पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५९६

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ईशिता ५२६ ईपिका ईशिता--सज्ञा स्त्री० [सं०] १ आठ प्रकार की सिद्धियो में से एक ईश्वराचीन--वि० [सं०] ईश्वर के इच्छानुसार होनेवाला [को०)। जिससे साधक सव पर शासन कर सकता है। २. ईश्वरत्व | ईश्वरी-सच्चा स्त्री० [सं०] १. दे० 'ईश्वर' । २ नाकुनी, क्षुद्र जटा, ३, प्राधान्य । । बश्या कर्कटी, लिगिनी अादि पौधे को] । ईशित्व--संज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'शिक्षा' ।' ईश्वरी-वि०, दे० 'ईश्वरीय' (को०] । | ईशी----वि० [ सं० ईशिन् ] १. शासन रखनेवाला ।२. प्रधानता ईश्वरीय---- वि० [सं०] १.ईश्वर मवधा । ३०-है भाव सत्र के अनन ' रखनेवाला [को०] । पर ईश्वरीय प्रमाद के --भारत०, पृ० ६५ ।। ईशी’---सज्ञा पुं० १ देवता । २ पति । ३ मालिक । स्वामी [को०)। ईश्वरोपामना --मक्षा नी० [स०] ईश्वरसेवा । ईश्वर की पूजा (वै] ईश्वर'--संज्ञा पुं० [सं०] [श्री० ईश्वरी] १. मालिक । स्वामी । प्रम् । ईप ---भज्ञा पुं॰ [सं०] १ आश्विन मास । कुमार । २. शिव का एक ३. योगशास्त्र के अनुसार क्लेश, कर्म, विपाक शौर ग्रामात्र से | गण । तृतीय मनु के एक पुत्र का नाम [को०] ।। पृथक् पुरुपबिशेप । परमेश्वर । भगवान् ।। । ईपण -वि० [१०] शीघ्रता या जल्दी करनेवाला (को०] । यौ०-ईश्वरप्रणिधार्न । ईश्वराविष्ठान । ईश्वराधिष्ठिर । ईवणा---सज्ञा स्त्री० [म०] १. शीघ्रता । तेजी। २ तेज गति [को०। ईश्वराधीन । ईपत्'- वि० [स०] थोडा । कुछ। कम । अस।। ३. महादेव । शिव । ४. रामानुजाचार्य के अनुसार तीन पदार्थों य०.--ईपद् उष्ण । ईपद् हास्य । में से एक जो संसार का कर्ता, अपादान, अतर्यापी और ऐश्वर्य ईपत’---क्रि० वि० कुछ कुछ। अल्प रूप में । प्राणिक रूप में कि०] ! तथा वीर्य प्रादि से संपन्न माना जाता है । ( शेप दी पदार्थ ईपतकर-वि० [सं०] १. अमिक में करनेवाला । कम करनेवाला । । • चित्.और अचित् हैं)। ५. राजा । ६. यति । ७. पारद । पारा । ६. पीतल । ६ कामदेव । पुष्पधन्वा (को०) । १० एक ईपकार्य-वि० [सं०] १. अत्यंत मान ! २ अल्पत्र मावयुक्त क]ि । सवत्सर [को०)। - ईषत्पुरुष-सज्ञा पुं० [सं०] शुद्र व्यक्ति (को०] । ईश्वर--वि० समर्थ । शक्तिमान् । सपन्न । । इयत्स्पृष्ट-संज्ञा पुं० [स०] वर्ग के उच्चारण में एक प्रकार की प्राभ्यईश्वरता--मज्ञा स्त्री॰ [सं०] ईश्वर की भावना । ईश्वर भाव 1 उ०-- तर प्रयत्न जिसमे जिह्वा, तालु, मूर्धा अौर दत की तथा दाँत, (क) नाहि ईश्वरता अटकी वैद में ।-भारतेंदु गु ०, मा० २, अोष्ठ को कम स्पर्श करता है । 'य', 'र', 'ल', 'व' ईपत्स्पृष्ट पृ० १३४ । (ख) यदि जग में है ईश्वरता तो है मनुष्यता में वर्ण हैं। ही ।—सागरिका, पृ० ८० ।। ईवद्--वि० [सं०] दे० 'ईपत्' । ईश्वरनिषेव--संज्ञा पुं० [म०] ईश्वर में अविश्वाम् । नास्तिकता कौ। हैपद-वि० [सं० ईपद, हि० पद ] दे० 'ईपद्' । ईश्वरनिष्ठ-वि०[सं०] ईश्वर में विश्वास या निष्ठा रखनेवाना (को०]। ईदहास -भज्ञा पुं० [सं० ईपहास] हल्की हँसी । मुस्कराहट । ईश्वरपूजक-वि० [सं०] १. ईश्वर की उपासना करनेत्रा 1 । २. ३०-ईपदास दत दुति विगसित मानिक मोती धरे जनु पवित्र [को० । । पोई 1-H०, १०॥२१० । ईश्वरप्रणिधान--संक्षा पु० [म०] योगशास्त्र के अनुसार पाँच प्रकार इंपदा ----f० [सं०] कुनकुना । कुछ कुछ गरम का]" के नियमों में से अतिम एकग्रियानात्मक ! ईश्वर में प्रत्यन ई अदृशन---मज्ञा पुं० [सं०] १. माघारण दृष्टि । स्वल्प दृकुवात । २ श्रद्धा और भक्ति रखना तया अपने सब कर्मों के फ ो को उसे वितवन [को०)। अर्पित करना। ईपद्धास सजापु० [म० ईपद् + हास्य] हल्की मुमकीन । मुम्कराहटको०]। ईश्वरप्रसाद--सा पुं० [सं०] भगवान की कृपा [को०] १ ईपना -सजा मौ० [म० एपण] प्रबल इच्छा । उ०—-मुत वित ईश्वरभाव-सज्ञा पु० [सं०] १ प्राधान्य । २ ऐश्वर्य । ३ सामर्थ्य [को०] 1 लोक ईपना नीनी । केहि कै मति इन्हें कृते न मनीनी --- ईश्वरवाद--सा पुं० [सं० ईयर+वाद ! ईश्वर को जगत् का कर्ता मानम, ७७१ । माननेवाला मत जिसमें भगवान् के दया दाक्षिण्य की झनक

  • ईग्न भ----वि० [सं०] अल्प मूल्य मै उजव्य (को॰] । जगत् के नाना रूपों और व्यापारो मे रहस्य की दृष्टि से देखी ई -सज्ञा स्त्री० [म०] गाडी या हल में वह नवी लकडो जिम के मिरे जाती है । उ०-ईसाइयों में जो रहम्प मावना प्रवनित थी वह

पर जुम्रा बाँध कर वैन को जोतने हैं । हुरमा । हुरिन । ईश्वरवाद के भीतर थी ।-चितामणि, भा॰ २, पृ० १४०।। ईपादंइ--सज्ञा पुं० [सं० ईयादण्ड ] हल की मूठ (को०] । ईश्वरवादी---वि० [सं० ईश्वर+यादिन] ईश्वरवाद का अनुयायी। ईपादत-सुज्ञा पुं० [सं० ईयादन्न] १, लुवे दांत का हाथी । २. ईश्वरविभूति-सट्टा बी० [सं०] परमात्मा के विभिन्न स्वरूप (को०)। ईश्वरसख-सज्ञा पुं० [सं०] शिवजी के सूखा, कुवेर । | हुल की मूठ । ३. हाथी के दाँत [को०] । ईश्वरसद्म-सुज्ञा पुं० [सं०] देवालय। मंदिर [को०] । ईपादत--वि० सर्वे दाँतोदाला (को०) । ईश्वरसेवा-सज्ञा स्त्री० [सं०] परमात्मा का पूजन अर्चन [को०] । ईपिका--सा जी० [सं०] १ हायी की अब का पोइरी या गोषक। इपिका-सझा जा° [सं०] १ हाय ईश्वरा--सज्ञा झी० [सं०] १. दुर्गा । २ लक्ष्मी । ३. शक्ति [को०] । १ चित्रकारी मे रग भरने की कन्नम । कैची। ३. बाण । ४. सिरकी । सीक । नौक*- 5