पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५३९

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आलपाका पालंबन ४७२ गति । शरण । ३ अधिष्ठान [को॰] । ४ लटकी हुई वस्तु वी आल--मज्ञा पुं० [अनुव०] झंझट । चखेडा उ०- (क) आठ पहर पदार्थ [को०] । गया, य ही माया मोह के अन । राम नाम हिरदय नहीं, आलवन---सज्ञा पुं० [स० लम्वन] [ वि० श्रावित ] १ सहारा । जीत लिया जमजाल - -वीर (शब्द०)।। अाश्रये । अवलबने । २ रस में एक विभाग जिसके प्रवल में यौ०-~-अल जजाल, अलि जैजाल,= झट । वडा। उ०- से रस की उत्पत्ति होती है । जैसे,—(क) शृगार रस मे कचन केवल हरि भजन, दूजा काथ कथीर । झा शाल जैजान नायक और नायिका, (ख) रौद्र रस में शत्रु, (ग) हास्य रस तजि, पकडा सच कबीर -कवीर (गन्द०)। प्रानजाल == मे विलक्षण रूप या शब्द, (घ) करुण रस में शोचनीय वस्तु ( १ ) वे सिर पैर की बात । वर उधर की बात ( २ ) अडे या व्यथित, (च) वीर रस में शत्रु या शत्र की प्रिय वस्तु, (छ) | वड या इधर उधर को बस्तु ।। भयानक रस में भयंकर रूप, (ज) वीभत्स रस मे घृणित पदार्थ, | अलि--भज्ञा पुं० [सं० श्रोल यी अद्र] १ गीलापन । तरी । जैसे, पीव, लोहू, मास शादि (झ) अद्भुत रम में अलौकिक बस्नु, ऐसा वर मा कि झील में शान मिल गई। ३ असु । उ०-- (ट) शाल रस मे अनित्य वस्तु, (5) वात्सल्य रस में पुयादि । मिसक्यो जन्न किन लेत दृग, मर पलकन मैं अलि । विचन्नत ३ वौद्ध मत में किसी वस्तु का ध्यान जनित ज्ञान । यह छह प्रकार का है- रूप, रस गध, स्पर्श शब्द और धर्म । ४ । खेचत लाज को मचलत लखि नैदनाल |--स० नाप्नक, साधन । कारण । ५ अाधार [को०] । ६ योगियो द्वारा कृत। | पृ० १६२ । मानसिक ध्यान [को०] । ७ सहारा लेना । प्राय लेना [को॰] । अलि-संज्ञा स्त्री० [अ०] १ बेटी की सतति । आलवनता–सच्चा स्त्री॰ [ म ० लिवन +ता (प्रत्य०) ] ग्रालवन का यौ०--श्रल औलाद = बाल बच्चे । गुण, स्वभाव या धर्म । ३०--उसकी अनबनता स्त्री जाति ३ वश । कुल । खानदान । और पुरुष जाति के वीच नैसगिक अाकर्पण की वडी चौडी प्राल?--संज्ञा पुं० [देश॰] गांव का एक माग । रुव पर ठहरी हैं ।--चितामणि, भा० २ पृ० ६० । । माल-वि० [सं० श्रोल या श्राद्] गीन । कच्चा । हरा । उ० अलवित--वि० [स0 लम्बिन] अथित । अवलवित । अल हि वन कटाइन डेडिया फाइन हो साधो 1--पलटू० आलवितबिंदु- सज्ञा पुं॰ [ स० घालम्वित बिन्दु ] प्रलंबित पुल के भा० ३, पृ० १२ । । आर पार के वे स्थान जहाँ जजीरो के छोर ख भो से लगे आल--संज्ञा पुं० [ देशo 1 एक प्रकार का केटीला पौधा । स्याह रहते हैं। काँटी किंगरई । वि० दे० 'किंगरई' । अलिबी--वि० [स० लम्बिन्] भूनने या लेटकने वाला। उ०-- लकस-सज्ञा यु० [ स ० आलस्य ] [ वि० लेकसी, क्रि० प्र० सव पर सोहत गुजमाल वनमाल सहित अलवी --भारतेंदु अ ०, भा० २, पृ० ४१२ । अलकसाना ] अानस्य ।। श्रीलभ- संज्ञा पु० [सं० सालम्भ] १ छुन । मिलना। पकडनी । २ लक्षण-संज्ञा पुं० [स०] १ परीक्षण । २ निरीक्षण । देखना । उत्पाटन । उखाडना (को०] । मरण । वध | हिंसा । समझना [को॰] । यौ॰—अश्वालभ 1 गवालभ । अलक्षष्य-मज्ञा पुं० [म०] १ दुर्भाग्य । २ अपराध कि०] । आलभन-संज्ञा पु० [स० ग्रालम्भन] दे० 'लभ । शालक्षि--वि० [स०]निरीक्षक । लक्षित करने या समझने वाला[को०] । आलभी--वि० [ स० लम्भिन् ] १ छुनेवाला । २ पकडने । अलिक्षित-वि० [१०] १ मी भौति देखा और समझा हुया ! २, | वाला (को०] ।। | अनुभव किया हुआ (को॰] । अाल-सज्ञा पुं० [स०] हरताल । श्रीलक्ष्य--वि० [स ०] १ दिखाई पडने नायक । प्रकट । २ जो कुछ ल-सज्ञा स्त्री० [स० प्रल = भूषित करना] १ एक पौधा जिसकी कुछ दिखाई पडे । पूरी तौर से न दिखाई पड़नेवाला (को॰] । खेती पहले रग के लिये वहुत होती थी । । अलिबाल-सज्ञा पुं० [ अनु० ] डर । साज सज्जा ।। विशेप--यह पौधा प्रत्येक दूसरे वर्ष बोया जाता है और दो फुट श्रीलगर्द---संज्ञा पुं० [सं०] जल मे रहने वाला एक मपि (को०)। ऊँचा होता है । इसका मूल हा ३०-४० फुट का पूरा पेड होता आनथीपालथी- संज्ञा स्त्री० [हिं० पालथी] बैठने का एक अमन है। इसके दो भेद हैं--एक मोटी शाल और दूसरी छोटी अाल । जिसमें दाहिनी ऐडी बाएँ जघं पर यार वाई एडी दाहिने जघे छोटी अाल फसल के बीच से बोई जाती हैं और मोटी प्रल पर रखते हैं। वडे पेडो के बीज से ग्रापाढ़ में बोई जाती है। इसकी छाल क्रि० प्र०- मारना !- लगाना । अौर जड गुड़ में से काटकर हौज में सड़ने के लिये डाल दी आलन--संज्ञा पुं० [देश ०] १ घाम भूमा अादि जो दीवार पर जाती है और कई दिनो मे रग तैयार होता है। कहते हैं, लगाई जाने वाली मिट्टी में मिलाया जाता है। २ खर पात इससे रंगे हुए कपड़े में दीमक नही लगती । जो चूल्हा बनाने की मिटटी या कडे पाथने के गोबर में मिलाया २ इस पौधे से बना हुआ रग । जाता है। ३ बेसन या आटा जो साग बनाने के समय आल’---सा स्त्री० [वश०] १ एक कीडा जो सरसों की फसल को मिलाया जाता है। हानि पहुंचाता है। माहो। २ प्याज का हरा इल | ३ कई झालना--सज्ञा पुं॰ [ १० लय, फा० लाना घोम ना । लौकी । आलपका–संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे० 'अलपाका' ।