पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/९६

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संदेश • अकारी अंदेश-प्रत्य० [फा० प्रदेश ] सोचनेवाला । अभिलपी । देखने- अध–वि० [सं० अन्ध] १. नेत्रहीन । विना अखि फा। अधा । वाला । द्रष्टा । जैसे, बद अदेश । खैर अदेश । दूर प्रदेश जिसकी आँखो मे ज्योति न हो। जिसमें देखने की शक्ति ने अादि [को॰] । हो । उ०—-गुर सिप अध बधिर कइ लेखा। एक न सुने एक अदेशा-- सई पुं० [फा० प्रदेशह, 1 १. सोच । चिता। फिक्र । उ० नहि देखा ---मानस, ७५६६। २. अज्ञानी । अजानकार। मोमिन ये असर सियाह मस्ती का न हो। प्रदेशा कभी वलद व अनजान । मूर्ख । बुद्धिहीन । अविवेकी । उ०----तन्न प्रक्षिप्त पस्ती में न ही । - कविता को०, भाग ४, पृ० ४८७ ) तव विपम माया, नाथ ! अघ मैं मद व्यालादगामी ।--तुलसी २ सय । अनुमनि । सदेह । शक । ३ खटका । अाश की । ग्र०, पृ० ४८१ । ३. असावधान। अचेत । गाफिल । ४. भय । इर।४ हजं । हानि । ५ दुविधा। असमजस । मागा उन्मत्त । मतवाला। मस्त । उ०--ठौर ठौर झौरत झेपत पीछा । पसोपेश ।। भर भर मधु अध । --बिहारी र०, ४१६।५ प्रखर। अदेस -सा पुं० दे० 'आदेश' । उ०---( क ) कितक रूप गुन तीव्र (को०)। अगरी सुनत मोहि प्रदेश --पृ० रा०, १४।७। ( ख ) सो विशेप-समस्त पदो में ही प्राय प्रयुक्त, जैसे कामाध, मोहधि, अदेश होत मन मारें व व घौं मिलिव आन) रे ।—जग० घानी, क्रीघाध, जन्माध दिवोध, रायध, मदाघ आदि। मा० २, पृ० ३ ।। यो०-अधकूप ।' अधखोपडी । अदेसडा--सा पुं० [हिं० अशा अवेस + दा (प्रत्य॰)] दे॰ अध’- सम्म १० १. वह व्यक्ति जिसे अखि न ही। नेत्रहीन प्राणी। | 'अदेणा' । उ०——देमडा ने भाजिसी सदेसी कहियां । के हरि अधा। २. जल । पानी । ३ उल्लू। ४. चमगादड । ५. अध* प्राय भाजिसी, है हरि ही पासि गयौं ।-- कबीर ग्र०, १०८। कार । अधेरा। ६. कवियो के वांधे हुए पथ के विरुद्ध चलने अदेह-- सझा पुं० दे० 'अदेस' । उ०—-पुम प्रगट्ट न कीजिये । मो का काव्य सवधी दोष । ७. ज्योतिष के अनुसार एक योग तिय इय अदेह ।--१० रा०, ११५३।। (को०)। ६. परिव्राजको का एक भेद (को०)। अदीअन----सा पुं० [सं० आन्दोलन ] हलचल । भदौर। उ०-- अधक-ससा पु० [सं० अन्धक] '१. नेत्रहीन मनुष्य । इप्टिरहित सुनि अदोन राव दिट । रिझाए स्रव सा६ ।।–१० रा ०, व्यक्ति । अध।। २ कश्यप और दिति का पुत्र एक दैत्य। ६१।१२१६ । विशेष—इसके सहस्र सिर थे। मद के मारे अधों की नाईं चलने अदर-सम्रा पुं० [सं० अन्दोल = हलचल ] हलचल । शोर । हुला। के कारण यह अघक कहलाता था । स्वर्ग से पारिजात लाते कोलाहल । हुरल है। हल्ला गुल्ला । उ०----भहरात झहरात समय यह शिव द्वारा मारा गया। इसी से शिव को अधकारि दवानल अाया । घेरि चहू ओर घरि सार अदर बन घरनि वा अधकरिपु कहते हैं। शाकसि चहुँ पास छायो ।--सूर०, १०१५९६ । ३. कोप्टी नामक यादव के पौत्र और युधाजित् के पुत्र । क्रि० प्र०--करना = मोर मचाना । उ०—-चीन्हो रे नर प्रानी विशेप--अघक नाम की यादव की शाखा इन्ही से चली। इनके याको निस दिन करत अदोर |--कवीर श०, पृ० ११६।--- भाई वृष्णि थे जिनसे वृष्णिवशी यादव हुए जिनमें कृष्ण थे । मचना या होना = कोलाहल होना। उ०--बहू सौलीन होइ ४ वृहस्पति के घड़े भाई उतथ्य ऋषि के पुत्र महातपा नामक सख धुन करत है, घट घनघोर अदोर हावै ।--कवीर० के०, ऋपि । इनकी माता का नाम ममता था। पृ० २५ । अधकघाती--सझा पुं० [सं० अन्धकघाती ] अघक नामक असुर को अदोरा--सच्चा पुं० दे० 'अदोर' । मारनेवाले शिव [को०]।। अदल--वि० [सं० अन्दोलन] कपित। हिलती जुलती । उ०—सुभ अवकरिपु--सा पुं० [सं० अन्धफरिपु ] १. अधक नामक दैत्य के शव उच्च अदाल बीच विराज । मनो सुग्ग अारोह सोपान शिव। २ अघकार का नाश करनेवाले सूर्य । २ चद्रमा। साज ।--पृ० रा०, ६८३ ।। | ४ अग्नि । प्रकाश । रोशनी।। अदोलना--क्रि० स० [सं० अन्दोलन ] हिलाना। हुलाना । अधकशत्तु-सी पुं० [सं० अन्धगद् ] शिव [को०]। । चु०-मुप पीय पानि अदोलि वारि। अच्चयौ अप्प भातम अधकार--संज्ञा पुं० [सं० अन्धकार ] १. अँधेरा।। प्रधारि ।--पृ० रा०, ६१1१६१७ ।। विशेष---महा अघकार को अधतमस, सर्वव्यापी वा चारो ओर के अदोलित--वि० [सं० प्रान्दोलित ] अादोलित । हिली हुली । उ:-- अधकार फो सतमस मोर थडे अधकार को प्रवतमस कहते हैं। जल अदलित सो भई उदै होत वर भान -- २ अज्ञान। मोह। ३ उदासी । कातिहीनता । जैसे—उसके पृ० रा०, २॥९० । । चेहरे पर प्रधकार छाया है (शब्द॰) । अदोह---सूझा पुं० [फा०] १. शोक । दुवै। रज । खेद । उ०--- अधकारमय--वि० [सं० अन्धकारमय ] अबकार से युक्त [को० ] अ सिंध विनास्यो घनिक सुत कन्या किय अदोह --पृ० रा०, अधकारसचयसमा पु० [सं० अन्धकारसञ्चय ] घना अघकार । महा १।३४६। २. तरद्द । खटका । असमजस । सदेह । अकार [को०]।। अधकारि--सद्य) पुं० [सं० अन्धकारि] शिव । शकर [को॰] । अद्रससत्र--संज्ञा पुं॰ [ सै० इन्व्रशस्त्र] वज्र [ हिं० ]। अद्रि-- सम्रा पुं० [सं० अद्वि] अहिं । पर्वत । उ०—अवर बरपै अधकारी-सा स्त्री॰ [ सं० अन्धकारी ] भैरव राग की gf= धरती निपज, अद्रि बरषदाई --रामानद०, १० १३ । | से एक। एक रागिनी । दे० 'रागिनी' ।