पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५२७

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अयिदै अमेजिश अमेजिश--सज्ञा स्त्री० [फा० अमेजिश ] मिलावट । मिश्रण । मेल शाम्लिका-सज्ञा स्त्री० [सं०] इमली। आमेर - सज्ञा पुं० [स० अम्बर] राजपूताने का एक नगर जो जयपुर श्रातीपायँती--संज्ञा स्त्री० [फा० पायताना अयं वा म० श्रादित + के पास है और जहाँ पहले राजधानी थी । पादत ] भिरहाना पायताना। उ०—प्रार्य की ही छह 'रायेंती अमोख्ता--संज्ञा पुं० [फा० आमोख्तह ] पढे हुए को अभ्यास के लिये और पायेंनी की यायेंनी 1--(शब्द०)। 'फिर पढ़ना । उद्धरणी। शायद - वि०, क्रि० वि० दे० 'प्राइदा' । उ--नके दिन पर पूरा क्रि० प्र०--करना --पढना --फेरनी । सुनाना। असर न हुआ। तो, शायद बी बी की नूरन पैदा होगी।--श्रीनिवास ग्रे ०, पृ० ३1 1 आमोचन-- सज्ञा पुं॰ [स०] वधनहीन करना । मुक्त करना [को०] । आमोद--सज्ञा पुं॰ [सं०][वि० मोदित, मोदी] १ शानद । हपं । ० [स][वि. मोदित ग्रामोहन ज्ञान प्रायंदा - वि०, क्रि० वि० दे० 'अाइदा'। प्रायः खुशी । प्रसन्नता । उ०-- हाँ झूमता है चित्त के प्रमोद के । शिम ३ वोट के आय-मज्ञा स्त्री० [सं०] १ ग्रामदनी। ग्रामः । नाम । प्राप्ति । धनागम ।। अवैग में ।--कानन०, पृ० ५३ । २ दिलबहलाव । यौ० - प्रायःपय । तफरीह । ३. दूर से आनेवाली महक । सुगध । उ0 २ जन्मकुंडली में ११ व थाने । ३ भाग मन । अना (को०) कमल तजि तन रुचत नाही झाक को प्रमोद ।--सूर०, ४ अत पुररक्षक (को॰) । १०|४५३५ । ४ शतावर। प्राय - सज्ञा स्त्री॰ [सं० श्रायु] "० "अायु'। ३०-धन्य ३ जे मीन यौ ०-- आमोदप्रमोद। आमोदयात्रा == मन बहलाने की दृष्टि । से अवधि अबु प्राय है ।—तुमी ग्र०, पृ० ३३७ । | से यात्रा । अमोदन--सझा पुं० [सं०] १ सुगधित करना । वासना । २ दे० भ , आय-- क्रि० अ० [म० अस् = होना] पुरानी हिंदी के 'अागना' ॥ 'मोद' [को०] । या अाहना' ( होना ) शिया का वेतमानानिक रूप । आमोदप्रमोद--संज्ञा पुं० [मं०] भोगविलास । मुख चैन । हँसी खुशी ।। ( शुद्ध शब्द ग्राहि' है )। अमोदित-- वि० [सं०] १ प्रसन्न । खुश । हयत । ३ दिल लगायत'--वि० [१०] विस्तृत । न वा चोट । दीर्घ । विशाल । उ०- , हुआ । जी वहला हुआ । ३ सुगंधित । उ०--और चदन सोहत ब्याह साज मव साजे । उर अायत उर भूपन कपूरादि की सुगध से घ्राणेंद्रिय तथा मस्तिष्क प्रमोदित हो राजे 1-मानस, १1३२७ । जाता हैं ।—प्रताप ग्र०, पृ० ५१५ ।। आयत--संज्ञा स्त्री० [अ०] इजील का वाक्य । कुराने का वाक्य । अमोदी---वि० [सं० आमोदिन] प्रसन्न रहनेवाला । खुश रहनेवाला। उ०-पुनि उस्मान भडित बड गुनी । लिः पुरान जो प्रावत सुनी ।—जायसी ग्न ०, पृ० ५। प्रमोष- सज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ अमोषी] चुराना । अपहरण । | आयतच्छदासज्ञा स्त्री० [म०] कदनीं । ये कि० । | छीनना [को०)। अायतन--संज्ञा पुं० [म०] १ मकान । घः। मंदिर । २ विश्राममोषी -सज्ञा पुं० [मं० मोविन्] तस्कर । चोर [को॰] । | स्थान । ठहरने की जगह 13 देवताग्रो की वदनी की जगह । आम्नात'- वि० [सं०] विचारा हृा। कहा हुआ।। २ दुहराया हुआ। यौ०-- रामपचायतन =जानकी सहित इम, नक्ष्मण, भरत और पढ़ा हुआ । ३ याद किया हुआ । स्मरण किया हुआ । शत्रुघ्न की मूर्ति । ४ ग्रयोबत । शास्त्रोक्त । ५ पवित्र ग्रथादि के रूप में पर ४ ज्ञान के सचार का स्थान । वे स्थान जिने म किन्नी कान तक परागत को०] । ज्ञान की स्थिति रहती है, जैसे,--इद्रियां और उनके विषय । अम्निात--सज्ञा पुं॰ [सं०] अध्ययन [को॰] । विशेप-बौद्ध मतानुसार उनके १२ अायतन हैं-(१) चक्ष्वायतन, आम्नाय-सच्चा पुं० [स०] १ अभ्यास । (२) श्रोत्रायतन, (३) घ्राणायतन, (४) जिह्वायतन, (५) यौ--अक्षराम्नाय = वर्णमाला । कुलाम्नाय = कुलपपरी । कुल कायायतन, (६) मनसायतन, (७) रूपायतन, (८) शब्दायतन, की रीति । (६) गधायतन, (१०) रमनायतन, (११) श्रोतव्ययितन और २ वेद आदि का पाठ और अभ्यास । ३. वेद । (१२) धर्मायतन । अम्मि - संज्ञा पुं॰ [देश॰] नेवले के प्रकार का एक जतु । आयतनेत्र---वि० [सं०] विशाल नेवाला । यी वडी अखिोवाला आम्र-सज्ञा पुं॰ [सं०] १ आम का पेड । २ श्रम का फल । | को०] । यी०-आम्रवन= अमि को वन । आयतलोचन--वि० [सं०] दे० 'आयतनेत्र' (को॰] । अम्रिकूट-- सच्ची पुं० [सं०] एक पर्वत जिसे अमरकदक कहते हैं । आयति-सच्चा स्त्री॰ [सं०] भावी आय । अागे होनेवाली आमदनी अम्रिगधक-संज्ञा पुं॰ [स० आम्रगन्धक] एक पौधा । समष्ठिल (को०)। को०] । आम्रात्, आग्नातक---सच्चा पुं० [स०] अमड़े का पेड और फल ।। आयत्त–वि० [सं०] [सज्ञा प्रायत्ति] अधीन । वशीभूत । आम्ल-दि० [सं०] अम्लसबधी [को॰] । आयत्ति--सज्ञा स्त्री० [सं०] अधीनता । परवशता ।। आम्ल---सज्ञा पुं० [सं० स्त्री० आम्ला] १ खट्टापन । २ इमनी (को०] । यद--वि० [अ०1 आरोपित । लगाया हुआ । जैसे,—तुम पर कई मालवैतस-सच्चा पुं० [सं०] दे० 'अम्लवेवस' । जुर्म मायद होते हैं।