पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२६१

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कनकी ७७५ कैतगत ‘अाईर' प्राप्त करने का उद्योग करना । जैसे,—मिस्टर शर्मा कनस्टर–ज्ञा पुं० [अ० कनिस्टर] दे॰ 'कनस्तर' । उ०—टीन के गगा आयनं फैक्टरी के लिये बाहर कनवासिंग कर रहे हैं, कनस्टरो पर चढे ।--प्रेमघन॰, पृ० ७१ ।। पिछले महीने उन्होंने वीस हजार रुपये के ग्राउंर भेजे हैं। कनस्तर-सा पु० [अ० कनिस्टर] टीन का चौखट पीपा जिसमें कनवी--संज्ञा स्त्री० [सं० कण, हि० कन] एक प्रकार की कपास घी तेल आदि रखा जाता है। | जिसके बिनौले वहुत छोटे होते हैं। यह गुजरात में होती है। केनहरि--संज्ञा पु०[स० कण्णघार, प्रा० कण्णधार दे० 'कर्णधार'। कनवेनसन-मुज्ञा पुं॰ [अं॰ कनवेंशन] समेलन ! प्रसमा ! उ०—(क)नौवें नाम निरजन नौका कनहरि गुन हि चलावे।-- कमवैसर-संज्ञा पुं॰ [अ॰] दे॰ 'कनवसिर । • गुलाल०, पृ० १२८ । (ख)गुरु सतगुरु करु कनहरी ।—दरिया०, कनवेसिंग-संज्ञा स्त्री॰ [अं॰] दे॰ 'कनुवासिंग' । पृ० ६३ । (ग) जेहि चाहो व ते काढून वं कनहरिया गुरु 'खेवक —भीखा शु०, पृ० ८६ ।। कनवोकेशन--संज्ञा स्त्री० [अ० कन्चोकैशन यूनीवसिटी का वह कुनहा-सज्ञा पुं० [हिं० कन= अनाज + हा (प्रत्य०) ] फसल सालाना जलसा जिसमें वी० ए० अादि की उपाधि परीक्षा कूतनेवाली कमचारी । । में उत्तीर्ण ग्रेजुएट को डिपलोमा अादि दिए जाते हैं। का । कनहार-संज्ञा पुं० [सं० कर्णधार, प्रा० कणवीर] पवार विश्वविद्यालय के पदवीदान का महोत्सव । दीक्षात-समारोह । पकड़नेवाला मल्लाह केवट । ३०-राम बाइबल सिंधु अपारू । कनव्रत -मज्ञा पुं० [सु० कण+व्रत] उछभोजी । झण बटोरने चहत पार, नहि को कहा ।तुलसी (शब्द॰) 1 | का व्रती । ३०–मुप करत सोभित जोस, जनु चुनते नव्रतु कना'—सज्ञा स्त्री० [सं०] कन्या । सबसे छोटी लडकी [को०] । । अोस |--पृ० रा०, १४।१४७। कना-सज्ञा पुं० [म० कण] दे० 'कन' ।। कनसट– संज्ञा पु० [अ० कन्सर्ट] वृ दवाद्य । सामुदायिक वादन । कना-सज्ञा पुं० [स० कोण्ड] सरकडा 1 सरपत । उ०-- कन्सर्ट की कमाल आप लोगो ने देखा होगा --स० कना-क्रि० वि० [सं० कोण] समीप । जैसे,- मेरे कने आग्रो । क०, पृ० ६ । उ०----चाहि विना चितामणि क्या हैं। ल्यू' सेवक स्वामी कना कनसलाई-ज्ञा स्त्री० [हिं० कानिहि सलाई] १ कनखजूरे क्या ले ।—रज्जव० पृ० १२ । की तरह एक छोटा कीडा । छोटा कनखजुरा । २. कुश्ती का कना-मुंशी पुं० [हिं० कोना, कीयां = फोडा] ईख में होनेवाला एक पॅच् । ।। एक रोग जिससे ईख पर पतलोई के अंदर कीड़े लग जाते हैं विशेप-जब विपक्षी के दोनों हाथ खिलाडो को कमर पर होत और उसकी वाढ मारी जाती है। हैं और वह पेट के नीचे घुसा होता है, तब बिलाड़ी अपना एक कनाअत--संज्ञा पुं० [अ० कृनाअत संतोष। सत्र । उ०—-नमक हाथ उसको वगल में ले जाकर उसकी गर्दन पर चढ़ाता है। रोटी पर कनाअत कर वदो की खिदमत कबूल कीजिये । और अपने धड को मरोड़ता हुआ उसे टाँग मारकर चित्त -प्रेमघन॰, १० १३४। कर देता है। कनाई-सुज्ञा स्त्री० [स० काण्ड] १. वृक्ष या पौधे की पतली हाल या कुनसार-सज्ञा पुं० [हिं० कांसा +आर (प्रत्य॰)] ताम्रपत्र पर शाखा । २, कल्ला 1 टहनी। लेख खोदनेवाला । क्रि० प्र०-- निकलना ।-फूटेना। कनसाल-संज्ञा पुं० [हिं० कोन + सालन] चारपाई के पायो के मुहा०—कुनाई काटना = (१) रास्ता काटकर दूसरे रास्ते निकल वे छैद जो छेदते समय कुछ तिरछे हो जय और जिनके जाना । सामना वचाकर दूसरा रास्ता पकडना । (२) किसी तिरछेपन के कारण चारपई में कनेव आ जाय । काम के लिये कहकर मौके पर निकल जाना। चालबाजी नसीरी-सज्ञा स्त्री०[देश॰] हावर नामक पेड़ । वि० ‘हावर । करना। कनसुप्रा-सा यु० [सं० कर्ण+अवे, या हिं०] दे० 'कनसुई। ३ पगहे के गैरव के वे दोनो भाग जिन्हें मिलाकर जानवर । उ०—माजि इकौसी में रहीं कतनुवा लग ऊँ –घनानंद, | बाँधे जाते हैं । ४. आल्हा की किसी एक घटना का वर्णन । | पृ० ३१४। कनाउडा--वि० [हिं० कनौड़ा] दे॰ 'कनौ' । उ०—प्रीति कनसुई-सच्चा औ० [स० कर्ण -+अव या हि० फान+सुनना] ।। पपीहा पपद को प्रगट नई पहिचान । जाचक जगत कनाड़ो | अहिट । टोह । । ।। कियो कनौड़ी दानि ।तुलसी (शब्द॰) । मुहा०--कनसुई या कनसुईयां लेना=(१) छिपकर किसी की कुत्ताखी -सुज्ञा स्त्री० [हिं० कनखी] दे० 'कनखी' नुवा। उ०—(क) बात सुनना 1 अकनना । (२) भेद लेना । टोह लेन। अहिट | पुनि तिन नख रेख देखे । सुसन भरे कनाखिन देखें।-नंद लेना । (३) सुगुन विचारना--लेत फिरत कनसुई सगुन | ग्र०, पृ० १५१ । (ख) सखि तन कुवरि कनाखि चर्ह --दि मुभ बुझत गनक बुलाइ के । मुनि अनुकूल मुदित मन मानहु ग्र०, पृ० १३७ ।। घरत धीरजहि धाइ के —तुलसी (शब्द०)। कनागत-सज्ञा पुं॰ [ कन्यागत] १. क्वार के महीने का अँधेरा विशुप–स्त्रियाँ चलनी में गोबर की गौर रखकर पृथिवी पर पाख । पितृपक्ष । उ०—-प्राय कनागत फूलै कोस । वाह्मन कूदें फेंकती हैं । यदि वह गौर सीधी फिरती है तो सगुन मनाता सौ सौ वास । (शब्द॰) । है और यदि उलटी या वेही गिरती है तो असगुन । विशेष—प्राय. यह पक्ष उस समय पड़ता है जब सूर्य कन्या राथि,