पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/७५

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१४ अंजलिका अंजने । अजन-सा पुं० [अ० एजिन दे० 'इजन' । ३०--जो जान देना अजनाधिका--सल्ला सी० [सं० अञ्जनाधिका] एक प्रकार की छिप- हो ये जन से कट मरो एक दिन |---मविता को०, भा० ४, कली [ क० ]।। | पृ० ६३२।। अजनानदन--सज्ञा पुं० [सः अञ्जनानदन] अजना के पुत्र । हनुमान । अजन-सा पुं० [सं० अर्जन, प्रा० अज्जण ] उपार्जन । कमाना। अजनावती--सच्चा स्त्री॰ [सं० अञ्जनावती] १ उत्तरपूर्व के दिग्गज अजनक---सज्ञा पुं० [अजनक 1 सुरमा [को० ]। | की स्त्र । २ वे लिजिन नामक एक वृक्ष [को॰] । अजनकेश----सह्या पुं० [ से० अञ्जनकेश ] दीपके । दाय। । चिराग । अजनिका--सच्चा सी० [सं० अनिका) १ एक प्रकार की छिपकली । अजनकेशी"--संज्ञा स्त्री॰ [ सं० अञ्जनकेशी ] नख नामक सुगद्रव्य २ छोटा चुहियो । ३ दे० 'अजनावती' [को०]। जिसके जलाने से अच्छी महक उठती हैं। हट्टविलासिनी । अजनी-- सज्ञा स्त्री० [सं० अञ्जनी] १ हनुमान की माता अंजना। नखी । उ०--दूत राम राय को र पूत पूते पोन को तू, अजनी को नदन अजुनकेशी–वि० सी० अजन सदृश काले खोलवाली स्त्री [को० ]। प्रताप भूरि भानु सो । --तुलसी ग्र०, पृ० २४८ 1 २ माया । अजनगिरि–स पुं० [सं० अञ्जन गिरि ] नीलगिरि पर्वत ।। ३ वह स्त्री जिसने चंदनादि वा लेप लग्यो हो । ४ एक अजनता--सद्मा जी० [सं० अञ्जनता] पहचान [को०]। काष्ठौषधि । कुटकी ।५ कोलाजन नामक वृक्ष (को०) ! ६ अजननामिका---सज्ञा स्त्री॰ [ मं० प्रजननामिका] पलकों पर होनेवाली आंख की पलक की फुसी । विननी । फुसी । दिलनी । अजनीकुमार--सच्चा पुं० [सं० अञ्जनी+ कुमार ] अजनी के पुत्र । - अजनशलाका--सम्र सी० [सं० अञ्जनशलाका ] अमन या सुरमी मान । उ०--वि गरी सवार अजनीकुमार कीजै माहि जैसे लगाने के लिये जस्ते वा स से की सलाई। सुरमचू । । होत अाए हनुमान के निवाजे हैं --तुर सी० ग्र०, पृ० २५१ । अजनसार- वि० [सं० अजन + हि० सारना] सुरमा लगा हुआ । अजन अजवार--सा पुं० [फा०] मध्य एशिया की फरात नदी के किनारो युक्त । अजा हुआ। जिसमे अजन सारा यो लगाया गया हो। पर होनेवाला एक पौधा जिसकी जद को कहा और यशवंत च०--एक तो नैना मद भरे दूजे अजनसार । ए बौरी को हकीम लोग सर्दी और वफ के रोगो मे एव रक्तस्राव बद करने देत है मतवारे हथियार (शब्द॰) । के लिये देते हैं । इद्राणी । 4 जनहारी-सशः स्त्री० [सं० अञ्जन +फारिन्] १ अखि की पलक अजर -वि० सं० उज्ज्वल]। उज्ज्वल जिला उ०--सित अजर रे की फुसी । विलनी । गुहाजनी । गुहाई । अ जना । एक रजनीय पुरनि ग व पग घारिय ।--पृ० १०, ११३४८ । कीडा । भु गी ।२ एक प्रकार का उडनेवाला कीडा । भै गो नामक अजरपजर-- सच्चा पै० [अनुध्व० सं० पञ्जर] देह का वद । शरीर एक कीडा ।। का जौह। ठठ । पसली । हड्ड। पसलीं। विशेष—इसे कुम्हारी या विलनी भी कहते हैं । यह प्रायः दीवार मुहा०----अजर पजर ढीला हे ना= शरीर के जोड़ों का उखडना के कोनों पर गीली मिट्टी से अपना घर घनता है। कहते हैं, इस बा हिल जाना। देह वा वद वेद टूटना। शिथिल होना । मिट्टी को घिसकर लगाने से अाँख की घिलनी अच्छी हो जाती लस्त होना। अजर पजर तोड देना = अग भग करके बेकाम है। इसी कीडे के विषय में यह प्रसिद्ध है कि वह दूसरे की को पकड कर अपने समान कर लेता है, जैसे, भई गति कीट भृग की कर देना। अजरपजर--क्रि० वि० अगल बगल । पार्च में। नाई । जहें तहँ मैं दुखी रघुराई । --तुलसी० ( शब्द०)। अजरि–सधा सी० दे० 'अजलि' । अजना--संज्ञा स्त्री० [ से अञ्जना] १ कुजर नामक वेदर की पुत्री । और केसरी नामक बदर की स्त्री जिसके गर्भ से हनुमान उत्पन्न अजल-सज्ञा पुं० [सं० अञ्जलि] दोनो हथेलियों को मिलाकर बनाया हुए थे । हनुमान की माता । कही ही अजना को गौतम की हुआ सपुट वो गड्ढा जिसमे पानी वा श्रर कोई वस्तु र पुत्री भी लिखा है । २ ख की पलक के किनारे पर हाने सकते हैं। उ०--अजल भर अटा साई । वेटा जीवै वाली एक लाल छोटा फुसी जिसमे जलन और सुई चुभने के माई का |--(फकीरो की बोली ) । समान पीडा होता है। विलनी । गुहाजनी । ३. दो रग की श्रा की अजल--सक्षा ० दे० 'अजली' । भजन छिपकली । ४ उत्तर पूर्व के दिग्गज सुप्रतीक की स्त्री (को०)। अजल -सा पु० दे० 'अन्नजल'। उ०---जब अजल मंह सोवा अजना---सज्ञा पुं० १. एक जाति को मोटा धान जो पहाडी प्रदेशों में समुद न सेवा जागि। अब घरि काढ मच्छ जिमि पानी काढत होता है। २. एक पहाड । आगि ।--जायसी (शब्द॰) अजना७---क्रि० स० [ स० अञ्जन] ३० जना । उ०---- अजला--सझा पुं० दे० अजल । ( क ) कालिदी न्हावहि न नयन अजलि----सच्चा स्त्री० दे० 'अजली' । ने न मृगमद 1-पृ० रा०, २॥३४६1 ( ख ) जया सुजन अजि दृग साधक सिद्ध अंजलिक---सा पुं० [सं० अञ्जलिक] अर्जुन के बाणों में से एक का सुजान ।---मानस, ११।। नाम [को॰] । अजनागिरि--सच्चा पुं० दे० 'अजनगिरि [को०]। अजलिकर्म--स। पुं० [सं० अञ्जलिकर्म] जुड़े हाथो से नमस्कार अजनाद्रि--सुझा पुं० [सं० अञ्जनाद्रि ] अजन नामक पर्वत जिसका करने का कार्य [को॰] । उल्लेख सस्कृत ग्रंथों में है। यह पश्चिम दिशा में माना अजुलिका-~-सच्चा स्त्री० [सं० अञ्जलिका] १. एक प्रकार की छोटी जाता है। चुहिया। २. लजाघुर। छुईमुई [को०]।