पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२५४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

कदंबई । विशेष—यह धनाश्री, कनाड़ा, टोल, अभीरी, मधुमाध और कब-सज्ञा पुं० [सं० फेदम्ब दे० 'कदव' । | केदार को मिलाकर बनता है । इसमें सब शुद्ध स्वर लगते हैं। कुदम'-- मुझी पु० [कदम्ब] १ एक सदावहार पेड़ । कदवद--सच्ची पुं० [म० कदम्बद सरसो के बीज का पौधा [को०] । विशेष--इसके पत्ते महुए के से पर उससे छोटे और चमकीले कदवपुष्पी- सच्चा स्त्री० [सं० कदम्वपुष्पी] गोरखमु दी (को०)। होते हैं। इसमें बरें सात में गोल गो न लड्डू के से पीले फूप कदबव्रह्ममडल-सल्ला पुं० [सं० कम्घब्रह्ममण्डल] ग्रहण का महल लगते हैं। पीले पीले किरनों के झड जाने पर गोल गोल हरे [को०] । फल, रह जाते हैं जो पकने पर कुछ कुछ लाल हो जाते कदवयुद्ध--सच्चा पुं० [कदम्वयुद्ध] एक प्रकार की रतिक्रीडा (को०)। हैं । ये फल स्वाद में खटमीठे होते हैं और चटनी अचार बनाने कदवरि, कदबरी- सच्चा सी० [हिं०] दे० 'कबरी'। उ०—विना के काम में आते हैं। इसकी लकड़ी की नाव तथा और बहुत । कदवर के पिए, त्रास न मन सो जति ।--इन्द्रा०, पृ० ३४ ।। सी चीजें बनती हैं । प्राचीन काल में इसके फलो से एक प्रकार कदववायु–सज्ञा पुं० [कदम्बवायु) सुगधित पवन [को०)। की मदिरा बनती थी, जिसे कदवरी कहते थे । श्रीकृष्ण को कदश-संज्ञा पुं० [सं०] वुरा या निकृष्ट नाश ।। यह पेड़ बहुत प्रिय था । वैद्यक में कदम को शीतल, भारी, ... । कद-सज्ञा स्त्री० [अ० कद्द] [वि॰ कद्दा १ इष्र्या । द्वेष । शत्रुता । विरेचक, सूखा, तथा कफ और वायु को बढानेवाला कहा है। जैसे,—वह् न जाने क्यो, हमसे कद रखता है। २. हठ ।। प८०-नीप । प्रियक । हरीप्रिय । पावृपेण्य । वृत्तपुष्प। सुरभि । ललना । प्रिया । कणपूरक । महाढ्य ।। जिद । जैसे,—उनको इस बात की कद हो गई है। यौ--कदमखडिका= कदम वाटिका 1 वह स्थान जहाँ कदम के कद--मज्ञा पुं॰ [स० क = जल +३ = ददाति] वादल । मेध। वृक्ष अधिक हो । उ०—(क) कुहू कुटी सघन कुटी क कद-वि० [सं०]१ जल देनेवाला । २ नई या हर्प देनेवाल।[को०] । कदम खडिका छाई --भारतेंदु अ ०, भा॰ २, पृ० ४०८ । (ख) कद-अव्य० [स० कदा] कर । किस दिन । किस समय । उ०-- सो सेवा सो पहो चि गोविन्द स्वामी की कदम खडी में | पुरष जनम तु कद पामेला, गुण कद हरि रा जासी ।-रघु० जाते ।—दो सौ बावन०, भा॰ २, पृ० ६० । रू०, पृ० १६ । २ एक घास का नाम । कद-संज्ञा पु० [अ० कद] होल । ॐ चाई । ३० वामन बामन मृदु कुदम-सच्चा पुं० [अ० कदम] १ पैर । पाँव । पग ।। कुमुद गर्ने अजन से जैतकर अजन के कद हैं ।—-मतिराम ग्र० मुहा०—कदम उखड़ना = भाग जाग। हट जाना । कदम उखड़ना= पु० ३५४ । (१) तेज चलना । जैसे,—कदम उठाओ, दूर चनना यौ--कई अदम = मानव शरीर के बराबर ऊँचा । है । (२) उन्नति करना । कदम उठाकर तेज चलना = तेज विशेष—इसका प्रयोग साधारणत प्राणियो पौर पौधों के लिये या शीघ्र चलना । कदम चूमना = अत्यत आदर करना । ही होता है । जैसे,--अगर तुम यह काम कर दो तो तुम्हारे कदम चूम लू । कदक-मज्ञा पुं० [सं०] १ हेरा । २ चंदवा । चाँदनी ।। ३०--सब वजादार तेरे अाके कदम चूमते हैं ।--श्यामा०, कदक्षर-सज्ञा पुं० [स० कद् +अक्षर] १ कुत्सित वर्ण । २. बुरा पृ० १०२ १ कदम छुना=(१) पैर पकडना । दडवत करना। | लिखावट या लिपि (को०] । प्रणाम करना । (२) शपथ खाना । जैसे,--आप के कदम छू कदघव--सज्ञा पु० [स० कदघ्वन्] खोटा मागें । कुपथ । बुर। कर कहता हूँ, मेरा इससे कोई संबंध नहीं है । (३) विनती रास्ता । करना । खुशामद करना । जैसे,---वह बार वार कदम छूने कदध्व--सज्ञा पु० [सं० कदघ्यन्] खराव मार्ग या पथ को०] । लगा, तब मैने उसे छोड़ दिया । (४) वडा या गुरु मानना । गुरु कदन--सज्ञा पुं० [सं०] १ मरण । विनाश । २. युद्ध 1 संग्राम । जैसे, बनाना । कबम डगमगाना या लड़खडाना= डावाडोल होना । कदनप्रिय । ३ हिसा। पाप । ४ । दु ख । उ०—कदन विदन ढीला पडना । शिथिल होना । मगर यहाँ पर हमारा भी अकदन तुदा गहन वुजन क्लेश अहि । दुख जनि दे अब जान दे कदम डगमगाने लगा।—फिसाना, 'भा० ३, पृ० ९० । कदम वैठी कत अनखाहि ।-नददास (शब्द०)। ५ मारनेवाला । पकड़ना पी लेना=(१) पैर पकड़ना । प्रणाम करना । घातक । । । आदर से पैर लगना । (२) बड़ा या गुरु मानना । मादरे विशेष—इस अर्थ में यह यौगिक या समस्त पद के अत मे माता है। जैसे, मदनकदन कमोदन। करना । (३) विनती करना । खुशामद करना । कदम ६ छुरिका । छुरी (को०)। बढाना या कवम मागे बढ़ना=(१) तेज चलना । (२) उन्नति करना । कदम भारना=(१) दौड़ धूप करना । (२) ' मारने कदन्न-सञ्ज्ञा पु० [सं०] वह अन्न जिसका खाना शास्त्रों में वजित या उपाय करना । कदम रखना= प्रवेश करना । दाखिल या निषिद्ध है अथवा जिसका खाना वेदक में अपथ्य या ।। होना। पैर रखना। स्वास्थ्य के लिये हानिकारक माना गया है । कुत्सिअन्न । बुरा ! २ पदचिह्न । चरणचिह्न। अन् । कुअरन । मोटा अन्न । जैसे,—कोदो, के सारी, मसूर । । । मुहा०—कदम में कदम चलना=(१) साथ साथ चलना । (२) यो०-फदनभुक् । कदन्नभोजी ।। अनुकरण करना । कदम भरना=चलना । डेग बढ़ावा । | 5 कदपत्य--सज्ञा पु० [सं० कद्+अपत्य] कुपुत्र । कुपुत (को॰] । ३. घुल वा कीचड़ में बना हुम) पैर का चिह्न ।