पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५८२

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विरहीम ५१५ इमरती इवराहीम--सच्चा पुं० [अ० इब्राहीम ] यहूदी जाति के अादि पुरुप वय का हाथी। इभभर---हायियों का झ ट । इमयुवति= जो इस्लाम धर्म के अनुसार एक पैगंबर माने जाते हैं -- मादा हाथी । हथिनी ।। ३०- नूह की दसवी पीढी मे इवराहीम उत्पन्न हुआ ।- इभकणा--सज्ञा स्त्री० [सं०] गजपिप्पली । गजपीपल । कवीर म०, पृ० ५२ ।। इमकु भ---सझी पु० [म० इभकुम्भ] हाथी का भम्तक । इवरो–सच्चा सौ० [अ० इब्रानी का सक्षिप्त रूप] दे॰ 'इवररानी' । इभनिमीलिका–सन्ना स्त्री० [सं०]१ विदग्धता । चातुर्य । बुद्धिमत्ता । उ०-इवरी श्री अरवी सुर वानी। पारस श्री तु की मिसरानी। २. भाँग (को०] । -हिदी मा०, पृ० २३३ ।। इभपालक--सधा पुं० [सं०] १ महावत । २ हाथ रखनेवाली व्यक्ति इबलीस-- संज्ञा पुं० [अ० इब्लीस] शैतान । उ०—-खडग दीन्ह उन्ह [को॰] । जाइ कहें देखि डरे इवलीस !--जायसी ग्रं०, पृ० ३२२ ।। इभमाचल सच्चा पुं० [सं०] सिंह (को०] । इवी- सज्ञा स्त्री० [अ०] १ एक तरह का कंबल । २ वडा चोगा [को०]! इभया--सच्चा पु० [सं०] स्वर्णखीरी का वृक्ष [को०] । इबादत--संज्ञा स्त्री॰ [ J० ] पूजा आराधना । उ०- उन्हे शौके इभाख्य संज्ञा पुं० [सं०] नागकेशर का पौधा [को॰] । इबादत भी है और गाने की आदत भी, निकलती हैं दुग्राएँउनके इभी-सझा औ० [सं०] हथिनी [को०] । मुह से ठुमरियाँ होकर ।-कविता कौ, भा० ४, पृ० ६२२ । इभोषणा-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] गजपिप्पली का पौधा [को०] । यौ०-इबादतखाना । इम्य-वि० [म०] १. जिसके पास हाथी हो । २ धनवान् । धनी । इबादतखाना-सुज्ञा पुं० [अ० इबादत +फा० खानह] पूजा करने का यौ०-इम्यपुत्र= घनीपुत्र । रईसजादा । स्थान । पूजा गृहं । उपासना गृह । इभ्य-सज्ञा पुं० १. राजा । २ हाथीवान ! प्रहावत । ३ शत्रु । इदारत--सञ्ज्ञा स्त्री० [अ०] १ लेख 1 मजमून। उ०-उसके आसपास । इम्यक--वि० [म.] सपत्तिशान । घनी [को०] । फारमी में बहुत सी इवारत लिखी थी ।-श्रीनिवाम ग्र ९, पृ० इभ्यी--सच्चा स्त्री० [सं०] १ हथिनी । सलई का पेड़ ।। १३० । २. लेखशेन । वाक्यरचना । उ०-- बस इवारत हो इम--क्रि० वि० [हिं०] ६० ‘इमि'। ३०--(क) निघर के भई चुकी मतनव प ाया चाहिए 1-कविता की ०,भा० ४,१०००। कति इम लहिए । सा परि किया लच्छिता कहिए ।-नदास यौ०-- इबारत आराई = अलंकारिक शैली ।। ग्र०, पृ० १४६ । (ख) करत मगलाचार इम नशित विघ्न इबारती--वि० [ अ० इबारत फा० ई (प्रत्य॰)] जो इबारत मे अमृत ।--मुदर० ग्र०, मा० १, पृ० ४। | हो । इदारतसवधी । | इमकान--सज्ञा पु० [अ० इम्कीन] १ से भावना । २ ताकत । मर्कयौ० - इबारती सवाल = वह हिसाब जिसमे राशीकृत अकी के दूर । वस । काबू । जैसे,--हमने अपने इमकान 'मर कोशिश सबध में कुछ पूछा जाय । कर दी । इब्तदा--सा लौ० [अ० इब्तिदह, J प्रारभ । शुरूग्रात । उ०--मच इमकानात--संज्ञा पुं० [ प्रo इम्फान का बहु० व० ] म भावनाएँ । ये है इन्सान को यूरुप ने हलका कर दिया। इन्नदा डाढ़ी से उ०- मेरे दिमाग के उडने के ज्यादा इमकानात हैं ।--- की भी इंतहा मे मूछ नी ।-कविता को०, भा० ४, पृ०६२४।। दक्खिनी॰, पृ० ४६१ । ताक़त । शक्ति (को०)। इब्तदाई-वि० [अ० इब्तिदह, +फा० ई (प्रत्य॰)] प्रारमिक । इमकानी--वि० [अ० इम्कानी] स भावित (को॰] । इब्तिदा-सज्ञा स्त्री० [अ० इब्तिदह.] १. प्रारम् । अादि । शुरू। उ० इमकोस -संज्ञा पुं० [सं० फोश] तलवार का म्यान ---(डि०) । इब्तिदा ही में मर गए सब यार। इधक की कौन इतहा इमचार--सच्चा पुं० [सं०चर १] गुप्तचर । गुप्त दूत |---(हिं०)। लाया |--कविता कौ०, भा० ४, पृ० १३३ । २ जन्म । इमदाद-सज्ञा स्त्री॰ [ अ० मदद का बहु १० ] मददै । सहायता । पैदाइस 1 ३ निकास । उठान । । उ० --दाग कोताही न कर यह वक्त है इमदाद का-शेर०, इन--संज्ञा पुं० [अ०] पुग्न । बेटा लडका । उ०—-थे फरजद दो भा० १, पृ० ६६६ ।। | उमर इब्न खतावे |--दक्खिनी॰, पृ० ३५७ । इमदादी - वि० [अ० इमदाद] १ मदद पानेवाला । जैसे,—इमदादी इवाहीम--संज्ञा पुं० [अ०] दे० 'इवराहीम' । मदरसा = वह मदरसा जिसे मरकार से कुछ द्रव्य की सहायता इब्राहीमो--सच्चा पु० [अ०] एक सिक्का जो इनाहीम लोदी के वक्त में | मिलती हो । २ इमदाद या महायता के रूप में प्राप्त होनेवाला । | जारी हुआ था। इमन--सच्ची पु० [हिं०] ६० 'ईमन' । उ०--भीड़ मधुरतम विधुर इमन इभ'सच्चा पुं० [सं०] [ली० अभी या इन्या] हाथी । उ०—राधे की ---गीतगु ज, पृ० ६२ ।। तेरे रूप की अधिकाइ । इन टूटत अरु अरुन पगु भए विधना इमरती-सक्षा नी० [म० अमृत] एक मिठाई । अनि बनाइ । —सूर०, १० । २७७६ । विशेष---उर्द की फेटी हुई महीन पीठी र चारेठे को तीन चार इम’---क्रि० वि० [सं० इव] इस प्रकार । ऐसे (डि०) ।। तह कपड़े में, जिसके बीच एक छोटा गा छेद रहना है, रखकर यौ०-इभ अनन, इभानन = गणेश । इभकेशर= नागकेशर । खौलते हुए घी की तई में घुमा घुमाकर टपकाते हैं, जिसे कगन के प्रकार की बत्तियाँ बनती जाती हैं। घी में तल लेने भगधा= बिर्पले फलबाला एक पौधा । इभेदता = एक प्रकार पर इनको चीनी के शीरे में छुपाते हैं । का पौधा । इभपोटा=अल्पवयस्का हयिनी । इभपोत = कम