पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/२२६

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कच्चा ७४) कच्चाजिन। हृदय जिसमे कृप्ट, पीडा यादि सहने का साहस नै हो । 'कडा क्रि० प्र०—करना । होना । जी' का उलटा । जैसे,—(क) उसका वहा कच्चा जी है, | २ ढाँचा । खाका । ढड्ढा । ३ मसविदा ।४ कनपटी के पास चीर फाड़ नहीं देख सकते । (ख) लडाई पर जाना कच्चे नीचे कपर के जवडो का जो जिसमे मुंह खुलता और दव जी के लोगों का काम नहीं है। कच्चा करना=(१) डराना । होता है । ५ जबडा । दाढ़ । भव मीत करना। हिम्मत छडा देना । (२) कच्ची सिलाई महा०—कच्चा बैठना = दति वैठना । मरने के समय ऊपर से नीचे करना। लगर डालना। सेल गा मरना । कच्चा होना= के दाँतो का इस प्रकार मिल जाना कि वे अलग न हो सके। (१) अघोर होना । हतोताह होना । हिम्मत हारना । (२) ६ बहुत छोटा ताँबे का सिक्का जिसका चुलन सब जगह न लगर पडना । कच्ची सिलाई होना। हो । कच्चा पैसा । ७ अधेला । ६ एक उपए का एक दिन ७. जो प्रमाण से पुष्ट न हो ! अप्रामाणिक । नि सार । का ब्याज जो एक कच्चा' कहलाता है। प्रयुक्त । बेठीक । जैसे, कच्ची राय, कच्ची दलील, कच्ची जुगुत्। । विशेष—ऐसे १०० कच्चो का ३३ तक्का माना जाता है । महा०—कच्चा करना = (१)अप्रामाणिक ठहराना । झूठा सावित पर प्रत्येक ३०० कच्चो का दस पक्का लिया जाता है। देशी झरना । जैसे,—उसने तुम्हारी सुव वातें कच्ची कर दी। व्यापारी इसी रीति पर ब्याज फैलाते हैं। (२) नज्जित करना । शरमाना । नीचा दिखलाना । जैसे,— कच्चाअसामी-सज्ञा पुं० [हिं० कच्चा +असामो] १. वह आदमी उसने सबके सामने तुम्हें कुच्चा किया। कच्चा पढ़ना=(१) । जो किसी खेत को दो ही एक फसल जोतने के लिये ले । अप्रामाणिक ठहरना । नि सार ठहरना। झूठा ठहरना। जैसे, ऐसे असामी का खेत पर कोई अधिकार नहीं होता । २ । (क) यहाँ तुम्हारी दलोल कच्ची पडती है । () यदि हम जो लेनदेन के व्यवहार में दृढ़ न रहे । जो अपना वादा पूरा इस समय तुम्हें रुपया न देंगे तो हमारी बात कच्ची पड़ेगी। न करता हो । ३ जो अपनी बात पर दृढ़ न रहे । जो समय (२) सिटपिटना। सेकुचित होना । जैसे, हमे देखते ही वे पर किसी बात से नट जाय । कच्चे पड़ गए। कच्चो पक्की = मुली बुरी । उलट सोधी । कच्चा कागज-सज्ञा पुं०[हिं० कच्चा + ग्र० फागज] १ एक प्रकार दुर्वावग्न | दुर्वचन । गाली । जैसे,—विना दो चार कच्ची का काज जी घोटा हुआ नहीं होता। यह शरबत, तेल पक्की सुनें वह ठीक काम नहीं करता। कच्ची बात == अश्लील आदि के छानने के काम में आता है ! २ वह दस्तावेज बात । लज्जाजनक वात। झूठी बात । उ०—(क) क्यो मला जिसकी रजिस्ट्री न हुई हो । वात हुम सुने कच्ची, है न वच्चे न कान के कच्चे --चुभते०, कुच्चा काम–सुज्ञा पु०[हिं० कच्चा+काम वह काम जो झठे सल में पृ० १७ । (ख) कहै लेख तुम बेगम सच्चिय । ऐसी बाते सितारे या गोटे पट्टे से बनाया गया हो । झूठी काम । कहो मत कच्चिय -हम्मीर रा०, पृ० ३९ । । कच्चा कोढ़- संज्ञा पुं०[स० कच्चा + कोढ]१ सृजनी । २ गरमी । ८. जो प्रामाणिक तौल या माप से कम हो। जैसे,—कच्चा ग्रातृशक । सेर, कच्चा मन, कच्चा वीघा, कच्चा कोस, कच्चा गज । कच्चा गोटा-संज्ञा पुं० [हिं० कच्चा + गोटा] झूठा गोटा । विशेप-एक ही नाम के दो मानों में जो कम या छोटा होता है, कच्चा घडा–संज्ञा पुं० [हिं० कच्चा + घड़ा] १ वह घडा जो अावे । उसे कच्चा कहते हैं। जैसे,--जहाँ नवरी सेर से अधिक वजन मे न पकाया गया हो। की सैर चलता है, वहाँ नबरी को ही कचा कहते हैं। महा०—कच्चे घड़े में पानी भरना= अत्यत कठिन काम करना। है जो सूर्वा गपूर्ण रूप में न हो। जिसमें काट छाँट की जगह हो । जैसे,—कच्ची वही, कच्चा मसविदा ।१०, जो नियमा २. पृहा जो खूब पका ने हो । सेवर धडा । नुसार न हो। जो कायदे के मुताबिक न हो। जैसे, कच्चा मुहा०—कच्चे घड़े की चढ़ना = प्याराव या ताडी अादि को पीकर दस्तावेज । कच्ची नकल । ११. कच्ची मिट्टी का बना हुआ। मतवाला होना। नशे में चूर होना । गहागड्इ नशा चढना । पागल होना । उन्मत्त होना । बहकना । गीली मिट्टी का बना हुआ । जैसे,—कच्चा घर । कच्ची दीवार। महा० - कच्चा पक्का = इमारत या जोडाई का वह काम जिसमे कच्चा चिट्ठा-सज्ञा पुं॰ [हिं०कृछंचा+चिट्ठा]वह गुप्त वृत्तात जो ज्यो पक्की ईंटें मिट्टी के गारे से जोड़ी गई हो। ' का त्यों कहा जाय । पूरा भर ठीक ठीक व्यौरा ।। १२ अपरिपक्व । अपटु । अव्युत्पन्न । अनाडी । जिसे पूरा महा०—कच्चा चिट्ठा खोलना=गुप्त भेद खोलना । गुप्त बात अभ्यास न हो।-व्यक्तिपरक) । जैसे—वह हिसाव में बहुत को पूरे ब्यौरे के साय प्रकट करना । उ०—चलो, बस अव कच्चा है। १३ जिसे अभ्यास न हो। जो मजा न हो । जो वहुत न वको। नहीं तो मैं जाके वेगम साहब से जड दूगी किसी काम को करते करते जमा या वैवा न हो । वस्तुपरक) । जैसे, कच्चा हाथ । १४ जिस का पूरा अभ्यास न हो। कच्चा चिट्ठा ।—सैर०, पृ० २८ । जो मैत्री हुमा न हो। जैसे,—कच्चा खेत, कच्चे अक्षर । कण्चा चुना संज्ञा पु[हिं० कच्चा+चुनाचूने को की जो पानी में जैसे,—जो विषय कच्चा हो उसका अभ्यास करो । न वुझाई गई हो । कच्चा-सुज्ञा पुं० १. दूर दूर पर पुडा हुआ ताने का बह डोम जिसपर कच्चा जिन-सज्ञा पुं० [हिं० करचा+प्र० जिन= भूत]१ जड । भूख ! दरजी वसियों करते हैं । यह डोम या चीवन पीछे खोल दी २ हठी प्रादमी । ३ पीछे पड़ जानेवाला आदमी । वह जिसे जाती है। गहरी घुन हो ।