पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/५१

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उद् शैली अादि से सकलित किए गए हैं। परिशिष्ट खड में प्राविधिक अत में शव्दसागर के मूल संपादक तथा सभा के सस्यापक डा० एवं वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दों की व्यवस्था की गई है । घयामसुदरदास को अपना प्रणाम निवेदित करते हुए, यह संकल्प हम पुन दुहराते हैं कि जब तक हिदी रहेगी तब तक ममी रहेगी शब्दचयन सामान्यत सन् १९५६ तक प्रकाशित अथो से तथा । सन १९६० तक प्रकाशित महत्वपूर्ण प्रथों से विया गया है, उनके और उनका यह शब्दसागर अपने गौरव से कभी न गिरेगा, और इस प्रयोग के उदाहरण भी प्रस्तुत किए गए है। शब्दसागर में दी गई क्षेत्र में वह नित नूनन प्रेरणादायक रहकर हिंदी का मानवर्धन व्यत्पत्तियों या ग्रंथ तथा दृष्टातो में व्यापक रूप से संगोधन भी किया करता रहेगा और उसका प्रत्येक नया संस्करण और भी अधिक गया है, तथा उसमें एतत्सबधी लगे प्रश्नचिह्नी का यथासाध्य प्रयोज्ज्वल होती रहेगा। समाधानपूर्वक प्रामाणिक परिष्कार भी किया गया है। नागरी प्रचारिणी सभा, काशी मर ३ पौय, स० २०२२ वि० । सुधाकर पाडेय प्रकाशन मत्रो == == = =