पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/१०३

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उपस्नेहता ६१७ अपहूति उपस्वेदादनी को हक । २. मालगुजारती जायदाद की पैदावार उपस्नैहता–सुषः जी० [स०] गीलापन । ग्रार्द्रता [को०] । हार मणि गण लिए ---तुलसी (शब्द॰) । (ख) बीए उपस्पर्श-सज्ञा पु० [३०] १ छूना । २ मेल । सपर्क । ३ स्नान । गोप मेंटे ले ले के नूपण वचन सोहाए । नाना विधि उपहार ४ अमन [को॰] ।। दुध दधि अागे घरि सिर नाए ।—(शब्द०)। (ग) दह दोह उपस्पर्शन--संवा ३० [सं०] ३० ‘उपम्पनँ' चे । दिग्गजन के केशव मनहू कुमार 1 दीन्हे राजा दशरथह उपस्मृति--सुज्ञा स्त्री० [सं०] छोटे या गौण स्मृतिग्रंय । ये संख्या में दिगपालन उपहार । - केशवे (दद०)। २ शेवी को अठारह हैं, जो इस प्रकार हैं--(१) व्याने स्मृति, (२) उग्सना के नियम जो छह हैं—हसित, गीत, नृत्य हुडुक्कार, सनत्कुमार स्मृति, (३) कश्यप स्मृति, (४) स्कद स्मृति, (५) नमम्कार और जप । जावानि स्मृति, (६) कात्यायन स्मृति, (७) कपिजल स्मृति, उपहारक --संज्ञा पुं० [सं०] १. वलि । देवता की उपहार। नैवेद्य । (८) अनुक्र स्मृति, (६) नाचिकेत स्मृति, (१०) व्या स्मृति २ मॅट 1 नजर (को॰) । (११) जातकणं स्मृति, (१२) तजु =मति, (१३) लगाक्ष उपहारसवि-सच्चा स्त्री० [म० उपहारसधि] वह सधि जिसमें स्मृति, (१४) विश्वामित्र स्मृति, (१५) कणाद स्मति, (१६)। | संधि करने के पूर्व एक पक्ष को दूसरे को कुछ उपहार में देना वौधायन स्मृति, अादि कि०) । पडे । (कामद०)।। उपचवण-सच्चा पुं० [सं०] १ स्त्री का मासिक स्राव । २ प्रवाह । उपाहारिका-सज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'उपहारक' [को०] । धारा (ो०] ।। उपहारी--वि० [सं० उपहारिन्। १ मॅट देनेवाला । २ लानेवाला। उपस्वत्व--संज्ञा पुं॰ [सं०] १ जमीन या किसी जायदाद की पैदावार ३ वलि देने वाला (को०]।। उपहार्य - संज्ञा पुं० [म०] मॅट। नेजर (को॰] । उपस्वेद-संज्ञा पुं० [सं०] १. पसीना । २ नमी । अर्द्रता । ३. उपहालक-सज्ञा पु० [सं०] कुतुल देश का प्राचीन नाम [को॰] । कमः। गर्मी कि०] उपहास--सज्ञा पुं० [सं०] [वि० उपहास्य] मी ठटा । दिल्लगी । उपहंता--वि० [सं० उपहन्ना १ विपरीत प्रभाववाला। वाधक । २ निंदा । वुराई । उ०--पैहहिं सुख मुनि सुजन जन, खुल | २ अावेश में लानेवाला । ३ नष्ट करनेवाला (को॰) । करिहहि उपहास --- मानस, १ । ६ । उपहत-वि० [सं०] १ नष्ट किया हुआ । बरबाद किया हुआ । २ यो०--उपहासजनक | उपहासाहे। विगाडा हुआ । दूपित ! ३ पीडित । सकट में पड़ा हुआ। ४ उपहासक'- वि० [सं०]दूसरों को उपहास करनेवाला । दिल्लीवाज । किसी अपवित्र वस्तु के संसर्ग से अशुद्ध । ५ बात से मजाकिया [को०] । आहत (को०)। ६ अनादृत । तिरस्कृत (को०)। उपहासक-संज्ञा पुं० १ विदूषक। २ भड। भाँड। ३ नट [को०] । उपहतक-वि० [सं०] अमागा। भाग्यहीन (को॰) । उपहासस्पिद-वि० [सं०] १ उपहास के योग्य । हँसी उड़ाने के उपहतात्मा--वि० [सं० उपहत +आत्मन्] विकृत मस्तिष्कवाला । | लायक । २ निंदनीय । जिसका दिमाग ठीक न हो [को०] । उपहासी —संज्ञा स्त्री० [स० उपहास] हँसी । ठट्ठा ) निदा उपहति—समा बी० [अ०] १ प्रहार। अघात } चोट । २ हृदया। उ०---सव नृप भए जोग उपहामी ।—मानस, १ । २५१ । बघ (को०)। उपहास्य-वि० [सं०] उपहास के योग्य । हॅमी का पात्र । जिसकी उपहत्या–सच्चा स्त्री॰ [सं०] १. अग्खो की चकाचौंध । २ अाखा द्वारा मूढता की हैसी उड़ाई जा सके कि०] । व्यक्त विकारी प्रेम को ! उपहायता-- संज्ञा स्त्री० [सं०] हँसी उड़ाई जाने की पात्रता या उपहरण-संज्ञा पुं० [सं०] १ लाना। उठाकर लाना। ३ पकडना।। योग्यता 1 उपहास भाजनता [को॰] । उहण करना । ३ देवता अथवा सामान्य व्यक्ति को मॅट या उपहित--वि० [सं०] १ ऊपर रखा हुआ । स्थापिन । ३ धारण नजर देना । ४ शिकार की भेंट करना । ५ भोजन या खाद्य किया हुमा । ३ समीप लाया हुा । हृवाले किया हुया । पदार्य परोसना [को०)। दिया हुग्रा) ४ सम्मिलित 1 मिला हुआ । ५ उपाधियुक्त। उपवसंवा पु० [सं०] १ निमण । बुनाना । २ सूचना देना ।। ६ कुछ लाभकारी [को॰] । | ३ प्रार्थना करना [को०) । उपहिति--संज्ञा स्त्री० [स०] १ ऊपर रखना। २. आत्मसमर्पण (को०]। उपहसित--सच्चा पु० [अ०] १ हाल के छह भेदों में से चौथा । उपही -संज्ञा पुं० [म० उद्+पयिन्, प्रा० उप्पहि = ऊपर जाने वाले नाक फुलाकर अखें टेढ़ी करते और गर्दन हिलाते हुए। अपरिचित व्यक्ति । वहिरी या विदेशी आदमी । वायवी । हँसना । २ व्यग्य से भरा होस । उपहास (को०)। अजनवी । उ०—(क) ये उपही कोउ कु प्रर अहेरी । स्याम उहसित-वि० जिसका उपहास किया गया हो (ले०] । गौर धनुवान तूनवर चित्रकूट प्रवे ग्राय रहै री -तुलस ग्र० उपहस्तिका--सच्चा भी० [सं०] १ पान रखने का डब्बा । पानदान । १० ३४४। (ख) जानि पहिवानि बिनु अापु ते अपुनै है। पनडब्बा । २. वेग्रा (को॰] । प्रानहु ते प्यारे प्रियतम उपहीं।—तुलसी ग्र०, पृ० '३४२) उपहार–सुज्ञा पु० [सं०] १ मॅट । नजर। नजराना। उ०—(क) उपहूति-मया स्त्री॰ [न०] १. प्रामवण । पाह्वान । पुकारना । २ वरि घरि सदर बैंप चले हुरपित हिए। चेवर चीर उपहार ।। लड़ने के लिये ललकार या चुनौती [को०] । नेजाना। उ०—(क) उपहतिन ते प्यारे प्रियतम उपही घरि घरि सुदर वेष बले र