पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५७९

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

इदंतन ५१२ इदतन–वि० [स० इदत्तन] १ इस गमय का। वर्तमान । २ जग्ग- इधकार - पा पु० [अधिकार ] » ‘ufir। '१०---717 स्थायी । क्षणिक (को०) । नाम भरि ग गाउ मा । 1-71० "०, पृ० २। इधर---> वि० [ गं० इन यी ८ ] 1. । । इदता-सज्ञा स्त्री॰ [ स ० इदन्ता] सादृश्य । एकरूपता । ममप (फो। । तरफ । 'उ०• ~ध ः ५ प १ । । * इदद्र---संज्ञा पुं० [ स इदन्द्र ] वह जो ( इस ) इद ( = जगत् ) फो।

  • * देखता है । परमात्मा [को०] ।

समान |-- मन, १० १२।। इदबर---संज्ञा पुं० [ स० इदम्यर] नीना कम । इदी पर फिौ०] । मुहा०—६र पर = (१) २ न। 17 ! 1 ८३३१ म्यान । । ।,--- fif; ६ : 27 मारे । इडम्---मवं० [रा ०] यह ।। फिर थे । (३) ५(गन् । : "न" 1 9 ३ ३ । इदमित्य-पद० [सं० इदमित्यम्] यह ऐना है । एक ही है । ठीक जे में,--- र १: :: :: :: : । । । है । उ० - हरि अवतार है। जेहि होई । मित्थ पनि जाई ३। (:) - । । । १३ ।।57.- * * * न सोई [---मानस, १।१२१ । ria, गु १:१ ।।1। इधर पर मना = (1; :इदराक - संज्ञा पुं० [अ० इद्राक] जान । चोघ । समझनु । 'उ० - मटूउ र T। वा नः । .--::7 11: गफलत कि यह जागे नही यहाँ गाfहवे इदक ३ (१० rपयो १}, व नम :: :: : ' । (-) :धर्म०, पृ० ८६ । गने यार । । ?? १ र ३ मा । : ' '-: । 1इदानीतन --वि० [सं० इदन्नन] १ म ममय हो । प्रानिक । य। 1 मई 1 3 1 * * -: । .} ? । २ नवीन । या ।। विनर 3: । गहन । ३६,८३ १-१ : १२ का इदावत्सर-तज्ञा पुं॰ [ मं० ] वृहस्पति की गति के अनुसार प्रत्ये । ६० वर्ष में १२ गुग होता है अोर प्रत्येक युग मे पनि पनि न। र र १६ । -- : * * * * * * वर्ष होते हैं । प्रत्येक युग के तीसरे वर्ष को परिसर के हैं । मान दर 3 रि f: । र उग्र यो वन = ११) विशेप-इनके नाम ये हैं-गुल, भार, प्रमाथी, तारण, विरोधी, या ५ । । । । । । । । । जय, विकारी, क्रोधी, गौम्य, शानद, सिद्धार्ग पर रक्ता :न में 5] 'जर को नः । १३ {पः१२, ११ । (२) अन्न र वस्त्र के दाने का वडा माहात्म्य है । यी । मग * ॥ २६ । ३.--१३ २६ म = थर, १६ । १६ १ : ! " " । इद्दत-सद्या झी [प्र०] पनि के मरने के बाद का ४० दिन का अगर इपर को उपर पार TT व विगारा = " प नः । जो मुसलमान विधवाओं को होता है और जिन वीन ये या फिरन। र ? में। * {{ ; म अन्य पुरुप में विवाह नही कर सकती। से पानी। काग र निः । पर दो दुनिया उग्र हो।' = विशेष--कहते हैं कि वह इसलिये रज़ा गया है जिसे यदि ननी दान का 7। । । । । । । । । * ,* गर्ने हो तो उसे पता बन्न जाम । यह अवधि तक की चार पी दुनि ॥ ३६॥ २८, २ र ३ ६ ३६। उ* स्थिति मे तीन महीने, पति की मृत्यु पर चार महीने में गे। पर उपर दो ना :: : * न ६ । । दिन प्रौर गर्भवती के लिये संतान होने तक भी है ।। मनी गोन। । ?-- * * ; १ ३ ३, ६ इद्ध'--वि० [सं०] १ प्रकाशित । ज्योतित । २ पोशमान । यम काम न करने नई । इप उग्र ३ =(१)aff: ८३ ३ । कोला । ३ अाश्चर्यकारक । विम्मयजनक । ४ पालन पिया सनिश् ि। 'ग' । ३२,--- ८ ।। " 71 र ने जानेवाला ( प्रादेश)। ५ दीप्न। ६ दग्ध । ७ स्वच्छ । डक ना हो। (२) घर में। ६ ।। ३। ---(क) निर्मल [को०] । जक उ धर सर में में 7३, १४ १ क पं: मो? | इद्ध- सज्ञा पुं० १ प्रति । घाम। ३ दीप्ति । फाति । ३ अवयं । ते । () में धर ३र में नो-३ ३ । । ३, * | अच भा को०) । रसोई यो बनाई। इपर 57 उधर ।। =(१) "" ! र होना । मः इन।। frग: । ११,-१ में इद्धदं विति--संज्ञा पुं० [सं०] अग्नि । श्राग (को०)। २ का पत्र धर उधर है गइ । (२) नटुन हः । । । इद्धमन्यु-वि० [सं०] भयकर क्रोधी । अत्यधिक शोधयुक्त (को०)। इनाना होगा । जैसे,—हन में ' * * * इद्धाग्नि- वि० [सं०] जिनकी अग्नि निरतर प्रदीप्न रहती हो (फो०] । दे पपा र मित्रता है । (३) इन नि । तितर दिर इद्वत्सर-सफा पुं० [सं०] वृहम्पति की गति के अनुसार ६० वर्ष में होना । जैसे,—र के प्रारी है। न नौ । ३३ ३ । गए | १२ युग होते हैं और प्रत्येक युग में पाँच पाँच वरमर होते हैं । इपर फा उधर परना=इट प न । पम्तः 7 कर १३ । प्रत्येक युग के पाँचवे व अतिम वर्ष को इट्टत्सर कहते हैं । में विगाहना। पर फा घर होना = इवट जाना। गि विशेष—इनके नाम ये हैं—प्रजाति, धाता, वृष, श्यप, घर, होना । विगत होना । जैसे,—देने ३३३ सारी मा म इयर दुर्मुख, प्रव, पराभव, रोध कृत्, अनल, दुर्मति अौर तप । का उधर हो गया । इयर या उपर है। 1 = परम्पर विरह इधक+--- वि० [सं० अघिक] दे॰ 'अधिक' । उ०-इधक अनुरागकर दो स भावित घटनाओं में से (जैसे - जीना यई मरना,हरिन। पुरप निरजुर अहो ।-रघु० ९०, पृ० ५७ ।' या जीतना) किसी एक या होना । जैसे,--उज के ही