पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२४०

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कघरा ७५४ कठमुल्ला कठघरा--सज्ञा पुं॰ [हिं० काठ +घर]१ काठ का जैगलेदार घर । २ कठफोडा--सुवा पुं० [हिं० काठ + फोडना] दे० 'कफी इवा' । वडा पिंजड़ा जिसमें जग 7 जानवर रखा जा सके । ६० कठफोर--सूझा पुं० [हिं० काठ + फोड़] दे॰ 'कठफोड़वा' । ‘कटघरा' । उ०—अब जिम कठघरे से नीचे उतरे तो थी जो कठवदा--संज्ञा पुं० [हिं० काठ + सं० वन्च] काठ का ढीचा या ठठि अाँखा में ग्रामू भरे उनके पास आए ।--काया, पृ० २१५ । कृठवधन–सच्चा पु० [हिं० काठ +स० वेन्चन] काठ की वह वेडी जो कठघोडा--सज्ञा पुं० [हिं० काठ + घौडा] १ काठ का बना घोडा । हाथी के पैर में डाली जाती है । अॅदुता। वेनतमाग के लिये बना काठ का घोडा । १ लिल्ली घोही कटवनिया--सबा पु० [हिं० काठ+वनियो] लोभी वनिया । कि]। हीन वनिया । कठ्जामुन --सूज्ञा पुं० [हिं० कठ + जामुन] छोटी और सैनी जामुन कुठवाँस--सज्ञा पुं० [हिं० काठ +बाँस] पास पास गाठोंवाला बाँस । जो गला पकडती है । वटिया जामुन । | कठवाँसी-सच्चा स्त्री० [हिं० काठ +वाँस +ई (प्रत्य०) ३० छठठना -क्र० अ० [सं० फर्पण, पा० कउनुन ३० 'कढ़ना' । 'कटवसी' । निकजना 1 अगे बढ़ना । उ०—कुठं ये घटा करे कानाईणि कठवाए--सच्चा पुं० [हिं० काठ + वाप] सौतेला वाद ! समुह यह सामुहै --बेनि०, ६० १८२ । विशेप-यदि कोई पुप किसी ऐसी विधवा से विवाह करे जिसके कठडा--सज्ञा पुं० [हिं० कठ घरा]१ कुटधरा । कटहरा । २ काठ का पहले पति से कोई संतति हो तो वह पुरुप (विधवाविवाह| वडा सदू है । ३ काठ का वड। बरतन । कटौता ।। कर्ता) विधवा की उस सतति का कठवाप कहलाएगा। कतार--सज्ञा पुं० [हिं० काठ + म० ताल]द० करनाल' । उ०- कठवेर--सद्मा पु०[हिं० फाठ + वैरट नाम का पेड़ या झाड जिसकी तैसिय मृदु पद पटरनि चटकनि कठतारन को ! नद ग्र०, चटकन कठठारन की। नद ग्र०, छाल चमड रेंगने के काम में आती है। वि० ० ‘धूट' ।। पृ० २२।। कठवेल—मा पुं० [हिं० काठ+वेल] कय का पेड़ ।। कठताल--सुज्ञा पुं० [हि० कोठ+म० ताल] दे॰ 'कर ताल' । ३० - कठवेठी--सज्ञा पुं० [हिं० कठ + बैठी] पहनी । बुझौवल । वैत चटक कटतात, तर अस मृदुल मुजर कार -नद० क्रि० प्र०—करना । —बुझाना ! -- कहना। ग्र २, पृ॰ २६३ । कवैद- सच्ची पुं० [हिं० काठ + स० वैद्य]ग्रनाडी वैद्य 1 अताई वैद्य । कठपुतला--सुज्ञा पुं० [हिं० काठ+पुतला] १ काठ का पुतला | २ कटवेस--समा पु० [हिं० काठ + बेस] वैसवाड़े के बाहर का वठ वह व्यक्ति जो दूरी के निर्देश या सुकेत पर किसी महत्वपूर्ण क्षत्रिय ! वे क्षत्रिय जो अपने को वैस कहते हैं पर बैसवाहे पद पर रहकर कार्य करे (ना०) , में रहते नहीं । हीन क्षत्रिय । कठपुतली--संज्ञा पु० [हिं० काठ + पुतली] १ काठ की बनी हुई कठभगत -सृज्ञा पुं० [हिं० काठ +स० भक्त ढोंगी भक्त । वे चके भगत। पुतली । का3 की गुडिया या मूति जिसको तार द्वारा भक्तो के लक्षण मात्र धारण करने वाला व्यक्ति । नचाते हैं। कठभेमल--सज्ञा पुं० [हिं० काठ +भेमल]एक प्रकार का छोटा वृक्ष । यौ०--कठपुतली का नाच = एक वेल जिसमे काठ की पुतलियाँ की । फिर सन ।। तार धा घोड़े के बाल के नहारे नचाई जाती हैं । २ वह व्यक्ति विशेष---प्राय सारे उत्तरी भारत और वरमा में यह पाया जो दूसरे के कहे पर काम करे, अपनी बुद्धि से कुछ न करे । जाता है। यह वय ऋतु में फलता और जाड़े में फैलता है । जैसे,—बै तो उन लोगों के हाथ की कठपुतली हो रहै। इसकी पत्तियाँ प्राय चारे के काम में आती हैं। यौ० ---कठपुतली सरकार = वह सरकार जो किसी बाहरी शक्ति । h ठमर्द-सज्ञा यु० [सं०] शिव (को०] । | द्वारा प्रेरित हो । कठ9 म--सद्मा पु० [हिं० केठ + १० प्रम] बह प्रेम जो प्रिय के , कठमलिया--सज्ञा पु० [हिं० काठ + माला+इया (प्रत्य॰)] १ काठ की माला या कंठीं पहननेवाला वैष्णव । २ झठमूठ के. उदासीन होने पर भी किया जाय । ३०--नेह कयै सठ नीर मथै, हठ के कठप्रेम को नेम निवाहैं ।-घनाद, पृ० ११८ ! पहननेवाला । वनावटी साघु। झू सत । उ---कर्मठ कठफुला- सज्ञा पुं॰ [हि० काठ+फूल] कुकुरमुत्ता। सुमी । कठमलिया क है, ज्ञानी ज्ञानविहीन । तुलही त्रिपय विहाय गो कठफोडवा--सज्ञा पुं० [हिं० कठि+ फोडना] खाकी रग की एक राम दुवीरे दीन ।--तुलसी (शब्द॰) । चिडिया। ठमस्त, कठमस्त-वि० [६० कठ +फा मस्त] १ सडमुसडे। विशेप-यह अपनी चोच में पेड की छात्र को छेदती रहती है। | मस्त । २ व्यभिचारी ।। अौर छाल के नीचे रहनेवाले कीडों को खाती है। इसके पजे कठमस्ती---- सज्ञा स्त्री० [हि० कठ मस्त] मुसडापन मस्ती । में दो उँगलियई अागे और दो पीछे होती है। जी में इसकी कठमाटी--सज्ञा सी० [हिं० कठ+माटी कीवर की मिट्टी जो बहुत लवी कीड़े की तरह की होती है। यह कई रग का होता है। जल्दी सूखक र कडी हो जाती है । यह मोटी छात्रों पर पंजों के बल चिपक जाता है और चक्कर कठमुल्ला--सज्ञा पुं० [हिं० काठ + ४० मुल्ला]१. कट्टरप यी मौनवी । नगाना हुए चढ़ता है। जमीन पर नी कु कूदकर कीड़े चुगता २ अपने मत या सिद्धात के प्रति अत्यंत अग्रहशी ! या है। दुम इसकी वहुत छोटी होती है। दुराग्रही व्यक्ति । और १० (१०), चारे के