पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/७८

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| | अंडककडी अंडाकार कि अडककडी--सज्ञा स्त्री॰ [ मै० अण्डकर्कटो ] दे० 'अडकर्कटी' (को०] । अडवर्धन--सच्चा पुं० [सं० अण्डवर्धन ] दे० 'अडवृद्धि' [को०] । अडकटाह--मझ। पुं० ( स० अण्डकटाह ] ब्रह्माड । विपद । लोक- अडवदिध---संज्ञा पुं० [सं० अण्डवृद्धि ] एक रोग जिसमे अडकोश बा मडल । उ0-एहि विधि देखत फिर मैं अडकटाह अनेक |-- फोता फलकर बहुत बढ़ जाता है । फोते का बढ़ना ।। मानस, ७८० । अडकर्कटी-- मुझ स्त्री० [सं० अण्डकर्कटी] पपीता। अड खरबूज [को०] 1. विशेप---शरीर की दिगडी हुई वायु या जल नीचे की ओर चलअडकोटरपुष्पा-सा स्त्री० [ सं० अण्डकोटरपुष्पा ] ३० ‘अष्टकोटर कर पेड के एक अोर की सधियों से होता हुअा अडकोष मे जा पुष्पों' (को०)। पहुँचता है, और उसको बढाता हैं। वैद्यक में इसके वातज, अडकोटरपुष्पी--सा स्त्री० [सं० अण्डकोटरपुष्पी ] नील अपरा पित्तज आदि कई भेद माने गए हैं। जिता । नीलवह्ना । नीलपुष्पी । अजत्नी (को॰] । अडस--सच्चा पुं० [सं० अन्तस् प्रा० * अडस् = बीच मे, दाब में ] अकोश---सी पुं० [सं० अण्डकोश ] १ लिगेंद्रिये के नीचे चमड़े कठिनता। कठिनाई । मुश्किल । सकट । असुविधा ।। की वह दोहरी थैली जिसमें वीर्यवाहिनी नसें और दोनो गुठ- अडसू-वि० [सं० अण्डसू 1 अडे से पैदा होनेवाला । अडज [को०]। लियाँ रहती है। दूध पीकर पलनेवाले उन समस्त जीवो को अडा--सञ्ज्ञा पुं॰ [सं० अण्डक, प्रा० अडअ } [ वि० अडेल ] १ बच्चो यह कोश वा थैली होती है जिनके दोनो अंडे वा गुठलियाँ पेड को दूध न पिलानेवाले जतुओं के गर्भाधाय से उत्पन्न गोल पिंड से बाहर होती हैं। फोता। खुशिया। अहिं । वैजा । वृषण । | जिसमे से पीछे से उस जीव के अनुरूप बच्चा बनकर निकलता २ व्रह्माड । लोकमल । सपूर्ण विश्व । उ०—जा बल सीस है । वह गोल वस्तु जिसमे से पक्षी, जलचर और सरीसृप' धरत सहमानन। अंडकोश समेत गिरि कानन --तुलसी अदि अड्ज जीवो के बच्चे फूटकर निकलते हैं। वेजा। ( शव्द०)। ३ सीमा हद । ४ फल का छिलका। फल के उ०-अदा पाले काछुई दिनु थन रखि पोक |--कबीर सा० ऊपर का वोकला । ५ फल (को॰) । सं०, भा० १, पृ० ८१ ।। | अडकोष----सज्ञा पुं० [सं० अण्डकोष ] दे० 'अडकोश' (को०] । मुहा०—अडा उडाना=(क) वहुत झूठ बोलना। वे पर की उडान। अडकोपक-सुच्चा पुं० [सं० अण्डकोषक ] दे॰ 'अडकोश-१' [को०)। (ख) असभव को सभव कर दिखाना । अडी खटकना = अडा अडकोस--संज्ञा पुं० दे० 'अडकोश-२'। उ०--प्रहकोस प्रति प्रति फुटने के करीब होना । जच्च अडे से बच्ची निकलने मे एक अघि निज रूपा। देखेउ” जिनस अनेक अनूपा '--मानम, ७/८१ ।। दिन रह जाता है तो उसके भीतर के बच्चे का अडे के छिलके |अज-सज्ञा पुं० [सं० अप्डज ] अड़े से उत्पन्न होने वाले जीव, जैसे ।। पर चोच मारना । अडा ढीला होना=(क) नस ढीली होना । | सर्प, पक्षी, मछली, अछा इत्यादि। ये चार प्रकार के जीवो थकावट आना । शिथिल होना । जैसे, यह, काम सहज नही है, अडा ढीला हो जायगा (शब्द॰) । (ख) खुवखे होना । निद्रव्य |अज-वि० [ सं अ' इज ] अडे से उत्पन्न [को०] । होना । दिवालिया होना । जैसे, खर्च करते करते अढे ढीले हो अजराय---- सज्ञा पुं० [सं० अप्डज+प्रा० राय ] पक्षियों के राजा । गए ( शब्द०)। अडाँ सरकना = (क) दे० 'भाडा ढीला गरुहो । उ०--उदर मझ सुन अजया । देखेच बहु ब्रह्मा होना'। (ख) हाथ पैर हिलाना। अग होलाना। उठना । निकाया ।--मानस, ७/६० ।। जैसे, बैठे बैठे बताते हो, अडा नही सरकता (शब्द॰) । अडा || अडजा-सच्चा स्त्री॰ [ सु० अण्डजा] वस्तूरी ।। सरकाना = हाथ पैर हिलाना। अग डोलानी । उठना। उठ| अडजात--संज्ञा पुं० [सं० अप्जात ] अडे से उत्पन्न जीव, जैसे सर्प, कर जाना । जैसे, अब अडा सरकाो तव काम चलेगा मछली, छिपकली, पक्षी इत्यादि [को०)।' (शब्द॰) । प्राय मोटे या व अडकोश वाले अदमी को लक्ष्य अडजात–वि० दे० 'अडज' (को०)। केर' यह मुहावरा बना हैं । अढे लडाना = जुवारियो को एक अडजेश्वर-सज्ञा पुं॰ [सं० अण्डनेश्वर ] पक्षिराज । गरुड [को॰] । खेल जिसमे दो आदमी अहे के सिरे लड़ाते हैं। जिसका अडा अडदल-म पुं० [सं० अण्डदल ] अडे का छिलका या खोल [को॰] । फूट जाता है वह हारा समझा जाता है । अडे का मलूक = सीधा अडघर—सज्ञा पुं० [सं० अण्डधर ] शिव [को० ]।। सादा अादमी । अनुभवहीन व्यक्ति । अहे का शाहजादा = वह अडवड-सा पुं० [सं० अकाण्डविकाण्ड, प्रा० अर्ड विड ] १. व्यक्ति जो कभी घर से बाहर न निकला हो । वह जिसे कुछ असवद्ध प्रलाप । वे सिर पैर की चात । ऊटपटांगे। अनाप शनाप । अनुभव न हो । प्रदे सेना = (क) पक्षियों का अपने अड़े पर अगडवगड । व्यर्य की बात ।३ गाली । वुरी वात् । अपवाद। गर्मी पहुंचाने के लिये वैठना। (ख ) घर में बैठ रहना। बाहिर । क्रि० प्र०--कहना |--वकना -वोलना। न निकलना । जैसे, क्या घर में पडे पडे अडे सेते हो ( शब्द० ) । अडवड-वि० असबढे। वे सिर पैर का । इधर उधर का । अस्त अडा व्यस्त। व्यर्थ का । प्रयोजन रहित । उ'--'जब उसने उन प्रश्नो –सच्चा पुं० [ सं० अण्डक ] शरीर । देह । पिंड । अडा के उत्तर अड़बड दिए तो उसपर" ।'--भारतदु ग्र०, भा० १, उ०--प्रासन घासन मानुष अडा 1 भए चौख जो ऐस पृ० १६७। पखडा-जायसी (शब्द॰) । " अङ्कर संक्रटरी----सम्रा पुं० [अ० 1 वह मंत्री जो मुख्य मैत्री के अधीन अडाकपेण-सपा पुं० [सं० अण्डाकर्षण ] नपुंसक बनाना [को० 1। हो । सहकारी सचिव । सहायक मनी । जैसे, अडर सेक्रेटरी अडाकार-वि० [सं० अण्डाकार ] अड़े के अाकार का । वैजावी । उस फार इडिया ( सहकारी भारत सचिव ) । परिधि के प्रकार का जो अडे की लबाई के चारो ओर रेखा खींचने से बने । लवाई लिए हुए गोल । ।