पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२३४

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कना ७४८ कदमुकटा कटना--क्रि० अ० [स० कत्तन, प्रा० फट्टन] १ किमी धारदार चीज प्रकार फेंटा जाना कि उमका पहले से लगा हुआ क्रम न यी दाव से दो टुकड़े होना । शास्त्र आदि की धार के पेंसने से विगई ।-(जादू) । २२ एक सख्या के साथ दूसरी सरुया किसी वरतु के दो स्वर होना । जैसे,—पेड़ कटना, सिर का ऐसा भाग लगना कि शेप में बचे । जैसे---यह सख्या कटना ।। सात से कट जाती है । २३ चलती गाडी में से माल चोरी महा०-~-कटती कहना= लगती हुई वात कहना ] मर्मभेदी वात होना या ग्लुटेना । जैसे--कल रात जो उस सुनसान रास्ते में केहना । कई गाडियाँ कट गई । २/ म करना । उ०-नृम दिन २ पिमना । भहीन चूर होना । जैसे,—माँग कटना, ममान। | मर कम घिसते हो क्या कि और कटने की सोचते हो । कटनी । ३ किसी धारदार चीज का धंसना । शस्त्र शादि सुदा०, पृ० ७७ । की धार का चुसना । जैसे,--उसका अोठ कट गया है । ४ कटनास--सज्ञा पुं॰ [देश॰ या सं० कोट+नाश या काप्ठ+नारी किमी वस्तु को कोई अश निकल जाना । किसी भाग का नील कठ। ३०-- कटनम र तेहि बास।। देखि सो पाद अलग हो जाना। जैसे,—(क) वाढ़ के समय नदी का बहुत सा भाग जेहि पासा --उस मान (शब्द०) । किनार कट गया । (ख) उनकी तनख्वाह से २५) कट गए। | कट नि -सज्ञ री० [हिं० कटना] १ काट । उ०—करत जात ५ युद् मे घाव खाकर मरना । लड़ाई में मरना । जैसे," । जेती कटन वढि रम सरिता मोत । अलवाल उर प्रेम तुरू उस लड़ाई में लाखो सिपाही कट गए । सयो० क्रि०-जाना ।---मरना । तितो तितो दृढ होत }--विहारी (शब्द०)। २ प्रीति । ६ कता जाना । व्योता जाना । जैसे,—मेरा कपडा केटा असक्ति । न । उ०—-फिरत जो अटकट कटन दिन न हो तो वापस दो । ७ छीजना । छैटना । नष्ट होना । दूर रसिक सुरम न वियाल । मनत अनत नित नित हितनि कर्त होना । जैसे,—पाप कटना, ललाई कट{T, मैल कटना, रग सकुचाजत नलि ---ग्हिारी (शब्द०)। फटना । ६ समय का वीतना वक्त गुजरना । जैसे,—रात की गौ--संज्ञा स्त्री० [हिं० पटना! १ काटने की मजार । २ काटने कटना, दिन कटना, जिदगी कटना । जैसे,—किसी प्रकार रात का काम । फसल की कटाई का काम । उ०—कटनी के घुघुर रुनझुन ।--वीण।०, पृ० १६ ।। तो कटी । ६ खतम होना । जैसे,—वात चीत करते चलेंगे, क्रि० प्र०—करना ।—पड़ना। होना। राम्ता कट जायगा। १० धोखा देकर साथ छोड देना । चुपके मुहा०-- कटनी मारना = वैशाख उड़ मे अर्थात् जोतने के पहले से अलग हो जाना । खिसक जाना । जैसे–थोडी दूर तक तो कुदान । तेनो की घाम खोदना । उसने मेरा साथ दिया, पीछे कट गया । उ~-लोभ मोई दोऊ कट भागे गुन सुन नाम अजीत ।-कवीर श० पृ०, ८४ । ३ एक ओर से भागकर दुमरी और ग्रर फिर उघर से क्रि० प्र०—जाना ।—रहना । मुडकर किमी और मोर, इसी प्रकार माडे तिरछे भागना। कटनी ।। ११ शरमाना। लज्जित होना । झैपना । जैसे,—मेरी क्रि० प्र०—फटना --मारना । वान पर वे ऐसे कटे कि फिर न बोले । उ०—-मैं तो फट मुहा०-कटनी काटना = इधर से उधर और इधर से इधर गई। मेरा दिल ही जानता है कि किस कदर रज हुआ । भागना । दाहिनी से बाईं अौर वाइँ से दाहिनी ओर भागना । फिमाना० पृ० ३५८ । १२ जुलना । डाह से दुखी होना । कटपटना- क्रि० अ० [हिं० कटना + पटना बन जाना । उ०-* ई में पीड़ित होना । जैसे—उसको रूपया पाते देख ये । लोग मन ही मन कट गए । १३ मोहित होना । असक्त पुनि पुनि उठि चरनन बटाटे । क्रीट के जुकोट कटपटे नद प्र ०, पृ० २२५ । होना । जैसे—वे उसकी चितवन से कट गए । उ०—पूछो क्यों रूखो परति सगवग रही सनेह । मनमोहन छवि पर कटी कटपीस--संज्ञा पुं० [अ०] नए कपडो क! वह टुकड़ा जो थान वा कहै कटयान देह --विहारी (प्राब्द०)। १४ व्यर्थ व्यय | होने के कारण उसमे से काट लिया जाता है । होना। फजूल निकल जाना । जैसे- तुम्हारे कारण हमारे कटपूतन-सज्ञा पुं० ।मं०] एक प्रकार का प्रेत । १०) यो ही कट गए । १५ बिकना । खपना । १६ प्राप्त कटफरेस--सज्ञा पुं० [अ० कटे + फ़श] वह नया ताजा माल जिसमें होना । प्राय होना । जैसे---आजकले खूब माल कट रहा है । समुद्र में गिरने के कारण दाग पड़ जायें अथवा जो गठ १७ कलम की लकीर से किसी लिखावट का रद होना । वा बकस खोलते समय कही से कट जाय । ऐसे माल का दाम गिटन। खारिज होना । जैसे—उसका नाम स्कूल से कट कुछ घट जाता है। गया है। १८ ऐसे कामों में तैयार होना जो बहुत दूर तक कुटभी--संज्ञा पुं॰ [देश०] मझोले ग्राफर का एक प्रकार का वृक्ष । लकीर के रूप में चले गए हों। जैसे- नहर कटना । १६ । विशेप--इसके पत्ते कुछ गोलाई लिए लवे होते हैं और फल ऐसी चीजो का तैयार होना जिसमे लकीर के द्वारा कई अट खरबूजे के समान छोटे होते हैं। इसका व्यवहार प्रौपत्र में विभाग हुए हो। जैसे—-क्यारी काटना । २० वाँटनेवाले के होता है । वैद्यक में यह प्रमेह, बवासीर, नादो ग्रण, विय, हाथ पर रखी हुइ ताश की गड्डी में से कुछ पत्तो को इसलिये कृमि, कुष्ठ और कफ का नाशक कहा गया है। करी । उठाया जाना जिसमें हाय मे वची हड्डी के अतिम पते से वाँट । हरि सल ।। अरभ हो । २१, ताश की गड्डी का पहले या इस कुटमकट---सज्ञा स्त्री० [हिं० कटना | मारकाट । कठोर युद्ध या