पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५६४

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इंदुरल ४६७ ई दुरत्न-- मंज्ञा पुं० [सं० इन्दुरत्न] मुवनी । मोती । यौ०---इंद्र का अखाडा=(१) इद्र की म भ जिसमें अप्सराएँ इ टुरेखा, इदुलेखा---सा लौ० म० इन्दुरेखा,-लेखा] १ चद्रमा की। नाचती हैं । (३) बहुत मजी हुई म मा जिम में खुव नाच रग | कला । इदुकला । ३. सौमलता । ३, अमृता । ४ गुडूची[को०] इदुलतलव-----क्रि० वि० [अ०] माँगने पर या जरूरत पड़ने पर (को०)। | होता हो । इड की परी =(१) अपरः । (२) बहुत मुइरी इदुलहक, इ दुनौह-मज्ञा पुं० [ १० इन्धुलोहक,-लौह ] चाँदी स्थी । इद्रसभा = इद्र का अखाडा। उ० --इद्रममा जनु परिगे रजत कि॰] ।। डोठी !~-जायसी प्र ०, पृ० १८ ।। इ दुवदना-सुज्ञा स्त्री० [म० इन्दुवदना] एक वृत्त जिसके प्रत्येक चरण २ बारह शादियों में से एक । सूर्य । ३. विज । ४ रजः । मे म ज स न ग ग ( 5।।। ६ ।। 5 ।।। : ) होता है । मालिक। स्वामी । ५ ज्येष्ठा नक्षत्र । ६ चौदह की सख्या । ३०- इंदुवदना बदत जाउँ वनिहारी । जान मोहि दे धरहि ७ ज्योतिष में बिष्कु नदिक २७ योगों में से २६वौ । ८ कुटज मत्वर विहारी ।-(शब्द॰) । २ इदुतुल्य मुउवाली मंत्री [को०] वृक्ष । ६. रात । १० छप्पय छद के भेदों में से एक । ११ इ दुववृ---सा स्त्री॰ [म० इन्दुबघू] इंद्रधू' । दाहिनी अाँख की पुतली । १२ व्याकरए ग्रादि के प्राचार्य का दृदुवल्ली-सज्ञा स्त्री॰ [१० इन्दुबल्ली ] सोमलता [को०)। नाम । १३ जीव । प्राण । १४ श्रेप्छ यी प्रधान व्यक्ति इ दुवार-सज्ञा पुं०[सं० इन्दुवार] १ बर्ष कूडी के मोलह योगो में से एक । [को०] । १५ मेघ । बादल (को०) ! १६ भारतवर्ष का एक भाग जद तीसरे, छठे, नवें ग्रोर वारहवें घर में क्रूर ग्रह हो, तब यह (को०)। १७ परमेश्वर (को०)। १८ वनस्पतिजन्य एक योग होता है। यह शुभ नहीं है । २ सोमवार का दिन (को०] । इ दुव्रत--सच्चा पु० [सं० इन्दुव्रत चद्रायण नाम का एक व्रन । प्रकार का जहर (को०] । ई दूर--सज्ञा पुं० [सं० इन्द्र] च । मूना । । इ द्रक-सच्चा पुं० [सं० इन्द्रक] गोष्ठी का स्यान । सभागृह (को॰] । इद्र'- वि० [म०] १ ऐश्वर्यवान् । विभूतिमपन्न २. श्रेप्छ। वा ।। इ द्रकर्मा--पझा पु० [सं० इन्द्रकर्मन् विष्णु (को०] । यो०- देवेंद्र । नरेंद्र । यादवेंद्र । योग । दानवेंद्र । सुरेंद्र ।। इ द्रकात--सझी पु० [सं० इन्द्रकात] बौजिले भवन की एक मजिल ई द्र-सा पु० १ एक सर्व प्रमुख वैदिक देवत: जिमका स्थान अतरिक्ष है। यो मति (को०] । जो अौर पानी बरसाता हैं । यह देवता का राजा माना गया इ द्रका के संज्ञा पु० [म ० इन्द्र कामुक! इंद्रायुध । इद्रधनुष (को॰) । है । गौर्य, युद्ध और वे मव का वह सर्वयेष्ठ वैदिक देय हैं। ऋग्वेद ई द्रकील---संज्ञा पुं० [सं० इन्द्रकील] १ मदराचल का एक नाम । में सबसे अधिक सुक्नों द्वारा इद्र के शौर्य, वीर्य, पराक्रम और २ चट्टान (को०)। ३ इद्र की ध्वजा [को०] । ४ कैटिया । मोमपान आदि का वर्णन किया गया है । ऋग्वेदयुगीन वैदिक किली को०] । यज्ञ में भी उसका अपत प्रमुख स्थान है। इ द्रकु जर-संज्ञा पुं० [८० इन्द्रकुञ्जर] इद्र का हाथी । ऐरावतको०] । विशेष---इमका बाहुन ऐरावत र अन्य वध है । इमकी स्त्री इंद्रकूट-~-संज्ञा पुं० [सं० इन्द्रकूट] एक पर्वत का नाम (को०] । का नाम जत्रि अौर सभा का नाम मुधर्मा है, जिसमे देव, इ देकृष्ट-वि० [म० इन्द्रकृष्ट वप में अपने अप उत्पन्न होने वाला गधर्व यौर अप्सराएँ रहती हैं। इसकी नगरी अमरावती और को०] । वन नदेन है। उच्च श्रवा इसका घोडा ग्रौर मातनि मारी ई द्रकृष्टज्ञा पुं० वप के ज़न से अपने अाप पैदा होनेवाली फमन है । वृत्र, त्वष्टा, नमूर्चि, शवर, पण, वलि और विरोचन इनके (को०।। शत्रु हैं। जयत इमेका पुत्र है। यह ज्येष्ठा नक्षत्र और पूर्व इ द्रकेतु----ज्ञा पुं० [सं० इन्द्र केतु] इद्र की ध्वजा [को० । दिशा का स्वामी है। पुराण के अनुसार एक मन्वंतर मे क्रमण इ द्रकोश, इ द्रकोप-सज्ञा पुं० [सं० इन्द्रकोश,-कोय] १ मान । चौदह न्द्र मोग करते है जिनके नाम ये है--इंद्र । विश्वभुक ! २ चारपाई । ३ वानखाना । छज्जा । ४ नागदत । विपश्चित् । विम् । प्रभु । शिछि । मनोजब । तेजस्वी । बलि। खुटी कि०] । अद्भुत । त्रिदिव। मुशांत । सुकति । ऋत धाता । दिवम्पति ।। इद्रकोष्ठ-संज्ञा पु० दे० 'इक्रोश' । वतमान काल मे तेजस्वी इंद्र भोग कर रहे हैं। इ द्रगिरि---राज्ञा पुं० [सं० इन्द्रगिरि महेंद्र नाम का पर्वत [को०] । प०.--मरुत्वनि । मघवा । विडोजा। पाकशासन । वृद्धश्रवा । इ द्रगुरु---संज्ञा पुं० [म० इ-गुरु] देवगुरू बृहस्पति को॰] । शुनासीर । पुरहूत पुरदर । fcणु ! लेजर्षभ । शक । इ द्रगोप--ज्ञा पुं० [सं० इन्द्रगोप] वीरवहूटी नाम की कीडा । शतभन्यु । दिवस्पति । सुत्रमा ! गोत्रभिद् । बची। वासव । ई द्रोपक-मज्ञा पुं० [सं० इ-द्रगोषक] दे० 'इगो' । वृत्रहा । वृष । बास्तोटपति । सुरपति ! बलराति । शचीपति । इ इचदन- संज्ञा पुं० [सं० इन्द्रचन्दन] श्वेत चयन । हरिचन (को०] । जभभेदी। हरिहय। स्वरा । नमुचिसूदन । सदन । इ चाप--सज्ञा पुं० [सं० इन्द्रचाप] दे० 'इंद्रधनृप' । दुश्च्यवन। हैरापाह। मेघवाहन । आखडेल । सहस्राक्ष ।। ई इचिभिटी-संज्ञा स्त्री० [सं० इन्द्रभिटी] इंद्रायण । एके नताऋभुक्ष । महेंद्र। कौशिक। पूतन्नतु । विश्वभर । हरि ।। विशेष (को०] । पुरदं । शतधृति । पृतनापाड़ । अहिद्दप। वज्रपाणि ।। | इ द्रच्छद--सज्ञा पु० [सं० इन्द्रच्छन्६] एक हजार प्राः मोतियों की देवराज । पर्वतार । पर्याप्य । देवाधिप । नाकनाथ । पूर्वदिक् माला जो चार हाथ ली होती थी। पति । पुलीमारि । अर्ह प्रचीन ! बहि । तपस्तक्ष । विशेप–इसका एक नाम 'इंद्रच्छद' भी है।