पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५८४

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इरपी इलहामी मे यह इरशाद हुशा, कोन वैठा है उसे लोग उठाते भी इर्वारु, इवलु'- वि० [सं०] हिंसक (०] । नहीं --शेर०, भा० १, पृ० ६७७ । इर्वारु, इवलु'--"ज्ञा पुं० एक प्रकार की कडी को०)। इरफा - सच्चा स्त्री॰ [स० ईय] दे० 'ई' । उ०—इट्स देखि इरपा यौ० --इवरुशक्तिका = एक प्रकार की मुरवूजा । मन लायौ । करि के क्रोध न जल बरसायौ ।--मूर०,५ २। इवरुिक--संज्ञा पुं० [Ho] माँद के अंतर्गत रहनेवाला नबर [फो०] । रपित - वि० [म० ईपत] दे० 'ईपित' ।। इर्शाद-सज्ञा पुं० [अ०] १. प्राज्ञा। हुक्म। ३०-५ ग्राम उनकी इरसालु- संज्ञा पुं० [अ० इसलि] १ प्रेपण । २. उपहार । भेट । फरके इशारा पलट गई। गोया कि सब से होके कुछ इर्शाद इरसी-सज्ञा स्त्री॰ [देश॰] पहिए की धुरी । । रह गया ।- कविता को०, मो० ४, पृ०, ५४८ २ पथप्रदर्शन । ईरा--सज्ञा स्त्री० [सं०] १ कश्यप की वह स्त्री जिससे वृहस्पति या इर्पना--सज्ञा स्त्री० [न० एपणा] प्रबल इच्छा । ३० ---यूटी उद्भिज उत्पन्न हुए । २ भमि । पृथ्वी । ३. बाणी । वाचा । त्रिविध इर्पना गाढी । एक लालसा उर अति वाठी -1 नमी ४ जल । ५ अन्न । ६ मदिरा ) शव । (शब्द॰) । | यौ०-इराक्षीर = क्षीरसागर । इराचर = (१) ग्रोला करक । इल-सज्ञा पुं० [सं०] कर्दम प्रजापति के एक पुत्र का नाम जो वाहीक । (२) जलचर । (३) भूमि में उत्पन्न । देश का राजा था । इराज---संज्ञा पुं० [सं०] कामदेव [को०] । इल-- संज्ञा स्त्री० [सं० इला] पृथिवी ! धरती । उ०--राक्षम हनि इराक--सज्ञा पुं० [अ०] पश्चिम एशिया का एक देश । दाढे इल गह काढे सो थिर माडे निज सेनम् ।-राम० धर्म, इराकी-वि० [अ०] इराक देश का । पृ० १७६ । । इराकी संज्ञा पुं० १ घोडो की एक जाति । उ0--- सुमडे घुमडे उमड़े इलज़ाम–संज्ञा पुं० [अ० इल्जाम] १. दोप । कुल । अपराध । इराफी ---पद्माकर ग्र २, पृ० २८० । २. इराक देश का उ०—-मैं इलजाम उनको देता था कूमूर अपना निकन निवासी । अायो !---शेर०, मा० १, पृ० ४७७ । २ अभियोग | दोपइदितन-अ० [अ] इरादा करके। विचारपूर्वक । जानबूझकर रोपण । ३०-चुप रहूँगे हया से वे कब तक, गुरना इलजाम (को०) । से तो आएगा । शेर०, 'भा० १, पृ० ६६० । इरादा--सधा पुं० [अ० इरादह ] विचार । सकल्प । उ0-बदली जो क्रि० प्र०—लगाना ।—देना । उनकी अाँखें, इरादा बदल गया ।---वेला, पृ०, ८३ । इलता-सज्ञा पुं॰ [देश॰] मझोले प्रकार का एक प्रकार का वास इरावत--संज्ञा पुं० [सं०] १ एक पर्वत का नाम । २ एक सर्प का जो दक्षिण भारत के मैदानी प्रौर पहाडी मे होता है। इसमें नाम । ३ अर्जुन का एक पुत्र जो नागकन्या उलूपी से उत्पन्न बहूत बड़े धडे फून अोर फन लगते है । इसके छोटे छोटे गानो हुआ था। इसका नाम वभ्र वाहन था। ४. समुद्र। ५. मेघ । से बहुत अच्छा कागज बनता है । इरावत्--वि० तृप्तिदायक । मुखद [को०] । इलम--- सज्ञा पुं० [अ० इल्म] दे॰ 'इल्म' । उ०-दादू अलिफ एक अल्ला का जै पढि जाणे कोई । कुरान कतेच इतम गय पढि इरावती-सज्ञा स्त्री० [सं०] १ कश्यप ऋपि की मद्रमदा नाम की पत्नी से उत्पन्न कन्या, जिसका पुत्र ऐरावत नामक महागज । करि पूरा होई -दादू०, पृ० ४७ ।। हुआ। २ ब्रह्म देश की एक नदी । ३ पटपथी । पथरचट। इलमास-सज्ञा पुं० [अ०] १ हीरा। २ शीशा मे] । इरिका-संज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का पौधा (को०] । इलय---वि० [सं०] गतिविहीन (को०] । इणि --सझा मी० [सं०] ऊसर । ईरिण (को०] । इलव-सज्ञा पुं० [सं०] १ हलवाहा । ३. गरीव अदमी। ३ किमान । इरिमेद----सज्ञा पुं० [सं०] अरि मेदे । विखदिर (को०] । कर्पक । इरिविल्ला, इरिवेल्लिका--सज्ञा स्त्री० [सं०] सनिपात से उत्पन्न इलविला-संज्ञा सौ॰ [सं०] १. विश्रवा नी स्त्री, तृणविद् की मान्या सिर की फु सीं । | चौर कुबेर की माता का नाम । २ पुलस्त्य की स्त्रो । इरिपा(q---सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'ईष्य' । उ०---जहें प्रीतम को इलहाक-संज्ञा पुं० [अ० इन्ह] १ संबंध । मिनना। युयोजन । करत है कपट अनादर यान । कछु इरिपा कछु पद लिए मो २ किसी वस्तु को किसी दूसरी वस्तु के गथ भिला ने बिब्योक रसील ---भिखारी० ग्र०, भा० १, पृ० १४८ । का कार्य । इरेश-सज्ञा पुं० [सं०] १. विष्णु । २ गणेश । ३, वरुण १४, इलहाकदार-नशा पु० [म० इल्हा+फा० दार] वर मनुष्य ब्राह्मण । ५. सम्राट, [को०] । जिसके साथ वदोवस्त के वक्त मारगुजारी प्रदी करने का इराइगंइ-मज्ञा पुं० [सं०] [ली० इर्गला] दे॰ 'अर्गन' । रनामा हो । नवरदार या नवरदार ! इलहाम-सज्ञा पुं० [अ० इल्हाप] ईश्वर का शब्द । देववाणी । इर्तकावसज्ञा पुं० [अ० इति हाव] १ पार करना । २. कोई प्राव इलाम ईश्वरीय प्रेरणा । मामा की मायाज । प्राहिमके दुटि । करना । इलहामी-वि० [अ० इल्हामी] जिसको इलहाम हुमा हो । ईश्वर द्वारा यौ०.--इतकावेजुर्म = अपराध करना । प्रेरित । अतरमा में स्फुरित ज्ञान में नवद। ] । इर्द गिर्द-शि० वि० [अनु० इर्द +फा० निर्द] १. चारो ओर । यौ॰- इलहामी किताये = ईश्वरीय प्रेरणा से रचित पुग्ने छ । चारो तरफ । २ असपास । इधर उधर । पर्गम बगल ।। धर्मप्तप ।