पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५३६

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टिलरी ४६९ झार्दै के भेद जिनके शरीर स कुचिते रहते हैं, पर चलने की दशा में आर्तवधु-मज्ञा पुं० [म० थार्तवन्धु] १ दुखियो को सहायक । दीनबंधु ।। फैल जाते हैं, जैसे,—जोक ! भगवान् । परमात्मा को ।। भाटिलरी–मुज्ञा स्त्री॰ [अ॰] तोपखाना । आर्तव?--वि० [स०] [स्त्री० अर्तवी] ऋतु में उत्पन्न । मौसमी ।। आर्टिस्ट-सज्ञा पुं० [अ०] वह जो किसी कला मे, विशेषकर ललित। मामयिक । २ ऋतु सवधी । ३ मासिक स्राव मयेधी [को०)। कला (चित्रकारी, तक्षणकला, मगीत, नृत्य श्रादि) में अातंव--वह ज जो स्त्रियों की योनि में प्रति माम् निकलता है। | कुशल हो । | पुष्प । रज । यौ०–आर्तव रोग = स्त्रियों के मासिक धर्म का समयानुसार ने। अर्डर- संज्ञा पु० (अ० ऑर्डर] १. प्रज्ञा । हुक्म । २ कोई वस्तु भेजने होना। यह दो प्रकार का होता है--(१) रजत्राव == जब पहचाने या मुहैया करने के लिये मौखिक या लिखित आदेश । रजोधर्म चार से अधिक दिन तक रहे अथवा महीने में एक से मांग 1 जैसे,—(क) वे बादामी कागज की एक गाँठ का आर्डर अधिक बार हो । (२) रजस्तंभ = जब रजोधर्म एक मास से । दे गए हैं 1--(ख) अाजकल बाहर से बहुत कम अर्डर अाते हैं। अधिक कान पर हो या कई महीने का अतर देकर हो । क्रि० प्र०- अाना ।--देना --मिलना । । प्रतवाणीसज्ञा स्त्री॰ [स०] दु ग्वभूचक शब्द । शार्तस्वर । उ०—यौ०--प्रार्डरवुक = वह वहीं जिसमें प्रदेश या माँग लिखी जाय । झा वृद्वो की प्रार्तवाणी, कदन रमणियों का भैरव सगीत बना - अर्डर सप्लाई । अर्डर सप्लायर । लहर, पृ० ६५ ।। ३ स्थिरता । शाति । जैसे,--सभा में वहा हल्ला मचा, लोग प्रतिवेयी-सज्ञा स्त्री० [सं०] रजस्वला स्त्री। ऋतुमति नारी (को०] । | ‘प्रार्डर', 'अर्डर', कहने लगे । ४ क्रम । मिलसिला। अर्तिसाधु--वि० [स०] दे० 'आर्तवधु' [को०)। अर्डरी--वि० [अ० अर्डर + हि ई (प्रत्य॰)] अाईरसवधी । प्रार्तस्वर---सज्ञा पु० [स ०] दु खसूचक शब्द । आर्डर का ! आति---सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ पीडा । दर्द । २. दु छ । क्लेश । ३. आडिनरी-वि० [अ० डिनरी] १ साधारण । मामान्य । माम् ।। व्याधि । रोग (को०] १४ विनाश । वर्वादी (को०)। ५ बुराई । जैसे,—- प्राडिनरी मेवर। ग्राडिनरी शेयर । २ प्रसिद्ध । प्रधान । निदा कि०] 1 ६ धनुप की कोर (को०) । यौ०--आडनरी स्टाक = कपनी का प्रधान या असली धन । श्राति +---सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे॰ 'आरती' । उ०-फेरि रसोई में । आडिनेंस सज्ञा पुं० [अ० श्रॉडिनेन्स] वह प्रदेश या हुक्म जो किसी। जाइ मर्म भए भोग सराइ श्री ठाकुर जी की मगला प्रति । देश के अधिकारी (भारत में वाइसराय, अब राष्ट्रपति) विशेष करि, मिगार धरते ।--दो मौ० बावन, भा० १, पृ० १०१ ।। अवसरों पर जारी करते हैं और कुछ काले के लिये कानून अात्विज-वि० [सं०] [स्त्री॰ अात्विजा] ऋत्विजासबंधी ।। माना जाता है । अस्थायी व्यवस्था या कानून । जैसे,-नए यौ०---त्विजी दक्षिणा = ऋत्विज की दक्षिणा । अडिनेंस के अनुसार बगाल में कितने ही युवक गिरफ्तार थिक--वि० [सं०] १ धनसवधी । द्रव्यमवधी । रुपये पैसे का । माली । जैसे,--- अथिक दशा । आर्थिक सहायता । उ०—नख किए गए । विशेप-मारत में वाइसराय अपने अधिकार से, बिना कोसिन की तर अनर्थ आर्थिक पथ पर, हारता रहा मैं स्वार्थ समर |-- समति लिए छाडिनेंस जारी कर मक्ते थे । ऐसे अडिनेम का अपरा०, पृ० १६६ । २. महत्वपूर्ण । महत्व का [को०] । ३. काले छह महीने होता है पर अावश्यकता पड़ने पर वढाया भी धनयुक्त । वनी [को०] । ४ चतुर । कुशल [को०] । ५ । स्वाभाविक । नैसर्गिक [को०] । ६ किसी शब्द के अर्थ से। जा मकता है । म्वतत्र भारत में यह अधिकार राष्ट्रपति को है। नि मृत [को०] । प्राणव- वि० [म०] अर्णव या समुद्र सवधी (को०] ! अर्थी-सज्ञा स्त्री० दे० 'कैतवापनुति' । आर्त, आर्त--वि० [सं०] [सज्ञा अति १ पीडित । चोट खाया प्राथडिक्स-वि० [अ० अॉयडाँस ] जो अपने धामिक मत या हुआ। २. टु खित । दुखी । कातर । ३ अस्वस्थ ।४ मि द्रात पर अटल हो । अपने घामक मत या सिद्धति से टस से नश्वर [को०] । मस न होनेवाला । कट्टर सनातनी । जैसे,---परिपद के आर्तगल—सझा पुं० [म०] नीली कटसरैया । प्रार्थोडक्स हिंदू मेवरों ने शारदा विवाह विल का घोर आर्तता--मज्ञा स्त्री० [म०] १. पीडा । दर्द । २. दुध । क्लेश । विरोध किया । अार्तध्यान--सज्ञा पुं० [सं०] जैनियो के मतानुमार वह ध्यान जिससे श्राद्ध--वि० [सं०] अाधा । जैसे,—आर्द्धमासिक [को०] । विशेप--यह चार प्रकार का है-(१) अनिष्टार्त सयोगार्त द्धिक–वि० स० दे० 'अधिक' [को॰] । ध्यान । (२) दुष्टाय वियोगात घ्यान । (३) रोग निदानार्त भाद्र'--वि० [सं०] [मना भाद्र ता] १ गीला । श्रोदा । तर । २. ध्यान और (४) अग्रशोचनमार्त ध्यान । मना । लथपथ । यौ०--अर्द्रवीर । अनि । । आर्तव्वनि-सा स्त्री॰ [सं०] दुखभरी पुकार 1 दर्दभरी अावाज [को०] अद्रक-मज्ञा पुं॰ [सं०] पदरक । अादी । आर्तनाद-सया पुं० [सं०] वह शब्द जिससे सुननेवाले को यह वोध हो कि उसका उच्चारण करनेवान्ना दु ख में है ! दुःखसूचक अद्र क–वि० १ अर्द्रा नक्षत्रसवघी वा आद्रा में उत्पन्न । ३. गीला । तर [को०] । शब्द ।