पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५५४

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समानखाँची अपवन आसमान टूट पडेगा ! असमान दिखाना =(१) कुश्ती में तब ग्रागेवाले यहार पीछेवालो को 'प्राममानी, प्रागनी' पछाड़कर चित्त करना । (२) पराजिन करना । प्रतिपक्षी को कहकर सचेत करते हैं । होना । ममीन पर उड़ना=(१) इतराना । गरूर करना । प्रासमुद्र--क्रि० वि० [म०] समुद्र पर्यंत । समुद्र के तट त । ३0-- (२) बहुत ऊँचे ऊँचे मकप बांधना । ऐसा कार्य करने का अाममुद्र के छितीस और जाति पौ गने। राज लोग भोज को विचार प्रकट करना जो मामथ्र्य से बाहर हो । बहुत बढ़ गढ़ सवै जने गए बने ।—केशव (शब्द०) । कर वातं करना । डींग हाँफना 1 प्रासमान पर चढ़ना = गन्दर प्रासय -सज्ञा पु० मे० प्राशय दे० 'अगिय' । उ०-वैष्णवने । मत करना । धम दिखाना । शेयी मारना । सिट्ठ मारना । जैसे,— (क) कौन सा ऐसा काम कर दिखाया है जो असमान पर को आसय जानि गए --दो सौ बावन, मॉ० १, पृ० ३११ । चुढे जाते हो। (ख) उनका मिज़ाज अाज फल आगमान पर श्रीसर--सज्ञा पु० [सं० शर] ६० 'अमर' ।। चढ़ा है । असमान पर चढाना=(१) अत्यंत प्रग सा करना । श्रासर-सज्ञा पुं॰ [अं० अशर] द रुपए (वगाइयो की उनी) । जैसे, अप जिसपर कृपा करने रागते हैं उसे अममाने पर प्रास आसना-क्रि० स० [सं० अभियण] ग्राश्रय लेना । महारा चहा देते हैं । (२) अत्यने प्रशंसा करके किमी को फ़ा देना। लेना। उ०---नर तनु भक्ति तुम्हारी होय । तर में जीप तारीफ करके मिजाज बिगाड देना । जैसे,- तुमने तो और ग्राम सोय (शब्द॰) । उनको श्राममान पर चढ़ा रखा है, जिसके कारण वह किसी असम -ससा पुं० [र्म० अाश्रम] दे० 'अथिम' । उ-चार विचार को कुछ समझता ही नही। आसमान पर थूकना = किमी ग्रामरम धरम --पलटू०, पृ० १५ ।। महात्मा के ऊपर नाछन लगाने के कारण स्वयं निदित होना। आसरा--सज्ञा पुं० [म० श्रेय प्रा० *प्रासर १ गई। 1 प्राधा । किसी सज्जन के अपमानित करने के कारण उलटे श्राप अवलव । जैसे -(क) यह छत प्रभो के ग्रागरे पर हैं । तिरस्कृत होना । ग्राममान फट पडना = दे० 'शारामान टूट (ख) बुदुड़े लोग नाठी वे अपने पर न ते हैं । २ मरण पहना' । उ0-- फिर यह है कि दुनियां क्यो कर पोपण भी ग्राम । भरो।। ग्राम । ३ किमी में पाया कायम है, ग्रामगान फट वयो नही पडना |---फिसाना०, भा० पाने का निश्चय । जैसे,—-हमे ग्राप ही फ; ग्राम हे दुगरा ३, पृ० ६४ । आममान में थिगली लगाना = विट कार्य हमारा कौन है ।। करना । जहाँ किसी की गति न हो वहाँ पहुचना । जैसे,--- क्रि० प्र०-~-फरना ।—लगाना |--होला । कुटनियाँ आसमान मे थिगनी लगाती हैं । श्राममान में छेद करना= दे० 'ग्रास मान में थिगली नगीना' । प्राप्तमान सिर पर मुहां--प्रासरा टूटना = 'भरोसा न रहना । ने एप होना । मासरा उठाना = (१) ऊघ म मचाना 1 उपद्रव मचाना । (२) हलचल देना = वचन देना । किसी बात का विश्वास दिलाना ।। ४. जीवन या कार्य निर्वाह का हेतु । अथियदाता । महायरः । मचाना । खूब दो नन करना। धूम मचाना । थासमान सिर पर टूट पडना = दे० 'ग्राममान टूट पडेना' । प्रासमान से जैसे,—हुम तो अपना भारारा आपको ही समझते हैं । ५ कारण । पनाह । जैसे,--जिराने तुम्हे अभय दिया उसी के गिरना =(१) अकारण प्रकट होना । अाप से अाप अा साथ ऐसा करते हो । जीना । जैसे,----अगर यह पुस्तक तुमने यहाँ नहीं रखी तो क्या प्रासमान में गिरी है ? (२) अनायास प्राप्त होना । विना क्रि० प्र०- ढूंढना |--पकडना |--देना !-लेन । ६ प्रतीक्षा । प्रत्याशी । इतजार ।। परिश्रम भिग्नना । जैसे,---कुछ काम धाम करते नही, रुपया क्रि० प्र०--तकना ---देखनी - में रहना । क्या आसमान में गिरेगा ? आसमान से बातें करना= अभिमान ७. आ । जैसे,--अब उसका क्या अागरा है, चार दिनों का छूना । ग्रासमान तक पहुचना । बहुत ऊँचा होना । जैसे,— मेहमान है । माधवराय के दोनों धरहरे आसमान से बातें करते हैं। (हाले हूँ। में एक घरहर कमजोर होने से गिर गया । अब एक ही झासरत--वि० [सं० अप्रित या हि० ग्रा+रोत (प्रय) 1 है) । दिमाग आसमान पर होना = बहुत अभिमान होना । १ अाश्रित । किसी के सहारे रहनेवाना। २ रन । असिमानखोचा--संज्ञा पुं॰ [फा० आसमान + हि० खोंचा] १ लवी सिव—सा पुं० [सं०] १ वह्न मद्य जो भभगे ने न चा नाय नग्गी यी घरहरा जो ऊपर तक गया हो। २ बहुत लंबा केवल फल के ग्मीर को निचोड़कर बनाई जाय । ०-- आदमी । ३. एक तरह का हुक्का जिमकी नेची इतनी लवी होती इडी हालती थी वह अनाव जिमकी बुझती प्या7 7.7 |-- है कि हुक्का नीचे रहता है और पीनेवाला कोठे पर ।। कामायनी, पृ० १८३ । २ अौपचे या एक भेद । । आसमानी-वि० [फा०] १ आकाश सवधी । अाकाशीय । प्रात्तान को पानी में मिलाकर भूमि में ३० ४० र ६० दिन 77 फा । २. प्रकाश के रग का 1 हल्का नीना । ३ देवी । गाड रमूने हैं फिर उन नीर को निकन्दर दान में हैं । ईश्वरीय । जैसे,—उनके ऊपर असमानी गजब पड़ा। इमी को प्रानव कहते हैं !! अकं । १. पद् पात्र जिनमें मत आसमानो–संज्ञा स्त्री० १ ताई के पेड़ से निकला हुया मद्य । | रया जाय । ५ उत्त जन । ६ मा ! पुरम (२) । ५. ताही । २ किमी प्रकार का नया, जैसे,—ग, शव । ३ । अधर रम (को०)। मिस्र देश की एक कपास । ४. पालकी के फुहारों की एक वोनी ।(जब कोई पेड की टन अादि अागे आ जाती है। प्रसवद्रमा ५० [सं०] १ तानच। ताइ । १४। ३ पार । जिसका ऊपर से पालकी में धक्का लगने का डर रहता है, अामवन---सटा पुं० [१०] प्राइव बनाने की घिr [a] ।