पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५८५

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इलेक्ट्रो' इला-सच्चा स्त्री० [सं०] १ पृथ्वी । २ पार्वती । ३ सरस्वती। वाणी । के नीचे लगा देते हैं और पत्ती की वाद देते रहृते हैं । लगाने ४, बुद्धिमती स्त्री । ५ गौ । धेनु । ६ वैवस्वत मनु को कन्या के एक ही वर्ष के भीतर यह चैत वैगाम में डूबने नगना है। जो बुध को दरही थी और जिससे पुरूरवा उत्पन्न हुपा था । थौर प्रसाद सावन तक उनमें ढोढी लगती है । मगर फातिक इहा। ७ राजा इक्ष्वाकु की एक कन्या का नाम । ६ कई में में फल तैयार हो जाता है और इम के गुच्छे या पौद तोड़ दिए। प्रजापति का एक पुत्र जो पार्वती के शाप से स्त्री हो गया था। जाते है और दो तीन दिन गुर फ7 को मन ९. एक की सख्या ।। अन्नग कर लेते हैं । एक पेट में पावे भर लगभग 5 जायची इलाका:--संज्ञा पुं० [अ० इलाकछ] १ संबध । लगाव । उ०—कंधौ निकलती है । ईगका पेड १० वा १२ बर्ष न रहना है । कुनै कछु राखे र कापनि सो इ नाका भारी भूमि की स नाका के से इलायची गुजरात होकर प्रौर प्राता में जाती थी, इसी में पताका पुन्यगान की ---पद्माकर ये ०, पृ० २६२ । २ एक से इमें गुजराती इलायची भी कहते हैं । अधिक मौजे ही जमीदारी । राजा । रियानत । उ०•• यौ ०.--इलायची डोर= इलायची की होडी । दान र त्र युधिcि5र के सन् १११ का है जो इजा का मैमूर इलायचीदाना--मज्ञा पुं० [हिं० इलायची + फ़ा दाना] १. इनामें मिला है ।--मारतेंदु ग्र, भा० ३, पृ० १३५ ।। यची को 'यो यो दान । २ एक प्रकार की मिठाई। चीनी यौ०--इलाकेदार । पागा ६ प्र। २ नायनी या पोम्ने । दाना । इलाचा-सा पुं० [देश॰] एक कप हो जो रेशम और सुत मिला और इलायचो पंड-पन्ना पुं० [देवा ०] एक प्रकार का उनी फन । बुना जाता है । इलावत ---मझा पुं० [सं०] ३० इनवृत्त' ।। इलाज-सज्ञा पुं० [अ०] १ दवा । औप ।। २. चिकित्मा । ३ निवा- इलावत, इजावत्त-सा पु० [में०1 जव ही नो व डों में से एक | रण का उपय, युक्ति या तदबीर । उ०-उदर भरने के कारनै विशेप-भागवत के अनुसार यह मुगेर पर्वत को घेरे हुए हैं । प्रानी करन इनोज ।--प० सप्नक, पृ० ३३० । | इसके उत्तर में नील, दक्षिण में निश्च पश्चिम में माल्यवान् । इलादा-वि० [हिं०] दे॰ 'अ नहुदा' । उ० शब्द पढ़ पा सुनाता है। र पूर्व में गधमादन पर्वत हैं । भेद सवसे इलादा है। सत तुलसी०, पृ० ३६ । | इनाही'.--ज्ञा पुं० [१०] ईश्वर । परमेश्वर । परमात्मा । भगवान् इलापत्र--संज्ञा पुं० [सं०] ए क नाग का नाम । खुद्रा । उ०—यह रग कौन रगे तेरे मित्र नाही --कविता इलाम-सज्ञा पुं० [अ० ऐलान] १ इत्त नानामा। २. हुक्म । चौ०, मा० ४, १० ३१३ ।। आज्ञा । उ०••ठान्यो न सलाम, मान्य माहि को इलाम, धूमधाम इलाही-वि० ईश्वर गधी । ईश्वरीय । जैसे,—क जाए हमाही । के न मान्यो रामसिंह हू को वरजा ।--मूपए प्र ०, पृ०५८। । उ०—कौन को वनेऊ ध करैया भयो कान अर का पे धों इलायची.-सच्चा स्त्री॰ [स० एला+ची, फो० 'च' (प्रत्य॰)] एक परैया भयो गजव इलाही है।-पपाकर ग्रे , पृ० २२८ । सदाबहार पेड जिसकी शाखाएं खडी ग्रौर चार से अाठ फुट तक इलाहौखर्च--संज्ञा पुं० [अ० इलाही+फा० पर्च] फज नं। अधिक ऊँची होती हैं । यह दक्षिण में कनारा, मैसूर, कुर्ग तिरुवाकुर | खर्च । वे हिसाव पचं । अपव्य ।। और मदुरा अादि स्यानो के पहाडो जगलौ में अाप से अाप इलाहीगज —सपा पु० [अ० इलाही +फ० गज] अकबर को चन्नमा होता है । यह दक्षिण में लगाया मी बहूत जाता है । हुअा एक प्रकार का गज जो ४१ शगुन (३३३ इन) का होना विशेप---इनायची के दो भेद होते हैं, सफेद (छोटी) और कानी है और जो अब तक इमारत आदि नापने के काम में आता है। {बडी)। सफेद इलायची दक्षिण में होती है और काली इलाहीमुहर-वि० [अ० इलाही + फा० मुह] ज्या को यो । प्रना। लायची या बड़ी इलायची ने पाले में होती है, जिसे वे गला खालिस । इलायची भी कहते हैं । बडो इ नाय वी तर कारी अादि तया इलाहीमुहर-सपा क्षी० अमानत । घरोहर । न्यास । नमकीन भोजनो के मसालों में दी जाती है। छोटी इ वायवी । इलाहोरात--सा जी० [अ०] रतजगे न रात । मीठी चीजों में पड़ती है और पान के साथ खाई जाती है । इलाहसिन्-सज्ञा पु० [अ० इलाही + हि ० रात] अकबर बादशाह का सफेद यो छोटो इलायवी के भी दो भेद होते हैं--पनवार की | चलाया एक सन् या सवत् । छोटी और मैसूर की वडी । मलावारी इलायची की पत्तियाँ इलिका-संज्ञा स्त्री० [मं०] पृथ्वी (को॰) । मैंसर इलायची से छोटी होती हैं और उनकी दूसरी और इलो-सज्ञा स्त्री० [सं०] छोटी त सवार । फटार [ो । सफद सफेद बारीक रोई होती है । इस का, फन गोलाई लिये इलीश, इलीष-सजा जी० [सं०] हिवरा मछली । होता है। मैसूर इनायची की पत्तियों में नाबारी से बडी होती इलेक्ट्रिक---वि० [अ०] बिजली मवधी । विज नी का । हैं और उनमें रोई नहीं होती । इसके लिये तर ग्रोर छायादार यो०-इलेक्ट्रिक पावर= विज नी की शक्ति, । इलेट्रिक लाइट = जमीन चाहिए, जहाँ से पानी बहुत दूर न हो । यह कुहरा प्रौर बिजली की रोशनी । समुद्र की ठळी हा पाकर खूब बढ़ती है। इसे घूर और रानी इलेक्ट्रिक न --वि० [अ०] विज ती सबध (को०] । दोनों से बचाना पडता है । कवार कानिक में यह बोई जाती इलेक्ट्रिीसिटो–सुज्ञा स्त्री० [अ०] विजनी । विद्युत [को०] । है अर्थात् इस की बेहुन हानी जाती है । १७-१८ महीने में जब इलेक्ट्रो'- संज्ञा पुं० [अ०] विज भी द्वारा तैयार किया है ।। । इलेक्ट्रिक पौधे चार फुट के हो जाते हैं, तब उन्हें खोदकर भुपारी के पेडो का । जैसे,—इलेक्ट्रो टाइप, इलेक्ट्रो स । लस । ।