पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५८०

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में ५१३ इनायत मुकदमी हो रहा है, दो चार दिन मे इधर या उधर हो इनकिसार---संज्ञा पुं० [अ०] वाकमारी। नम्रता । विनय नि०] । जायगा । इधर से उधर फिरना = चारो शोर फिरना। इनफार्मर--संज्ञा पुं० [अ० इनफार्मड] वह जो गुप्त रूप से किसी बात जैसे,—तुम व्यर्थ इधर से उधर फिरा करते हो । न इबर फी का भेद लगाकर पुलिस को बताता है। गोइदा । भेदिया । होना न उघर का = (१) किसी प्रोर का न रहना। किसी जैसे,—वह पुलिम का इनफार्मर है । पक्ष में न रहना । जैसे,—वे हमारी शिकायत उनसे और इनफिकाक-संज्ञा पु० [अ० इनफिकाक ] १. रेहन का छुड़ाना। उनकी शिकायत हमसे किया करते थे, अंत में न इधर के | वधक छुडाना । २ मुक्त होना । छुटना (को०)। ३ अलग अलग हुए न उधर के । (२) किसी काम का न रहना । जैसे,—वे होना (को०) । इतना पढ़ लिखकर भी न इश्वर के हुए न उघर के । (३) दो। यौ--इनफिकाक रेहन । परस्पर विरुद्ध उद्देश्यों में से किसी एक का भी पूरा न होना। इनफसल- संज्ञा पुं० [अ० इनफिसाल] १. वाद का निर्णय होना। जैसे,--वे नौकरी के साथ साथ रोजगार भी करना चाहते थे, । | फैसला होनी । २. फैसला 1 निर्णय [को०] । पर अत मे न इधर के हुए न उधर के । इनफ्लुएंजा- मज्ञा पुं० [अ० इनफ्लुएजा ] सरदी का बुवार जिसमे इम-सेवा पु० [सं०] १ काठ । लकडी । २. यज्ञ की समिधा जी । सिर भारी रहता है, नाक वही करती है और हरारत रहती है। प्राय पलाश या ग्राम की होती है । इनसभ- संज्ञा पुं० [सं०] राजसभा । शाही दरबार [को०] । यौ०-इमजिह्व= अग्नि । इध्मवाह = अगस्त्य ऋषि का एक इन्सान--सा पुं० [अ०] १ मनुष्य । प्रादमी । २ सय । मञ्जन पुत्र जो लोपामुद्रा से उत्पन्न हुआ था। किो०] । इध्मपरिवासन- संज्ञा पुं० [सं०] लकडी की चेली या टुकडा [को॰] । ईनसानियत- सज्ञा स्त्री० [अ०] १ मनुष्यत्व । अादमीयन । २ बुद्धिइध्मप्रवचन--संज्ञा पुं० [सं०] कुल्हाडो । टाँगी (को०] । मानी। बुद्धि। शऊर । ३ भलमनमी। सज्जनता। मुरव्वत । इमभूति - वि० [सं०] ईंधन या लकडी लानेवाला (को०] । इनसानी--वि० [अ० इनसान + फ० (प्रत्य॰) I १ मानवीय । इन'-पर्व० [हिं०] ‘इम' का वहुवचन । मानव सवयी । २ मज्जनोचित [को०] । इन्स च्चा पुं० [सं०] १ सूर्य । २ प्रभु । स्वामी । ३ राजा । नरेश इनसानीपत--सज्ञा मी० [अ०] दे० 'इन मानियत' [को०] । (को०)। ४ हस्त नाम का नक्षत्र को०] । इनसाफ-सा पुं० [अ० इन्साफ दे० 'इसाफ' । ३०--मी मोर भाई इन--वि० १ योग्य । भक्त । क्षम् । २ वहादुर । ताकतवर । दृढ ।। मालिक ने इनसाफ चाहने के लिये विलायत पहुँचे ।-मारतेंदु । ३. गौरवपूर्ण (को०] । ग्र ०, भा० १, पृ० ३४६ । ६नप्रमि-संज्ञा पुं० [अ० इन ग्राम ६० इनाम' । उ०---इन लोगो को इनसालवट, इनसालवेंट-वि० [अ०] वह प्रापारी जो व्यापार में एक एक जोडा दुशाला इनाम दो ।-भारतेंदु ग्र०, भा॰ १, घाटो अाने के कारण अपना ऋण चुकाने में असमर्थ हो । | पृ० ५४२।। दिवालिया। उ०-- तो क्या इनसालवेंट होने की दरख्वास्त इनकम--संज्ञा स्त्री० [अ०] अाय । आमदनी । अर्थागम । देनी पड़ेगी।-श्री निवाम ग्र०, पृ० ३८१ । यौ०--इनकम टैक्स । इनसिदाद-संज्ञा पुं० [अ०] १. बंद होना । रुक जाना। २. इनकमटैक्स--सज्ञा पुं॰ [ अ० ] अादमी पर महसूल । प्राय पर। निवारण । कर । अायकर । | यौ०- इनसिदादे जुर्म = अपराधो को रुकना । अपराधी को इनकनाव--संज्ञा पु० [अ० इनकलाव] परिवर्तन । उलटफेर । चु०-- निवारण खात्मा [को०] । सुना कानो से था जो हमने वो अखि से इनकलाव देखा - इनस्टिटयूशन-सा पुं० [अ० इन्स्टिट्यूशन]सस्या । समाज । मडल। शैर ०, भा० १, पृ० ६६२1 २. क्राति । राज्य परिवर्तन । इनहिदाम-संज्ञा पुं० [अ०] १ ढहना। गिरना । २. ध्वस (को०११ यौ०--इन्कलाब जिदावाद = क्राति चिरजीवी हो । इनकलाव इनहिसार-संज्ञा पुं० [अ०] निर्भरती । दारोमदार (को०)। हुकूमत = राज्यक्राति । राज्य सुवधी परिवर्तन ।। इनान-सज्ञा पुं० [अ०] बगा। बाग। लगाम [को॰] । इनकलावी--वि० [अ० इनफलावी] क्राति या परिवर्तन लानेवाला ।। यो०- इनाने हुकूमत = शासन की बागडोर। शामनमूत्र । इनकात-सज्ञा पुं० [सं० इनफान्त] सुर्यकांत मणि (को॰] । इनकार--संज्ञा पुं० [अ०] अस्वीकार । नकारना । नामजूरी नहीं इनानी--सा स्त्री० [सं०] एक वृक्ष । वटपत्री (को॰] । इनाम--सक्षा पुं० [अ० इनाम] १ पुरस्कार । ववशिश । उहार । करन] । 'इकरार' का उलटा । २ माफी जमीन । क्रि० प्र०--करना । होना । य०---इनान इकराम = इनमि जो गृपापूर्वक या मैया नै प्रमग्न इनकारी---वि० [अ०] इनकार करनेवाला। अस्वीकृतिसूचक [को०] । होकर दिया जाए । इनामदार = प्रनाम प्राप्त करनेवा' । इनकारी-सज्ञा स्त्री० इनकार या अस्वीकार की स्थिति । इनायत--समा सी० [अ०] १ कृपा । दया । अनुग्रह । मैहानी। इलाकशाफ-संज्ञा पुं० [अ० इनकिशोरू] १ गयेपणा । अनुसघान । उ०-२नायत है तुम पे यह संग रि मी । तुम्हें दूर उमने २. व्यक्त होना । प्रकट होना। जाहिर होना (को०)। पोशाक दी !-कविता कौ०, भा॰ २, पृ० २१३ । २. एहसान।। क्वाला । अस्वीति । इनायतायत है तुम