पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५८७

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इश्क आज ५२० इष्टता प्रेम । लगने । अनुराग । शासक्ति । उ०--गम बहुत दुनिया मे इषु--सज्ञा पुं० [सं०] १ वाण । तीर। २. क्षेत्रगणित में वृत्त के है पर इश्क का गम अौर है । है इसी आलम मे लेकिन उनका अतर्गत जीवा के मध्यबिंदु से परिधि तक बीवी हुई सीधी आलम और है ।-- कविता कौ०, भा० ४, पृ० २२८ । रेखा । दे० 'शर' । ३ पाँच की संख्या ।। यौ० -इश्कमजाजी = लौकिक प्रेम । वासनायुक्त प्रेम। इश्क- इषुकार---सच्चा पु० [सं०] बाण वनाने का काम करनेवाला हो कि०]। हको = श्राध्यात्मिक प्रेम । ईश्वर के प्रति प्रेम । । इधर--सच्चा पु० [सं०] वाण चलानेवाला पक्रि । धनुर्वर को । इश्कवाज-वि० [फा० इश्कबाजु] इश्क करनेवाला । प्रेमी। [को०]। इषधि-सज्ञा पुं॰ [स] तूण । तूणीर । तरकश । इश्कबाजी-- संज्ञा स्त्री० [अ० इश्क् +फा० वाजी] प्रेम के चक्कर मे इषुधी-सज्ञा पुं० [सं० इषुवि] दे० 'इपुधि' । उ०—नेकु जही दुचितो पड़ना । उ॰--इश्कवाजी वाजिए तरज है । चाल नादाँ रह चित कीन्हो । शूर बड़ी इqधी धनु दीन्हो |--केशव (शब्द०)। गया दोना चला । -कविता कौ०, मॉ० ४, पृ० ५१४। इध्या --सच्चा जी० [सं०] गिडगिडानी । निवेदन करना [को०] । इश्कपेचाँ--सज्ञा पुं० [अ०] एक प्रकार की वेल जिसकी पत्तियाँ सूत इषुपथ--संज्ञा पुं० [सं०] वाण की मार। वाण की पडूच को । की तरह वारीक होती हैं और जिसमे लाल फूल लगते हैं । इपपुष्पा--सझा मी० [सं०] एक प्रकार का पौधा (को०] । उ०---(क) दरख्तो को सुखाता है लपटना इश्कपेच का |--- इपुमात्र-सज्ञा पुं० [सं०] घनुप के बराबर लवा एक माप जो लगभग कविता कौ०,मा० ४,पृ० ३६४। (ख) अत में जब वो इश्कपेचे तीन फुट का होता है । की देल पर जाकर बैठा तव मुझे उसके पकड़ने का समय इपमान-वि० [सं० इषुमत (इपुमान् ] बाण चलानेवाला। मिला।--श्रीनिवास ग्र०, पृ० ३९२ । तीरदाज । उ०-तव इपुमा प्रधान चलेउ इयुमान ज्ञानधर । इश्किया---वि० [अ० इश्किप्रह] प्रेमसंबधी । शृ गारिक । देवश्रवा सतान समर पर सान मान हर ।-गोपाल (शब्द०)। इश्तहार--संज्ञा पुं॰ [अ॰] बिज्ञापन । नोटिश । जाहिरात । एलान । इप्पान-मज्ञा पु० वसुदेव का भाई । देवथवा का पुत्र । उ०-- शहरो शहरो मुल्को मुल्को में उन्हीं का इश्तहार । - इप्पल-संज्ञा पुं० [सं०] किले के फाटक पर रखी जानेवाली एक कविता को०, मा० ४, पृ० १४१ ।। | प्रकार की तोप जिम में ककड़ पत्थर डालकर छोड़े जाते थे । इश्तहारी---वि० [अ०] विज्ञापित । जिसके लिये नोटिस या सूचना इष्ट-वि० [स०] १ अमिलपित । चाहा हुअा। वाछित । जैसे,-- | निकाली गई हो (को०] । (क) परिश्रम मे इष्ट फल की प्राप्ति होती है। (छ) हमे वहाँ इश्तियाक-सज्ञा पुं० [अ० इश्तियाक] १ शौक । २. इच्छा ।। जाना इप्ट नही है । २ अभिप्रेत । जैसे,—ग्र धकार का इष्ट यह अभिलाषा [को॰] । नही है । ३ पूजित । ४ अनुकून । ५ प्रिय । इश्तियाल----सज्ञा पुं० [अ०] १ दे० 'इश्तियालक' । २ भडकाना । यो०- इष्टदेव । । उत्तेजित करना । ३ लौ । लपट [को०]। इषु-सज्ञा पुं० १. अग्निहोत्रादि शुभ कर्म । इष्टापूर्त । धर्मकार्य ।२. इश्तियालक संज्ञा स्त्री॰ [ग्र०] १ वह सीक जो बत्ती बढाने के वह देवता जिसकी पूजा से कामना सिद्ध होती है। इष्टदेव । लिये दीपक में पड़ी रहती है। टहलवी । २ वढ़ावा उत्त जना। | कुलदैव । ३ अधिकार । वग। जैसे,—उसको देवी को इप्ट | क्रि० प्र० देना ! है। ४. मित्र । दोस्त । इश्तिाक ---सज्ञा पुं० [अ०] शिकरत । साझेदारी [को०] । यौ०--इष्टमित्र। इश्तिहा----संज्ञा स्त्री० [अ० इश्तिहह] १. चाह । अमिलोपा । २ ५. पति । ६ रेड का पेड । ७ ईंट । | दुमुक्षा । मूख [को०] । इष्टका--सज्ञा स्त्री० [सं०] १ ईंट । यज्ञकुद बनाने की ईंट। इप-सज्ञा पुं० [सं०] १ क्वार का महीना। अश्विन । २ बलवान इष्टकाचित---वि० [सं०] ईंटो द्वारा निर्मित किो०] । व्यक्ति । इष्टकाचिति-संज्ञा स्त्री० [सं०] ईंटो की पतिवद्ध जोडाई । उ०इषण, इपणासज्ञा स्त्री॰ [म० एपणा] प्रब ने इच्छा । कामना ! | इस स्तूप की इष्टकाचिति अपने ढप की अनूठी है ।-हिंदु० स्त्राशि । वासना । सभ्यता, पृ० ३०६ । इपणि----संज्ञा स्त्री० [सं०] १ भेजना । २ अभिलापा (कौ । इष्टकान्यास---संज्ञा पुं० [सं०] शिलान्याम । नीव रखना [को०] । इपराया----सज्ञा स्त्री० [सं०] उत्कट अभिलाषा । प्रबल इच्छा (को०)। इष्टकापथ-सज्ञा पुं॰ [Ho] १ मुगधित घास की जड । २ ईंट द्वारा इपना --सज्ञा झौ० [सं० इपणा] दे० 'इपणा' ।। निमित मार्ग (को०] । इषव्य---वि० [स०] वाणविद्या में निपुण (को०] । इष्टकाल---सज्ञा पुं० [सं०] फलित ज्योतिष में किसी घटना के घटित होने का ठीक समय । इपित----वि० [सं०] १ चलाया हुआ । २. प्रेषित । ३ उत्तेजि।। प्रेरित । ४ तीव्र । प्रचंड [को०] । इष्टगध-- -संज्ञा पुं० [सं० इप्टगन्ध] १ सुगघिन वस्तु । २. सिकता । इपीका-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ गाँडर या मूज के बीच की सीक जिसके बालू [को०] । ऊपर जीरा या 'मू प्रा होता है । २ वाण । तीर । ३. हाथी की इष्टजन-सज्ञा पु० [स०] प्रि प्रवित [को॰] । आँख का डेना। इष्टता--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] मित्रता । मिताई । दोस्ती । वात,