पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५१७

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२ र .", " ",१।। । । । । । । अपरेशनमा पु० [अ० अपरेशन] शल्यचिकित्गा । आपतु क--वि० [सं०] किसी विशेष समये या ऋतु से गयध 77ने | वाला [को०] । । प्रापवयं---वि० [२०] अप वगं या गोद से मवध रवाना (०) । आपससपा स्त्री॰ [हिं० प्राप] [वि० झापसी] १ २५ । नाता । 'भाईचारा । जैसे,---पगवानो ने घोरा न होगा। २ एप दूसरे का माय । एकः दृगरे । गयेष्ठ । विशेष-इन पदद का प्रयोग केचन 'रष्ठ।' घर गम' में है ? हैं । नियमानुसार राष्ठी में पर विनेपा । न पाए । जैसे,----(क) पर तो प्रापन में वान ।। (१) । पापन में लड़ रहे हैं। मुहा०--प्रापन फा= (१) एह गरे ग म मान ग३राना। अपने भाई वध के बी7 का । --गम पर माम।। अपम फी बाते । अाप में 17 पद । । ---कहो न, ग) के मय पर ही के लोग ये है । (२) प र ” । 'र ' T।। जैसे,--जर नहीं पात पर 37 अपम पर पाTI TI 9: कर दिया । आपस में = परगर । एक दु" में माम् । " दूसरे गीत । ३०--( 1 ) :: मम 1ि7 •। अपम में है । 5 -7 ( ०)। (५) । पाहै नाम सुने नियों ने ग्राम में पट, १ " {---- तुरनी 7 ०, पृ० १६७।। यौ०- प्रापनदारी = पदर TT व्यपार । भार! | पापपर | = अम्यिन् ।। आपस्तव- राजा पुं० [H० मापन्त) [१० पापम्तपीय] १ एफ' या जी हाण यद २ ः III के प्रयतः थे। म ना उन्ही के नाम से प्रसिद्ध ।। २ गोपन्ना गाया है । मू'Tफार जिनने बनाए तीन नुव ग्रप ६, न्य, गुड़ और पर्ने । ३ एक स्मृतिकार जि को मृति इन नाग ने प्रसिद्ध है । झापस्तवीय- वि० [३० आपस्तम्बोय] [गःतय गरी । झापा--सझा पुं० [हिं० प्राप] १ मा पनी म । पपन पनि । जैसे,—प्रपने ग्रागे को गम), तब ब्रह्मनान होगा । २ पनी अननियत । जैने,--- अपने पापको देयो तप व यार ब? फरना । ३ प्रहार । घमः । ग । ३०--(क) जग में कोई नहीं जामें शीतल होय ! या श्राप पो झारि ६ दया गरे सब ? यि ।“पचौर (शन्द०) । क्रि० प्र०-पोना -छोडना ।-जाना ।-मिटना । ४ होश हवाम् । गुध बुध । जैसे,—यह दशा देय नोग अपना Ti भूल गए । मुहा०—-प्रपा पोना = (१) प्रकार त्यागना। नग्न होना । निरभिमान होना । उ०--ऐसी वानी बोलिए मन या पापा बोय । अौरन यो गीत १ कर प्रापुहि शीतल होय !-- बीर (शब्द॰) । (२) अपने यो वरवाद करना । अपने को मिटाना। अपनी मत्ता को भूलना। पाक में मिलाना । उ०—गहि पनि मिले जग होई। थापहि चोय रहा होय नोई ।—जायगी (पशब्द०)। (३)हस्ती विगाहना 1 प्राण तजना। मरना । जैसे,उसने जरा सी बात पर अपना आपा पो दिया। पापा डालना दिग: :: :: :: :: ४ : " ( A)। स त -** = ! • • " - • • • १ । "•ि • • ६१ = (१) १५ ।। !! १ १ १-१ : (०१६} =पन ! if ,- १२ / १-१ । (२) इप 1 २ ३ १६न । * 1; ; १००; } ",---**** 1 7 में ।, ( :.; १ ३ २१:१; ?"। । ६५ । ३ ।। -2 °३ ६१८। । । । । । 7 २६ मन नौ । ) fr ! 7.: **t | रे में निष पना: ६ ६ : १४ । ३ ।। ** * * * ग; 1 7 1 । ३,-३ : फोन ::, । । । । । मी चान ५२ ६ ३ ३ । (१ , ० ०३ में दार =(१) ३ ३ ३ ३ । । । । । * * * ये 91 न भ ध ध न । प ' ३२ • ft३ । । हो हो । उ०-(१) एर म पनी ।। ३ ३ ३६ मापे में हर होना ।--प्रयो । ( द) (?) - २ व प्रापे ने बार हो । र । - दी । (३) पवरना । उद्भिर होना । जैन, र १५, १९ में चार होने के काग न त ।