कायर। कन्यसा-सा स्त्री० [सं०] सवसे छोटी उँगली । कान उगली [को०)। केन्यालोक-सज्ञा पुं० [सं०] जैन मत के इन कन्यसी--साली० [H] सबसे छोटी बहन । |, झ3 जो कन्या के विवाह के सवध हैंकन्या--सा ही० [स०] १ अविवाहित लडकी । पंवारी लडकी । कन्यावानी -सा स्त्री० [सं० केन्या+हि० * ---- ।। विशेष—-पार के अनुसार १० बर्ष की लडकी का नाम समय बरसता है जब सूर्य कन्या - । - " । • कन्या है। । समझी जाती है । 'यो०-चकन्या = पुराण के अनुसार वे पाँच स्त्रियाँ जो बहुत कन्यावेदी-सा ' पवित्र मानी गई हैं--प्रहल्या, द्रौपदी, कुती, तारा, मदोदरी। जमाई | | नवन्या तय' के अनुसार वे न जातियों को स्त्रियाँ जो कन्या तस्या