पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५२८

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अर्यमन श्रीयुर्दाय क्रि० प्र०—करना ।--होना । मुही--प्रायु खुटाना = आयु कम होना । उ०—जेहि सुमाय प्रायमन--सज्ञा पुं० [सं०] १ लवाई । विस्तार । २ नियमन । ३. चितवहि हित जानी । सो जानै जनु अायु वृटानी - तुलसी तानने या खीचने की क्रिया (जैसे धनुप को) । [को०] (शब्द॰) । आयु सिराना = आयु का अन होना । उ०—जो ते आयमा--सज्ञा स्त्री॰ [अ॰] वह भूमि जो इमाम या मुल्ना को बिना कही सो सव हम जानी। पुरी की आयु मिरानी ।-- लगान या थोडे लगान पर दी जाय ।। गोपाल (शब्द०)। अयवस--संज्ञा पुं० [सं०] १ पशुमो के घरने के लिये घास का आयुक्त--वि० [स०] १ नियुक्त । ३ अधिकारप्राप्त । ३ संयुक्त । मैदान । २ पशुत्रो को खिलाने का स्थान (को०] । । समिलित । ४ प्राप्त किने । आयव्यय---संज्ञा पुं० [सं०] जमाखर्च । आमदनी और खर्च । (को०) श्रायुक्त- मज्ञा पु० १ सचिव । मत्री । २ कारिंदा । ३ कोपाधिप्रायस--सज्ञा पुं० [म०] [वि० प्रायमी] नोहा 1 १ लोहा २ लोहे का। कारी । ४, कमिश्नर । (को०] । कवच । ३ अगर नाम की लकड़ी । ४ रत्न | मणि । यौ॰—उच्चायुक्त = हाई कमिश्नर । झायस’ !--सज्ञा स्त्री० [सं० श्रायसु] १ अादेश । हुक्म । अज्ञा। आयुक्तक--संज्ञा पुं० [सं०] अधिकारीविशेप [को॰] । २ विवाह के अवसर को एक रीति । आयुन'- वि० [म०] १ मिश्रित । २ द्रवित । पिघला हुअा (को०] । श्रायमी-वि०[म ० अायसीय]लोहे का । ग्राहनी । उ०-मजूपा यमी युत--सज्ञा पुं॰ [ स० ] अाधा पिघला हुआ। नवनीत या कठोर । वडि सृखला लगी चहु ग्रोरा !-रघुराज (शब्द०)। मक्खन (को॰] । अायसी- सच्चा पु० [सं०] कवच । जिर हुबख्तर । श्रायुतिक---सज्ञा पुं० [म०] दम हजार सिपाहियों का अध्यक्ष । आयसीय--वि० [स०] नोहे का । लौह का बना हुवा को०] । आयुध-सज्ञा पुं० [सं०] हथियार। शस्त्र । ३०–तिन्हके आयुर्घ प्रायसु- सज्ञा ली० [स] प्रज्ञा । हुक्म । उ०—प्रभु अनुराग गाँगि तिन स म करि काटे रघुवीर - मानस, ३।१३।। अयम् पुर जन सव काज सँवारे ।--तुलसी ग्र०, पृ० ३५९ । यौ०-शायुवीगार= सिनहखाना । युवन्याम् । आया--कि० अ० [हिं० ग्राना] प्रान। क्रिया का मूतकाल लिक रूप । श्रायुधजीवी- वि० [ मे० प्रायुधजीविन् ] शस्त्र या हथियार की या-सल्ला जी० [पुर्त ०] अंगरेजो के बच्चो को दूध पिलाने और बदौलत जीविका उपजित करनेवाला वि० । उनकी रक्षा करनेवाली स्त्री । धाय । धान ।। प्रायुधजीवी--संज्ञा पु० सैनिक । मिपाही को०)। श्रीया'- अव्य० [फा०] क्या । जैसे- अाया तुमने यह काम किया है। ग्रायुधर्धामणी—सज्ञा नी० [स०] जयती वृक्ष (को॰] । | या नहीं। आयुधन्यास - सज्ञा पुं० [सं०] वैष्णवो में पूजन के पहले वाह्यशुद्धि अायात--संज्ञा पु० [सं०] वह वस्तु या माल जो व्यापार के निये का विधान । इनमे चक्र, गदा ग्रादिं प्रायुधों का नाम ले लेकर विदेश से अपने देश में लाया या मंगाया गया हो। गत । एक एक अम का स्पर्श करते हैं । जैसे,—अायात व्यापार ।। अयुधपाल---मज्ञा पुं० [म०] स्त्रिागार या मिनहखाने को अधियी० •-आयातकर= ग्रायात वस्तुग्रो पर नगानेवाला महसूल ।। कारी (को०] । आयाति-मज्ञा स्त्री० [को०] १ अागमन । २. पास ग्राना [को०] । आयुधभतु--वि० [म०] शस्त्रधारी । हथियारबंद [को०] । आयान-मज्ञा पुं० [स०] १ आना।२ प्रकृति । स्वभाव । श्रायुधशाला---मज्ञा स्त्री० [सं०] दे० 'प्रायुधागार' (को॰] । अादत [को०] । आयुषसहाय–वि० [सं०] जिसका सहायक आयुध या हथियार हो । याम-सझा पु० [सं०]१ लवाई । विस्तार । २ नियमित करने | हथियारबद [को०] । की क्रिया । नियमन । अायुधागार--संज्ञा पुं॰ [सं०] शस्त्रागार । सिन्हवाना [को०] । यौo-प्राणायाम = प्राणवायु को नियमित करने की क्रिया ।। युधिक-वि० [सं०] शम्त्र से सवध रखनेवाला [को०] । मायाम-क्रि० वि० एक पहर तक । युधिक-मज्ञा पु० में निक। मिपाही (को०] । श्रयास-सज्ञा पुं० [सं०] परिश्रम । मेहनत । श्रायुवी-वि० [स० युधिन्] दे० 'अायधीश' [को॰] । यौ०---अनायास । युवीय--मज्ञा पुं० [सं०] १. फौजी सिपाही । ३ से निक या रंगरूट प्रायासक-वि० [म०] १ परिश्रम करानेवाला । थकानेवाला २. देनेवाला गांव [को०] । | कष्टकारक (को०] । ग्रायुधी काय--मज्ञा पुं० [स०] वह् राष्ट्र जिसमें फौज में काम प्रायासी- वि० [म० आयासिन्] १ जिमने परिश्रम किया हो । थका । करनेवाले सिपाहियों की सम्या अधिक हो । (को०)। | हुआ । २ प्रयास में लगा हुप्रा । परिश्रमी (को०]। आयुर्दार्य-संज्ञा पुं॰ [सं०] १ फलित ज्योतिष में ग्रहों के वनावल आयु शेष---संज्ञा पुं० [सं० श्रायुस् +शेष] अायु का शेप माग [को०] । के अनुसार श्रायु का निर्णय । जैसे अष्टम स्थान में बृहस्पति प्रायु प्टोम-सज्ञा पु० [सं० आयुस्+प्टोम] दीर्घजीवन की प्राप्ति आयु बढाता है और तीसरे, छठे अौर ११वें स्थान में राह, के लिये किया जानेवाला यज्ञ विशेष किो०] । मगल और शनि ग्रादि पापग्रह प्रायु बढ़ाते है । लग्न या चद्रमा मायु--सी स्त्री० [सं०] वय । उम्र। जिंदगी । जीवनकाल । को यदि मारकेश वा अष्टमेश देव्रता हो, तो अायु क्षीण होती क्रि० प्र०--क्षीण होना।--घटना ।--पूरी होना ।--मना । है । १.अयु । जीवनकाल ।