पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५७४

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इंजतराब ५७ इउतिराव--संज्ञा स्त्री० [अ० इज्तिराब व्यग्रता । व्याकुलता । बेचैनी । इजावत-संवा जी० [अ०] १ कदूनियत । म्वीकृति। पीपार यी | बु०-मरना बेहतर इस इजतिराव के बदले -भारतेंदु ग्र १, मजूर करना । ३ शौच । दम्त । निपटान [को०] । मा० २, पृ० २०३ । इजार---री० [अ०] पायजामा । मूर्यन । मुथना । उ०—शन गूजरी इजमत --सज्ञा स्त्री० [अ० अजमत] दे॰ 'अजमत' । ३०-पसू ज्ञान । । ऊजरी बि नसत लाल इजार । हिए हजारनि के हुदै गैठी थान इजमते कू' देखो अनमुस एकै ठाने ।--चरण० बानी, भा॰ २, बजार --मतिराम ग्रं॰, पृ० २९२।। पृ० १४३ ।। क्रि० प्र०-उतरिना = नगा होना । प्रतिष्ठा नः । इज्जत इजमाल-सज्ञा पुं० [अ०] [वि० इजमाली] १ कुल । समष्टि । २ उतारना । उ०—ौर भादमी ही डाने है अपनी इजारे किसी वस्तु पर कुछ लोगो का से युक्त स्वत्व । इस्तक । उतार ।—कविता कौ०, भा० ४, पृ० ३१७ । साझा । शिरकत । ३ एकत्र करना । इकट्ठा करना (को॰) । यौ०-इजारवये । ४ तक्षेप कथन (को०) । इजारदार-वि० [अ०हजारा+फादार(प्रत्य)] [वि ०ीइजारदारिन] इजमाली-वि० [अ०] शिरकत की। मुश्तरका । संयुक्त। साझे का । किसी पदार्थ को इजारे वा ठेके पर लेनेवाला । ठेकेदार । अधि इजरा-सा ली० [सं० नि (= नितरी) +जरा (जीर्ण) अथवा हि० कारी। उ०—कहा तुमही हो ब्रज के इजारदार-गीत (शब्द) ६+जरा= जीर्णता] वह भूमि जो बहुत दिनो तक जोतने से इजारवेद-सच्चा पुं० [अ० इजारे+फा ९ बद] सूत या रेगम को वना कमजोर हो गई हो और फिर उपजाऊ होने के लिये परती । हुअा जालीदार वैघना जो पायजामे या लहँगे के नैफे में उसे ओह दी जाय । कमर से वाँधने के लिये पहा रहता है । नारा । ममरवद । इजरा--सज्ञा पुं० [अ० इजराय] दे॰ 'इजराय' । इजरा-सञ्ज्ञा पुं० [अ० इजारह ! १ किसी पदार्य को उजरत या क्रि० प्र०---इजरा कराना = किसी भी निर्णय या प्रदेश को किराए पर देना। २ ठेका । ३. अधिकार। इतियार । म्वत्व। प्रचलित और कार्यान्वित करना। जैसे,—तुम्हारा कुछ इजा है ? इजराय--सज्ञा पुं० [अ०] १ जारी करना ! प्रचार करना। २ काम क्रि० प्र०—करना= जिम्मेदारी स्वीकारना । जिम्मेदार होना । में लाना। व्यवहार । अमल । उ०---के सँधा चालो मत करो, करी इजारौ ग्राय --रा० यौं०-इजराय डिगरी = डिगरी का अमलदरामद होना । डिगरी । ०, पृ० ३१७ |---देना }--- लेना। को कार्यान्वित करना यो०- इजारदार । इनारेदार । जलास----सझा पु० [अ०] १ वैठक । २. वह जगह जहाँ हाकिम इजारादारो---सच्चा स्त्री० [अ० इजाह, + फा० दारी प्रत्य०] ठेकेदारी बैठकर मुकदमे का फैसला करता है। कचहरी । विचारालय । स्वत्व । कब्जे में होने की स्थिति । इ०--इसे ही इजादारी न्यायालय । अदालत । एकाधिपत्य या साम्राज्यवाद कहते हैं ।-मान०, मा० ? यौ०-इजलासकामिल= न्यायालय की वह वैठक जिसमे सब जज पृ० २१२।। एक साथ बैठ कर फैसला करें । इजारेदार-वि० [अ० हजारह +फ़ा० दार (प्रत्य॰)] दे॰ 'इजारदार' । इजहार--संज्ञा पुं० [अ०] जाहिर करना। प्रकट करना । प्रकाशन । इजाला–सद्मा पु० [अ० इजालह] दूर करना। निवारण करना (को०] । उ0-धर्म का यह इजहार । खुदा हे खुदा, न वह तिथि। इजाला हैसियत उफ-सच्चा डी० [अ० इजालह हैसियत उफ] कोई वार --मधुज्वाल, पृ० ६ ।। ऐसा काम करना जिससे दूसरे की इज्जत या प्राधF में धब्बा क्रि० प्र०—करना ।—होना ।। लगे या उसकी बदनामी हो ! हुनकइज्जती । मानहानि । २ अदालत के सामने वयान । गवाही। साक्षी। माखी। उ०— इज्जत----संज्ञा स्त्री० [अ० इज्जत] मान । मयदा । प्रतिष्ठा । अदर। एक दूसरे कैदी के इजहार से स्पष्ट ज्ञात होता है --मारतेंदु उ०~-समझने हैं इज्जत को दौलत से बेहतर ।---कविता ग्रं॰, भा० ३, पृ० १०१ । कौ०, भा० ४, पृ० ५६३ । क्रि० प्र०—देना ।= लेना ।—होना । मुहा०-इज्जत उतारना = मर्यादा नष्ट करना । जै,-'जरा नी यौ०--इजहारतहरीरी = लिखी हुई गवाही । लिखित बयान [को०] ।। | बात के लिये वह इज्जत उतारने पर तैयार हो जाता है। इजाजत-सज्ञा स्त्री० [अ० इजाजत] १ प्रज्ञा । हुक्म । २. परवानगी । क्रि० प्र०—करना = प्रतिष्ठा या समान चारना ----पीना = | मजूरी। स्वीकृति । अपनी मर्यादा नष्ट करना । जैसे,--तुमने प्रभने यी ५ रन। इजाफत–सम्रा ली० [अ० इजाफत] सबध । साविका । २ फारम इज्ज़त खोई है ।-गंवाना=३० ३१ ना' ।-जन । व्याकरण में छठे कारक का चिह्न (को०] । जैम,---पैदल चलने से क्या तुम्हारी इज्ज १ च न पायेगी ।


देना=(१ } मर्यादि। यौन ! जैन,-- ११ए E 7 इजाफा - सक्षा पुं० [अ० इजाफह.] १ वढती । बेशो । वृद्धि। वढोतरी । १०-मापने अँग के जानि कै, जोवन नृपति प्रवीन । स्तन, में हम अपनी इज्जत देगे ? (२) र राषित करना ।

महत्व वढ़ाना । जैन, रात में गरी १ प्रापत उदा मन, नैन, नितंब को, वो इजाफा कीन ।-विहारी र०, दो० इजत दी !-पाना = प्रतिष्ठा प्राप्त करना । जैन,-उने २। ३. बचा हुआ धन । वचत । इस दवर में दो इज्जत पाई --विना 4 प्रनि नष्ट यौ०-फालगान लगाने का अधिक होना। कर या लगान करन । जैसे,-बदमाश भने भादमिय। की हि चनवे इज्जत की बढ़ती।