पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५६३

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इंदुर इंद.--क्रि० वि० [अ०] १ समीप । नजदीक । २ पर । किंतु [को॰] । यौ॰---इदुकमल = एवेत कम छ । इदुकिरीट, इदुनूपण = बि ।। इदउँ’----समा पु० [देश॰] दे० 'इदुर' । उ0प्रेम खटोलना कसि कसि इदुनदन, इंदुपुत्र:== चद्रमा । इदुलोर = चद्र तोके । इदु यासर = बाँध्यौ बिरह वान तिहि लागू हो। तिहि चढि इदउँ करत सोमवार । | गैवमियाँ अनरि जमवा जागी हो ।---कवीर ग्र ०, पृ० ११२ । इ दुक----संज्ञा पुं० [सं०इन्दुक] अश्म तक का वृक्ष [को०] । इदका-सच्चा पुं० [सं० इन्दका] भृगशिरा नक्षत्र के ऊपर रहनेवाला इ दुकर--सज्ञा पुं॰ [स० इन्दुकर]चमा की किरण । ३०--जनविहार नक्षत्रेश [को॰] । विचार कर विद्याधरो की बालिका, प्रा गई हैं क्या, कि ये हैं। इदर --सज्ञा दे० [म० इन्द्र] दे॰ 'इद्र' । उ०-मुनि जन इदर झलि इदुकर की जालिका ।--कानन0, पृ० ४२ ।। सव, कृने गौरि गनेस --- मतवानी, भा० १, पृ० ११८। इ दुकला--माज्ञी नी[० इन्दुकला]7 चंद्रमा की कन्ना । २ चद्रमा यौ०---इंदर का अखाड़ा= अप्मराग्रो, परियो का जमावडा । की किरन । उ०-भाल नाल बेदी ननन, ग्राजुन रहे विन । उ०----हमको 'नासिख' राजा इदर का अखाडा चाहिए !--- इदुकला कुज में वसी, मनी राहु भय माजि --विहार कविता कौ०, भा० ४, पृ० ३५४। २०, दो० ६६० | ३ अमृत । पीयूष (को०)। ४. मोम देता। इदराज-सज्ञा पुं० [इदिराज०] बहीखाता । नेखाजोखा या पजिका सोम (को०) । ५ गुडूची गुरुन (को०)। मे लिखा जाना [को०] । इदुकलिका--सजा पु०० इन्दु कलिका]१ चद्रमा की कना या चद्रमा | इदव'--भज्ञा पुं० [P० एन्द्र] १ एक छद का नाम । इसके प्रत्येक की किरण। २ केतकी का पौधा [को०] । चरण में आठ मगण और दो गुरु होते हैं । इसे मत्तगयंद और ईदुकात-सज्ञा पु०[सं० इन्दु कान्त्र] चद्रकात नामक मणि (को०] । मालती भी कहते हैं। इदुकाता--सज्ञा स्त्री० [म० इन्दु कान्ना] केतकी । इ दुकनिका । २ इदव-सज्ञा पु० [म० इन्दु] चद्रमा । निशा । रात्रि [को०] । इदभाल(७)---सज्ञा पुं० [हिं० इव+भाल] चद्रभाल शिव । उ०-- ई दूक्षय-मज्ञा पुं० [५ ० इन्दुसय] १ चद्रमा का क्षीण होना । न | हरि न वनायौ सुरमरी कीजो इदवभान |--रहीम०, पृ० १। दिखाई देना । २ नए वाद का दिन (को॰] । इदवान--संज्ञा पुं० [म० इन्द्र + वाण = प्रायुध] शक्र का धनुप । इद्र इ दुज----पज्ञा पुं० [म० इन्दुज] चंद्रमा का पुर। बुध [को०] । धनुप । उ०पर गजय ब्योम र जि इदबान । गहि काम चाप इ दुजनक--संज्ञा पुं० [सं० इन्दुज क] १ अद्रमा का पिता समुद्र ।। | जनु दिय निसान ।- पृ० रा०, ५७।६५ ।। अत्रि नामक ऋषि [को०] । इदिदिर--सज्ञा पुं० [म० इन्दिन्दिर] भ्रमर । भौंरा (को॰] । इ दुजा--राज्ञा स्त्री० [० इन्दुजा] मोमोद्भवा । नर्मदा नदी । इदि प्र--सज्ञा स्त्री॰ [ नं० इन्द्रिय, प्रा० इदिय ] दे० 'इद्रिय' । इ दुपर्णी--संज्ञा स्त्री० [सं० इन्दुप] पंजीरी नाम का पौधा [को०] । ३०---इदिअ दारुन जतहि हटिय ततहि ततहि घावे ।- इ दुपुष्पिका-संज्ञा स्त्री० [सं० इन्दुपुष्पिका] कनियारी या जागली नाम विद्यापति, पृ० ३७२ ।। | का पौधा (को०] । इदिया--संज्ञा पुं० [अ०] १. म मति । राय । विचार । मया । २. ईदुबधू-संज्ञा स्त्री॰ [म० इन्द्रबधू] दे॰ 'इद्रय' । ३०-ज्यो ज्यो आकाक्षा । इच्छा क्रिो०]। पर से लान तन त्यो त्यो राउति गोइ । नवन वळू लाजन ललित इदिरो---सज्ञा झी० [सं० इन्दिरा] १. लक्ष्मी । विष्णुपत्नी । उ०—मती इदुबवू सी होइ–मतिराम ग्र ०, पृ० ४४६ । विधात्री इदिरा देखी अमित अनूप --मानस १५५५ । २. इदुभ-सज्ञा पुं० [सं० इन्दुभ] १ कर्क राशि । २ मृगशिरा कुमार के कृष्ण पक्ष की एकादशी । ३. शोभा । काति । नक्षत्र [को०] । उ०—शरद इदिरा के मदिर की मानो कोई गैल रही ।- इ दुभा–संज्ञा स्त्री॰ [स० इन्दुभा जलकमलिनी की एक जाति [को०] । कामायनी, पृ० ९८ । इंदुभृत्----संज्ञा पुं० [म० इन्दुभृत] शिव [को०] । यौ०--इदिरामदिर= (१) विष्ण। (२) इदीवर 1 नील कमल ।। इ दुमडल--सज्ञा पुं॰ [ से ० इन्दुमण्डल ] चंद्रमा का घेरा या परिधि इदिरारमण = नश्मीरमण । विष्णु (को॰] । | [को०] । इदिरालय--सज्ञा पुं० [म० इन्दिरालय] नीलकमल (को०] । इंदुमणि-मज्ञा पुस ० इन्दुमणि] १. चद्रकात मणि । २ मोती इदिव र, इदीवर- सज्ञा पुं० [न० इन्दियर, इन्दीवर] 1 नील कमल । [को०] । नीलोत्पल । उ०--स्वगंगा में इदीवर की, या एक पक्ति कर इ दुमती----ज्ञा स्त्री[म्म० इन्दुमती] १ पूणिमा । २ राजा अज की | रही हास । कामायनी, पृ० १५२ । २ कमल । पत्नी जो विदर्भ देश के राजा की वहिन थी । ३ राजा चंद्रइदीवरिणी--सज्ञा झी० [सं० इन्दीवरिणी] कमलिनी (को०] । विजय की पत्नी। उ०---गद्रविजय नृर रह्यो ती ही । रानी इदीवरी--सज्ञा स्त्री० [सं० इन्दीवरी] शतमूली (को०] । इंदुमती रति छोहीं। (शब्द०)।। इदीवार--ज्ञा पुं० [म० इन्दबार दे० 'इदीवर' [को०] । ई दुमान्---सजा पु० [म० इन्दुमत्] अग्नि [को०] । इ दुमुखो- -ज्ञा स्त्री० [-T० इन्दुमु ची] एक लन। (को०)। इ---सज्ञा पु० [सं० इन्दु] १ चद्रमा । २ कपूर । ३. एक प्रकार की इ दुमौलि----ज्ञा पुं० [सं० इन्दु नलि] शिव । इदुभूपण (को०] । सपा । ४ मृगशिरा नक्षत्र । इस नक्षत्र का देवता चंद्र है। इ दुर----संज्ञा पु० [सं० इन्दुर] चूहा । मूसा ।