पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४९७

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अझोले ४३० ।' अहैि। श्राझाल)-- वि० [सं० + ज्वाल] तेजस्वी ३०--प्रखई प्रोहित आटोप-: सच्चा पु० [सं०] १ अछादन । फैलाब । २ श्राडबर।। | वम उजालौ, अायो प्रिय दरसण अझौलो ।--रा० रू०, विमव । ३ पेट की गुड गुडाहट । ४ फूलना । शोथ [को०] । पृ० ३००। ५ भीड (को०]। ६ आधिक्य । प्राचुर्य [को०) । ७ गर्व । शाटना--क्रि०अ० [म० अटन = घूमना से प्रर० रूप टन = घुमाना, घम [को॰] । फेरना । ] पोतना । दवाना । उ०—(क) घोडो ही की लीद में यौ०-घटाटोप । उ०—-घटाटोप करि चहू दिमि घेरी । मुखहि मारी प्राटि पठान |--सुजान ०, पृ० ७० । (ख) क्यो इस वृद्ध । | निसान वजावहि भेरी ।—मानस ६१३८ । पुरुप को अनुग्रह से अाटे देते हो ।--तोताराम ।-(शब्द०)। अट्टिोप--सा पुं० [सं०] १ एक रोग जिममे पेट की नसे तन जाती अटरूष- सज्ञा पुं० [म०] १ पौधा । अडूमा । २ एक वृत्त का हैं। २ पेट की नसो का तनाव । नाम । अटरूप को०] । आठ--वि० [सं० अष्ट, प्रा० अठ्ठ ] एक सन्या। चार का दूना । टविक-संज्ञा पुं० [सं०] १ वन में निवास करनेवाला व्यक्ति । मुहा०—-आठ आठ आँसू रोना=बहुत अधिक विलाप करना । २ छह प्रकार की सेनाशो मे से एक । ३ वन्य जातियो का आठो गाँठ कुम्मैत= (१) सर्वगुणमपन्न । (२) चतुर । (३) प्रधान पुरुप या मुखिया [को०] । छंटा हुआ । धूर्त । अठो पहर = दिन रात । आठो पहर जाने से शाविक-वि० [सं०] १ बने का । वन्य । जगली । २ वनवासियो बाहर रहना= हर समय क्रुद्ध रहना । बराबर झलनाए रहना। सवयी (को०)। अठिक –वि० [सं० अष्ट, पा० अट्ठ+ हिं० एक ] ठ। आटा--संज्ञा पुं० [ स० आर्द = जोर से दाबना, प्रा० अट्र] १ किसी अठवां-वि० [सं० अष्टम, पा० अठ्वं, प्रा० अढ्य, अट्टवे] संख्या में अन्न का चूर्ण । पिसान । चुन । २ पिसा हुआ गेहू या जौ । अाठ के स्थान पर का । अष्टम । जैसे,—इस पुस्तक का आठवा मुहा०—फगाली या गरीवी मे अटा गीला होना = धन की कमी | प्रकरण अभी पढना है । के समय पास से कुछ अौर जाता रहना। आटा दाल का भाव ठे, आठो–सच्चा स्त्री० [सं० अष्टमी] अष्टमी तिथि । जैसे,--प्राठी मालूम होना = संसार के व्यवहार का ज्ञान होना । आटा दाल | का मेला उ०-- सबत सरस बिभावन, भादगाउँ तिथि, की फिक्र:= जीविका की चिता । पाटे का प्रपा = भोली स्त्री ! बुधवार -सूर०, १०८६ ।। अत्यंत सीधी सादी स्त्री । आटा माटो होना = नष्ट भ्रष्ट होना। आठौगाँठ----वि० [हिं० आठों+गाँठ ] संवग । उ०--स्यामा ३ किसी वस्तु का चूर्ण । बुकनी ।। सुगति सुवस की अाठी गाँठि अनुप । छुटी हाथ ते पातरी आटा-अटना क्रिया की भूतकालिक रूप । उ०----अगिलह कहें प्यारी छरी स्वरूप ।--भिखारी० ग्र०, पृ० २७ । पानी लेई वटा । पछिलहि कहँ नहि कौंद आटा |--जायसी आडंबर--सज्ञा पुं० [सं० डवर] १ गभीर शब्द । २ तुरही का ग्र०, पृ० ६ ।। प्राब्द । ३. हाथी की चिग्घाड । ४ ऊपरी वनावट । तडक आटि---सच्चा स्त्री० [सं० ] एक चिडिया का नाम । आडी । आटी । भडक । टीम टाम् । झुठा आयोजन । ढोग । कपटवेष जिससे एक प्रकार की मछली [को०] । वास्तविक रूप छिप जाय । जैसे,—(क) उसमे विद्या तो ऐसी ग्राटिक,टिक्य-वि० [सं०] [वि० ० आटिकी] यात्रा के लिये ही वैसी है, पर वह डंवर खूब बढाए हुए है।-(ख) प्रस्तुत । यात्रा के योग्य [को॰] । अाजकल के साधुओं के आडवर ही आडिवर देख लो । श्राटिमुख--संज्ञा पुं० [सं०] शल्यक्रिया संवधी एक शस्त्र जिसका क्रि० प्र०—करना ।- फैलना ।--- बढाना ।- रचना । | प्रकार प्राडी चिडिया के मुख या चोच का सा होता है । ५ अच्छादन ।। | [को॰] । यौ०-मेघाडवर । आटी–सज्ञा स्त्री० [हिं० अटक ] डोट । रोक। टेक । ६ तवू । ७ वडा ढोल जो युद्ध मे बजाया जाता है । पटहे । ८ अटी--सज्ञा स्त्री० [सं०] एक चिडिया का नाम । प्राडी को०] । कोलाहल करना । जोर जोर से या अधिक वोलना [को०] । अटीकन--सज्ञा पुं० [सं०] गाय के बछडे का उछ जना कूदना [को०)। ६ वादलो का गर्जन । मेघगर्जन (को०)। १० युद्धघोषणा या टीकर--सज्ञा पुं० [अ० ] सहि । वृप म (को०]। अाक्रमण की सूचना देने का पटह या नगाडा (को०] । ११ माटोक्रेट--सझा पुं० [अ०] १ निरकुश या स्वेच्छाचारी राजा या प्रसन्नता । प्रह्लाद को]। १२ पलक (को०)। १३ अग सम्राट् । वह राजा या शासक जो दूसरो पर अपनी शक्ति का सवाहन । मालिश [को०] । १४ क्रोध । कोप (को॰] । अवाध प्रयोग या मनमानी करना अपना जन्मसिद्ध अधिकार आडवर---वि० अधिक । उच्च । अपार [को॰] । मानती हो। २ वह जिसे किसी विपय मे अमर्यादित अधिकार आडवराघात--सझा पु० [ स० आडम्वराघात ] पटह या नगाडा प्राप्त हो या जो किसी विषय में अपना अमर्यादित अधिकार बजानेवाला आदमी [को०)। मानता हो । मनमानी करनेवाला । स्वेच्छाचारी । निरकुश । आडवरी--वि० [ म० अाडम्वरिन् ] डबर करनेवाला । ऊपरी अाटोळे सो---सच्चा [अ०] १ दूसरो पर अनियन्त्रित या अमर्यादित | वनविट करनेवाला २ घमडी । अभिमानी [को०] । अधिकार जो किमी एक ही व्यक्ति को हो। दूसरो पर मनमाना आड–सम्रा जी० [प्रल = वारण, रोक] १. प्रोट । परदा। ओझल । फरने का अधिकार । स्वेच्छाचारिता । निरकुशता। २. किसी जैसे,--(क) वह दीवार की आड़ में छिपा बैठा है । (ख) निरकुश स्वेच्छाचारी राजा या सम्राट् की शक्ति । एकतत्रता । कपड़े से यहाँ अड़ि कर दो।