पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/६७

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अंगदा अंगयष्ट अगद'-.-मक्षा भी० [सं० अङ्गदा ] दक्षिण दिशा के दिग्गज की पत्नी । २ मोहित पारने की स्त्रियों की चैप्टा । स्त्रियों की कटाक्ष अादि अगदा--वि० स्त्री० अगदान करनेवाली ( स्त्री ) । क्रिया 1 अगभगी ।। अगदान-पंझा पुं० [ अङ्ग - दान 1 १ पीठ दिखलाना । युद्ध से अगभग’--वि० जिसके शरीर का वा पोई भाग खटित है। या टूटा है।। भागना । लडाई से पीछे फिरना। २ तनुदान । अगममर्पण।। जिसके हाथ पैर दृटे हो । अपहज । नँगडा लूला । लुज । सुरति । रति । ( स्त्रियों के लिये प्रयुक्त ) । | निः० प्र०----करना । उ०----अगभग करि पवई बदर । --तुल। क्रि० प्र०—करना == (१) पीठ दिखलाना, भागना, पीछे फिरना । (मदद०) । --होना । जैसे--उमा अगभग हो गया |-- (२) रति करना, संभाग करना । ( शब्द॰) । अगदीया--सक्षा नी० [सं० अङ्गदीया ] कारुपय नामक देश की नगरी अगभगि--8) झी० ३० "अगभग।' । उ०--प्रग मगि म व्योम मरोर, जो लक्ष्मण के पुत्र अगद को मिली थी । भौहों में तारो के झीर ---पन्लव, पृ० ३३ ।। अगद्वार--सझा पुं० [ स० अङ्गहार ] शरीर के मुख, नासिका आदि अगमगिमा-सद्मा उनी० दे० 'अगभगी' । उ०—-ममोहन विभ्रम अभदस छेद । । गिमा में अपठित । -ग्राम्या, पृ० २० । अगद्वीप-सज्ञा पुं० [अङ्गद्वीप ] छह द्वीपों में से एक । | अगभगी--सा पुं० [सं० श्र+मङ्गी ] न्त्रियों की माहित करने की अगधारी--सञ्ज्ञा पु० [सं० अङ्ग + धारिन् ] शरीर धारण करनेवाला । चेप्टा । न्द्रियों की चेटः । दा । ४०--बह अनगपीडा अनुभव शरीरी । प्राणी । सा गगियो या नर्तन । --म।मायनी, पृ० ११ ।। अगन--संक्षे पुं० [सं० अङ्गन ] १ अाँगन । सहन । चौक [ उ०--घर । अगभाव--सी पुं० [सं० अङ्गभाव ] मगीन में नेत्र, भृकुटि और हाय अगन गायन पिकि जमुना जल वन कुंज ।--पृ० २०, अादि अगो रो मनोविकार का प्रकाशन। गाने में फरीर की २५५६ । विविध मुद्राओं द्वारा वित्त के उद्वेग यी अभिव्यक्ति । अगना--सद्या स्त्री॰ [सं० अङ्गना ] २ सुदर अगवाली स्त्री । २. स्त्री । अगभू’---समा पुं० [सं० श्रझर] १. पुढे । २. वामदेव (को०)। कामिनी । उ०—वीच परी अगना अनेक अाँगननि के --ये शव अगभू-वि० शरीर या मन में उत्पन्न फो०] । ग्र०, भा० १, पृ० १८३ । २ सार्वभौम नामक उत्तर के दिग्गज अगभूत--सच्चा पुं० [अ० अङ्गभूत ] पुत्र । बेटा । की स्त्री । ४ कन्या राशि (को०)। ५ वृष, कर्क, कन्या, अगभूत--वि० १ अग में उत्पन्न | देह से पैदा । २ अंतर्गत । वृश्चिक, मकर र मीन राशियाँ (फो०) । अगनाप्रिय---सज्ञा पुं० [सं० अङ्गनाप्रिय ] १ अशोक में। पेड। २. | भीतः । अत त । ३ . गौण 1 अप्रघान ।। उत्तर दिशा का इस्ती (को०)। अगभग(५--सा मुं० [ मु० अङ्ग --मन या भङ्ग, प्रा० अंगमग ] अगनाप्रिय-वि० स्त्रियों का प्यारा [को॰) । अंग प्रत्यग । हर एक अवयव ! उ०-फुदन पति अगभग जनु चद किरनि सिर --पृ० रा०, १४,७४ । अगन्यास-- सच्चा पुं० [सं॰ अङ्गयोस ] तन्न शास्त्र के अनुसार मत्रो को अगम(५:--सा पुं० [सं० अगम ] अगम । प्राना । अवाई । पढते हुए एव एक अग छून। सध्या, जप पाट शादि में पूर्व उ०---तिन रिपि पूछी तोहि व वन सन्नि इत अगम ---पृ० की जानेवाली एक विधि । रो०, १२६४ । ऋगपाक-सझा पुं० [ सर अङ्गपाफ 1 अग। या पवना या सफर उनमे । अगमनाG---त्रि० स० दे० 'अगवना' । ६०--(क) पायान राय जयमवाद भरना । अग पकने का र!गे । चद को बिगरि पिव्य कुन अंगमै --पृ० रा०,६११०६० | अगपालिका--सज्ञा स्त्री० दे० 'अकमालिका' (को०)। (ख) को अगमै सु जम्म अम्म को करे सँघारन !--पृ० रा०, अगपाली--संज्ञा पुं० [सं० अङ्गपाली ] १. आलिंगन । अंववार । ६१।१०६०। २ वेदिका नामक गधद्रव्य (को०) । | अगमर्द-सज्ञा पुं० [सं० अङ्गमदं ]। १ अग मलनेवाला या यि पर अर्गप्रायश्चित्त--संज्ञा पुं० [६० अङ्गप्रायश्चित्त ] स्मृतियो में कथित दबानेवाला नकर । मवाहक । सेवक । २. एक प्रकार या वात अशौच मै दान के रूप में किया जानेवाला प्रायश्चत्त जो शरीर रोग । हड्डियों का दर्द । हेडफूटन रोग ।। की शुद्धि के लिये किया जाता है [को०] । अगगर्दक-स्सा पुं० [सं० अङ्गमर्दक ] अगमर्द । सवाहक (को॰] । अगप्रोक्षण--सुद्धा पु० [सं० अङ्गप्रोक्षण ] मग पोछना । देह पोंछना अगमर्दन- सज्ञा पुं० [सं० अङ्ग मर्दन] अगो की मालिश । देह । शरीर को गीले कपडे से मलकर साफ करना । दवाना। हाथ पैर दवाना।। अगफुरन--सच्चा ५० [सं० अङ्ग + स्फुरण, प्रा० अप० फुरण] अग का अगमर्दी--- ५० [सं० अङ्गम ] संवाहक। अगमर्दबा । फडकना । उ०---अगफुरन तं निज मतग मन रग पिछानत |-- अगमर्ष--सा go [ १० अङ्गमर्ष ] अगों की पीड़ा। वातरोग रत्नाकर, भा० १, पृ० ११७ । (को०] । अगवी --सबा पुं० [फा० 1 मधु । शहद । उ०--ताअत में ता रहे अगयज्ञ---संज्ञा पुं० [सं० अङ्गयज्ञ ] प्रधान यज्ञ का आगीभूत यज्ञ मय को अगवी' की लाग ।---ौर०, भा० १, पृ० ५२७ । कौ । अगभग'-सच्चा सं० [सं० अङ्गभङ्ग] १ किसी अवयव का खंडन या अगयष्टि--सच्चा स्त्री० [सं० अङ्गयष्टि ] शरीर की पतली प्राकृति नाश । भग का खंडित होना । शरीर के किसी भाग की हानि । । [वै] ।