पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५१३

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न।२ श्रीना अब चार आने लोग रह गए हैं । (ख) इस गाँव मे चार प्राना उनका है। आना--क्रि० अ० [सं० आगमन, पुं० हिं० आगवन, भावना, जैसे द्विगुण से इना । अथवा सै० स्नायणा हिं० भावना] १ वक्ता के स्थान की ओर चलना या उस पर प्राप्त होना । जिस स्थान पर कहनेवाला है, था या रहेगा उसकी झोर बराबर वढना या वहाँ पहुँचना । जैसे,—(क) वे कानपुर से हमारे पास आ रहे है । (ख) जब हम वनारस में थे, तब आप हमारे पास अाए थे । (ग) हमारे माथ साथ तुम भी आओ। २ जाकर वापस अना। जाकर लौटना । जैसे-तुम यही खडे रहो, मैं अभी अाता हू । ३ प्रारंभ होना । जैसे,--बरसात आते ही मेढ़क बोलने लगते हैं। ४ फलना । फुनना । जैसे,—(क) इस साल में खूब आए हैं। (ख) पानी देने से इस पेड़ में अच्छे फूल अावेंगे । ५ किसी भाव का उत्पन्न होना । जैसे,—ानद अाना, क्रोध आना, दया आना, कम्णा आना, लज्जा राना, शमं माना । विशेष- इस अर्थ में 'मैं' के स्थान पर 'को' लगता है। जैसे,-- उनको यह बात सुनते ही वडा क्रोध आया। ६ च पर चढ़े हुए किसी भोज्य पदार्थ का पनना या सिद्ध होना । जैसे,--(क) चावल आ गए, अव उतार लो । (ख) देखो, चाशनी श्री गई या नही । ७ स्खलित होना । जैमै--- जो यह दवा खाता है, वह वही देर से अाता है । मुहा०— आई = (१) प्राई हुई मृत्यु । जैसे,---प्राई कही टलती है। (२) प्राई हुई विपत्ति। आए दिन-प्रतिदिन । रोज रोज । जैसे,—यह आए दिन का झगडा अच्छा नही । अाए गए होना = खो जाना। नष्ट होना। फजूल खर्च होना । जैसे,—वे रुपए तो अाए गए हो गए । प्रो या माइए = जिस काम को हम करने जाते हैं, उसमें योग दो । जैसे,--प्रोमो, चलें घूम अावें । ( ख ) अाइए, देखें तो इस किताब में क्या लिखा है। श्री जाना= पड जाना। स्थित होना। जैसे,—उनका पैर पहिए के नीचे आ गया । आता जाता= आने जानेवाला । पृथिक । बटोही । जैसे,—किसी अाते जाते के हाथ रुपया भेज देना। माना जाना=(१) अावागमन । जैसे,--उनका बरावर आना जाना लगा रहता है । (२) सहवास करना । सभोग करना । जैसे,—कोई आता जाता न होता तो यह लहका कहाँ से होता ? आ घमकना = एकबारगी मा पहुँचना। अचानक आ पहूचना । जैसे,—बागी इधर उधर भागने की फिक्र कर ही रहे थे कि मरकारी फौज आ धमकी । आ निकलना = एकाएक पहुच जाना। अनायास घf जाना । जैसे,—(क) कमी कभी जब वे अ निकलते हैं, तब मुलाकात हो जाती है । (ख) मालूम नही हम लोग कहीं आ निकले। आ पडना=(१) सह्सा गिरना। एकबारगी गिरना। जैसे,—धरन एकदम नीचे आ पडी । (२) अाक्रमण करना जैसे,—उसपर एक साथ ही वीस अादमी ा पड़े। (३) अनिष्ट घटना का घटित होना । जैसे,—बेचारे पर बैठे बिठाए यह आफत आ पडी । (४)'सकट, कठिनाई या दु ख का उपस्थित होना । जैसे,--(क) तुमपर क्या आ पड़ी है जो उनके पीछे दौडते फिरो । () जप मा पनी है व कुछ नहीं सूझता । (५) उपस्थित होना। एक पारी प्राना । जैसे,-( क ) जब काम मा गडना , नत्र यह मिशः जात्रा है । ( 7 ) उनपर गृहस्थी का मा। बी* ग्रा पटा । (शब्द०) (ग ) कल हमारे यहाँ हम मेहमान | पटे । ( मन्द० )। (६) डेरा जमाना । टिकना । विश्राम करना । जंग,–'यो घर उधर भटकते हो, चार दिन यी प्रा पटो । प्राया गया = अतिथि । म्यागेन । जैसे,—-माए गए हैं। अच्छा नग्इ नकार करना चाहिए । अा रहना = गिर पड़ना । जैसे,—(क) पानी बरसते ही दीवार ग्रा र । ( 5 ) य? पुनर पर में नीचे आ रहा । आ लगना=(१) किमी ठिाने पर पहुँचना । जैसे,--( क ) बात की बात में किएन किनारे 9 वर्ग । (ख) रेल गाडी प्लेटफार्म पर प्रा नगी । ( न पिपद का प्रयोग जर पदायों के 1िये होना है, चेतन के तिने मट्टी । (२) प्रारंभ होना । जैसे,—प्रगहन का महीना श्री 7 है। (२) पीछे लगना । नाथ होना । जैसे,—जर म भने हा दरले प्रा नगते हैं। प्रा नैना = पान पहुँच जाना । पद नैना । जैसे,--डाकू भागे पर गवारों ने प्रा लिय। (२) प्रश्नमग मरना। टूट पडना । जैसे -हिन चुपचाप पानी पी रहा था कि वाघ ने प्रा लिया। किसी का किसी पर कुछ यूपया प्रना=किनी के जिम्मे किसी वा कुछ नया नि उनी । जैसे,—क्या तुम पर उनका कुछ प्राता है? हाँ, बन गये । किसी की म्रा बनना = किसी का लाभ उठाने का अच्छी अवसर हाथ आना । म्बार्यमाघन का मौ मिना । जैसे, कोई देखने 'भालने वाला है नही, नौकरी की भी बनी हैं। किसी को कुछ प्राना= विराी पो हुE बोध होना । निमी को कुछ ज्ञान होना । जैसे,—(क) उसे नो योजना ही नहीं अाता। () उसे चार महीने में हिंदी जायगी । किती को कुछ माना जाना= किमी को कुछ बोध या ज्ञान होना । जैसे,--उन को कुछ अाता जाता नहीं। किसी पर भी बनना = किसी पर विपत्ति पर ना । जैम.--( क ) अाज न तो हमपर चारों ओर से प्री बनी है। (व ) मेरी जान पर प्रा बनी है । उ०-~प्रान बनी सिर अपने छोड पर अ। म ( शब्द० ) (किसी वस्तु) में माना = (१) ऊपर से ठीक वैठना। ऊपर से जमकर बैठना । चपकना । ढीला या तग न होना । जैसे,— (क) देखो तो तुम्हारे पैर में यह जूता पाता है। (व) यह सामी इस छडी में नहीं आयेगी। (२) भीतर अटना। रामना । जैसे,—-इस वरतन में दम सेर घी भाता है । ( ३ ) अतर्गत होना । अतभूत होना । जैसे,—ये 7 विपम विज्ञान ही में आ गए। किसी वस्तु से ( घन या आर्य ) माना = किसी वस्तु से आमदनी होना । जैसे,--( क ) इत गाँव से तुम्हें कितना रुपया अता है ? ( ख ) इस घर से कितना किराया अाता है ? ( जहाँ पर प्राय के किमी विशेष भेद का प्रयोग होता है, जैसे,----भाडा, किराया, लगान, मालगुजारी आदि वहाँ चाहे 'का' का व्यवहार करें चाहे 'से' का । जैसे,--( क ) इस पर का कितना किराया' आता है । (ख) इस घर से कितना किराया माता हैं । (पर जहाँ ‘रुपया' या 'धन' मादि शब्दो का