पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४८८

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मांगारगोषिका जानते सबै रम पंथ । रच्यो देव आगार गुनि यह मुखसागर ग्रंथ -देव (शब्द॰) । श्रागारगोधिका--सज्ञा स्त्री० [सं०] छिपकिली । गृहगोधा [को० । भागारदाही---वि० [सं० श्रागारदाहिन]। घर जलानेवाला । प्रागारधूम--१ गृह से निकलनेवाला घुप्र । २ एक पौधे का नाम कौ] । अगिह-वि० [फा०] जानकार । वाकिफ । क्रि० प्र०-–फरना --होना । अागाह -संज्ञा पु० [हिं० प्रग+ह (प्रत्य॰)] अागम । होनहार । उ०–चाँद गहन आगाह जनावा। राजभूलि गहि शाह चलावा ।- जायसी (शब्द॰) । आगाही--संज्ञा स्त्री॰ [फा०] जानकारी । वाकफियत । उ०--यही सवब है कि मुझे इन सर्व बातो से अागाही हो गई ।-सतति, मा० २१, पृ० १२ । श्रागि -सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे॰ 'आग' । उ०—दुरदिन परे रहीम कहि दुरथल जैयत भागि । ठीढे हूजा घूर पर जब घर लागत आगि |--कविता कौ०, भा० १, पृ० १६२ । श्रागिल -वि० [हिं० भाग +इल (प्रत्य०) ] १ अागे का । अगला । उ०--पल में परलय वीतिया लोगन लगी तमारि । अागिन मोच निवारि के पाछ करो गोहारि |--कबीर । (शब्द॰) । २ भविष्य का । होनेवाला। उ०--ग्रागिल वात समुझि हरु मोही ।—मानस, २ । १८ । । प्रागिला--वि० [हिं० दे० 'अगिला'। उ०---श्रागिला अगनि होइबा अवधू, तो आपण होडवा पाणी गोरख०, पृ० २३ । अागिवर्तक -सज्ञा पुं० [सं० अग्निवतं] पुराणानुसार मेघ का एक भेद । उ०---सुनत मेघवर्तक सजि स न ले अाए । जत्रवतं वारिवर्त पवनवर्त वज्रवर्त श्रागिवर्तक, जलद सँग लाए ।—सूर (शब्द॰) । श्राग -- सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'आग'। उ0--जीवन ते जागी अगी, चपरि चौगुनी लागी, तुलसी भमरि मेघ भागे मुख मोरि के ।- तुलसी अ ०, पृ० १७५ । प्रागुग्रा--सच्चा पु० [हिं० आगे] तलवार इत्यादि की भुठिया के नीचे का गोल भाग । अाग --क्रि० वि० [हिं०] दे० 'अागे । उ०-वासर चौथे याम सतानद अागू दिए।–रामच०, पृ० २५ । भागे-क्रि० वि० [सं० अग्र, प्रा० अग्ग] १ अौर दूर पर। और बढकर । ‘पीछ' का उलटा । जैसे—उनका मकान अभी आगे है। २ मम । समुद्र । सामने । जैसे,——उसने मेरे अागे यह काम किया है । ३ जीवनकाल मे। जीते जी । जीवन में । उपस्थिति में । जैसे- वह अपने आगे ही इसे मालिक वना गए थे।----४ इसके पीछे । इसके बाद । जैसे,—मैं कह चुका हैं, अागे तुम जानो तुम्हारा काम जाने ।-५ भविष्य में । शागे को । जैसे--अब तक जो किया सो किया, आगे ऐसा मत करना । ६ अंतर । वाद । जैसे,—चत के आगे वैसाख का महीना आता है। ७. पूर्वं । पहले । जैसे,—वह शाप के माने से ग्रागे हो गया है। द, अतिरिक्त । अधिकं । जैसे इससे अागे एक कौडी नहीं मिलने की । ६ गोद में । जैसे,-- (क) उमके आगे एक लड़की है ।--(ख) गाय के आगे वछवा है या वछिया ? मुहा०——ागे अरगे = थोडे दिनो वाद । ॐ मश । जैसे-देखो तो आगे आगे क्या होता है । आगे आना = (१) सामने अाना । जैसे,--नाई । सिर में कितने वाल? अभी अागे अाते हैं। २ सामने पहना 1 मिलना । जैसे,--जो कुछ उसके आगे अाता है, वह खा जाता है। ३ समुख अाना । मामना करना 1 मिडना । जैसे,—अगर कुछ हिम्मत हो तो आगे अग्रो । ४. फन मिलना 1 बदला मि नना । उ०—(क) जो जैसा ‘करे सो तैसा पावै । पूत भतार के आगे ग्रावे । (ख) मत कर मास बुराई । तेरी धी के आगे झाई । (शब्द॰) । ५ घटित होना । घटना । प्रकट होना । जैसे,—देखो जो हम कहते थे, वहीं आगे अाया। आगे करना=(१) उपस्थित करना । प्रस्तुत करना । जैसे,—जो कुछ घर में या, वह आपके आगे किया। (२) गुम्रा बनाना । मुखिया बनाना । जैसे,—इस काम में तो उन्ही को आगे करना चाहिए । उ०---कमल सहाय सूर सँग लीन्हा । राघव चेतन अागे कीन्हा ।--जायसी (शब्द०) । (३) अगुआना। अग्रगती व नाना । उ०—राजै राकम नियर बोलावा। आगे कीन्ह पंथ जनु पावा।---जायसी ग्र, पृ०१७४ । (४) ग्रीगे बढ़ाना । चलाना । उ०—चक्र सुदर्शन अगे कियो । कोटिक सूर्य प्रकाशित भयो ।—सूर (शब्द०)। (५) किसी अफिन में डालना । जैसे-जव शेर निकला तो वह मुझे अागे कर आप पैड पर चढ़ गया । आगे को उठा= खाने से बचा हुआ । जू । उच्छिष्ट । जैसे,-नीच जाति के लोग वर्ड आदमियो के आगे का उठा खा लेते हैं । अागे को उठा खानेवाला =(१) जूठो खानेवाला । टुकडखोर। (२) दास । (३) नीच । अत्मज । (४) तुच्छ । नाचीज 1 आगे की कदम पीछे पड़ना=(१) घटती होना । ह्रास होना । तनज्जुली होना ।। अवनति होना । जैसे,—उनका पहले अच्छा जमाना था, पर अब आगे का कदम पीछे पड़ रहा है। (२) भय से आगे ने वढा जाना । दक्षत छा जाना । जैसे,—-मोर को देखते ही उनका आगे का कदम पीछे पड़ने लगा । भागे का कपड़ा=(१) घ घट । (२) अचल । आगे का कपड़ा खींचना = घूघट काढ़ना। आग की चखेड = कुश्ती का एक पेंच। खिलाड़ी का प्रतिवदी की पीठ पर जाकर उसकी कमर की लपेट को पकडकर जिधर जोर चले, उधर फेंकना । अग्रोतोलन । अागे को = अागे । भविष्य में। फिर । पुन । जैसे,--अब की बार तुम्हे छोड दिया, अागे को ऐसा न करना । प्रागे चलकर, श्रागे जाकर = 'भविष्य में । इसके बाद । जैसे—तुम्हारे किए का फुल आगे चलकर मिलेगा। आगे डालना=देना । पाने के लिये सामने रखना । जैसे,—(क) कुत के अागे टुकडा डाल दो । (ख) वैल के आगे चारा डालो। (यह अवज्ञासूचक है और प्राय. इसका प्रयोग पशु आदि नीच श्रेणी के प्राणियों के लिये होता है।) आगे डोलना = अागे फिरना ! सामने खेलना कूदना । लड़को का होना । जैसे,—वावा, दो चार अागे डालते होते तो एक तुम्हें भी दे देती। अागे डोलना = वचवा । लद्धका । जैसे,—उसके आगे डोलता कोई नही है। सागे देना= सामचे