पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५१२

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आनंदित अनि आनंदित--वि० [सं० आनन्दित] हपित । मुदित । प्रमुदित । सुखी । नति--पच्चा स्त्री० [म०]१. नत होना । झुकना । झुकाव।२ प्रणाम उ०----ग्रीनदित गोपी ग्वाल, नाचें कर दे दे ताल, अति करना । प्रणति । ३ सत्कार करना [को०) । | अहनाद भयो जगुमति माइ के ।---मूर०, १० । ३१ । आनतिकरे---संज्ञा स्त्री० [मं०] उपहार । पुरस्कार [को०)। श्री नदी--वि० [सं० अनन्दिन्] हपित । प्रसन्न । सुखी । खुरा। । शानद्ध-वि० [स०] १ बँधा हुआ । कमी हुआ। २ मढ़ा हुआ । आन--सज्ञा स्त्री० [ स० आणि = मर्यादा, सीमा ] १ भया । २ नद्ध- सप्ता पुं० १ वह बाजा जो चमड़े से मढ़ा हो, जैसे--ढोल शपथ । सौगध । कसम । उ०-मोहि राम राउरि प्रान दसरथ | मृदग अादि । २. सज्जित होना । कपड़े मामूपण प्रादि मपथ मब साँची कहौ ।--भानस, १०० | ३. विजय पहनना [को॰] । घोपणा । दुहाई । शानद्धवस्तिता--संज्ञा स्त्री० [सं०] पेशाब या पाखाने का रुकना[को०] । क्रि० प्र०- फिरना । उ०-वार वार यो कहत संकात न, तोहि आनन--सज्ञा पुं० [सं०] १. मुख । भुह । उ०-~ग्रानन रहित मकन्न हति लेहं प्रान । मेरै जान, कनकपुरी फिरि है रामचंद्र की रस भोगी ।-मानस, १११८ । २ चेहरः। ३०-ग्रानन है। ग्रान --सूर०, ६॥ १२१ । अरविंद न फूल्यो शालीगन भूल्यों कहा मंडरात हो । ४. ढग । तर्ज । अदा। छवि । जैसे,—उस मौके पर बडौदा नरेश भिखारी० ग्र 0, भा॰ २, पृ॰ ६१ । का इस सादगी से निकल जाना एक नई न थी। ५ अकड । । यौ॰——वद्वानन । गजानन । चतुरानन । पचानन । पडानन । ऐठ । दिखाद। ठसक । जैसे,---ग्राज तो उनकी और ही अन आननफानन–क्रि० वि० [अ० आनन फानन] अति शीघ्। फौरन थी । ६, अदव । लिहाज । दवाव । लज्जा । शर्म । हया । झटपट । वहुत जल्द । शका। हर । भय । जैसे,--कुछ वडो की अन तो माना निना--क्रि० स० [ मॅ० +1नी = ले जाना या लाना को। प्रतिज्ञा। प्रण । हठ । टेक । जैसे,—- वह अपनी लाना । उ-ग्रानहू रामहि वेगि बोलाई ।-मानम, २।३९ । अन् न छोड़ेगा । आनवान--सच्ची जी० [हिं० आन+वान] १ सजधज । ठाट वाट आन- सज्ञा स्त्री० [अ०] क्षण । अल्पकाल । लमहा। जैसे,--एक । तडक भडक । बनावट । उ0-जुही ग्रानवान भरी, चमेले | ही शान में कुछ का कुछ हो गया है। | जवान परी ।-आराधना, पृ० २३ ।। मुहा०----अनि की अनि मे = शीघ्र ही । अत्यल्प काल में । जैसे.- नमन--संज्ञा पुं॰ [सं०] ६० 'नति' [को । | अान की प्रान में सिपाहियों ने पूरा का पूरा शहर घेर लिया। प्रानयन५)संज्ञा पुं॰ [सं०] १ लाना । २ उपनयन संस्कार । मान"----वि० [सं० अन्य दूसरा । अौर। उ०----मुख कहे अान, अनरसा पु० [अ०]१. सं मान । प्रतिष्ठा । इज्जन । मत्कार । ३ पेट बम अाना । तेहि भौगुन दस हाट विकाना ।—जायसी समानचिह्न । उपाधि । ग्रं॰, पृ॰ ३५ । । | नरेबुल--वि० [अ०] प्रतिष्ठित । माननीय । श्रान–क्रि० वि० [हिं० आना] आकर। उपस्थित होकर । जैसे, विशेष----अँगरेजी शासन में जो गवर्नर जनरल, गर्वनर, बटे ला पत्तो पेड़ में शान गिरा। या छोटे लाट की कौंसिल के सभासद् होते थे, उन्हें तथा हा आनक-सच्चा पु० [सं०] १ डका । दु दुभी । भेरी। ढक्का ! वडा कोर्ट के जजो और कुछ चुने अधिकारियो को यह पदवी मिल ढोल । मृदग। नगाडा । उ०—गोमुख अानक ढोल नफीरी भिलि थी । अब केवल हाइकोर्ट तथा सुप्रीम कोर्ट के जजो को इ कै साजै ।--भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० ६४३ । २. गरजता नाम से पुकारा जाता है। हुआ वादल । आनरेरी–वि० [अ०]१. अवेतनीक । कुछ वेतन न लेकर प्रतिष्ठा यौ॰—ानकदु दुमी। | के हेतु काम करनेवाला । प्रानकदुदु भ -सच्चा पु० [अ० नकदु दुभि] १. वडा नगाडा । २. यौ०-आनरेरी मजिस्ट्रेट । आनरेरी सेक्रेटरी । कृष्ण के पिता वसुदेव । ३ विना वेतन लेकर किया जानेवाला । जैसे,—यह काम हुमा विशेप-ऐसा प्रसिद्ध है कि जब वमुदेव जी उत्पन्न हुए थे, तब आनरेरी है। देवताओं ने नगाडे बजाए ये । नर्त-सज्ञा पुं० [सं०][वि० नर्तक] १ देशविशेष । द्वारक अनडुह--- वि० [सं०] वैन या सीड से सबद्ध (को०)। ३. मानते देश का निवासी । ३ राजा जयति के तीन पुत्रो झानत--वि० [म०] अत्यत झुका हुआ । अतिनम्। उ०-पत्रों के से एक । ४ नृत्यशाला । नाचघर । ५ युद्ध । ६ जन् ।' | मानत अधरो पर, सो गया निखिल वन का मर्मर --गुजन, नृत्य कि०] । पृ० ७६ । २ कल्प भव के अतर्गत वैमानि नामक जैन देवता आन्र्तक---वि० [सं०] नाचनेवाला । में से एक देवता । नव--वि० [सं०] १ मनुष्य की तरह शक्तिवाना। २. मनुष्य । मानतान-सझा जी० [हिं० आन = दूसरा+तान = गीत ] अंडे दया करनेवाला (को०] । वैई बात । ऊटपटग बात । बेसिर पैर की बात । नव--संज्ञा पुं० १ मनुष्य । मानव । २. विदेशीजन [को०] । नितीन-सद्या मी० [हिं० अनि + खितान = घाब ] १. मर्यादा। ना'-सज्ञा पुं० [सं० अाणक] १. सपए का १६वों भाग । २ ।। ठसक । ३. टेक । अड़। वस्तु को १६व अश । जैसे,—(क) प्लेग के कारण शहर