पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४८६

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

अगतपतिका मगिर! शागतपतिका संज्ञा स्त्री॰ [स०] अवस्थानुसार नायिका के दस भेदो आगमजानी-वि० [सं० अगमज्ञानिनु अथवा हिं० आगम= भविष्य + में से एक । वह नायिका जिसका पति परदेश से लौटा हो । जानो == जाता] गमज्ञानी । होनहार का जाननेवाला। उ0-- अदित वल में विदेस ते हरपित होइ जु वाम् । श्रागत- आगमज्ञान-वि० [सं० अरमज्ञानिन्। भविष्य का जाननेवाली । पनिका नाइको ताहि कहत रसधाम पद्माकर अ०, पृ० १३६ ।। आगमजानी ।। अगितसाव्वेस--वि० [स०] भयभीत 1 डरा हुआ (को०] । आगमन–सच्चा पुं० [सं०] १ श्रवाई । आना । ग्रामद । उ०—मुनि अागमन सुना जव राजा । मिलन गएउ ले बिप्र समाजा।-- गतस्वागत-सझा पु० [स० अगित + स्वागत] अाए हुए व्यक्ति । मानस, १ । २०७। २ प्राप्ति । प्राय 1 ला म । ३. उत्पत्ति । | को अदिर । अादरसत्कार । अविभगत ।। उद्गम (को०] । ४ सभोगार्थ नारी के पास ना किौ] । गति--- सच्चा सौ० [सं०] १ आगमन । अवाई । २. प्राप्ति [को०] । | आगमना--सज्ञा पुं० [सं०]१ अागे चननेवाली सेना। २ पूर्व दिशा । ३ वापसी [को०) । ४. मूल । उत्स [को०)। मौका [को०]। आगमनिरपेक्ष--वि० [स०] साक्षिपत्र आदि से मुक्त । साक्षिपत्र अगिपीछf-सच्चा पुं० [हिं०] दे॰ 'गापीछा' । | अदि की अपेक्षा न रखनेवाला (को०]। ग्रगम'--संज्ञा पुं० [सं०] १ अवाई । अागमन । अामद । उ०-श्याम अागमनी--संज्ञा स्त्री० [सं० आगमन + हिं० ई (प्रत्य॰)] स्वागत के कह्यो सव सखन सो लावहु गोधन फेरि । सध्या को प्रगम अवसर पर किया जानेवाला समारोह या उत्सव । उ०—अपनी भयो ब्रज हॅन हाँको हेरि ।—सूर (शब्द०)। २. भविष्य । अागमनी वना रही मैं अप क्रुद्ध हुँ कारो मै ।-चक्र, पृ० ७१। काल । आनेवाला समय । ३ होनहार । भवितव्यता । सभाः प्रागमनीत--वि० [स०] पठित । परीक्षित । अधीत [को०] । वन।। उ०-प्राइ बुझाइ दीन्ह पथ तहाँ । मरन खेल कर प्रागमपतिका–सच्चा पु० [सं०] दे० 'अागतपतिका' । अगम जहाँ ।•-जायसी ग्र०, पृ० ९८ । श्रीगमरहित--वि० [सं०] १ साक्ष्यरहित । २ शास्त्र से परेको०]। यो०- अागमजानी । अागमज्ञानी । अगमवक्ता । अगमवक्ता -वि० [सं०] १ भविष्यवक्ता । ज्योतिषी । क्रि० प्र०---करना = ठिकाना करना। उपक्रम वाँधना । जैसे, अगमवाणी--संज्ञा स्त्री० [सं०] भविष्यबाणी । यह नहीं कहते कि चदा इकट्ठा करके तुम अपना आगम कर अगमविद्या--सझा स्त्री० [सं०] १ वेदविद्या ! २ तेश्रविद्या । वैदिरहे हो । ३०—-मैं राम के चरनन चित दीनो । मनसा, वाचा | केतर विद्या । । श्रौर कर्मना बहुरि मिलन को प्रागम कीनो !-—तुलसी आगमवृद्ध-वि० [सं०] ज्ञानवृद्ध । शास्त्रज्ञ (को॰] । (शब्द॰) ।-जनाना= होनहार की सूचना देना । उ०-- आगमवेदी-वि० [स० गमवेदिन् १. वेदन। ३ शास्त्रज्ञ (को०)। कबहू ऐमा विरह उदावे रे । प्रिय विनु देखे जिय जावे रे । तौ अगमश्र ति–सझा वी० [सं०] परपरा। प्रया [को०] । मन मेरा धीरज धरई । कोइ अागम अनि जनावे रे !-दादू अगिमसोची--वि० [ स० आगम+हि सोच+ई (प्रत्य०) 1 श्रागे (शब्द०) 1-वाँधना= ग्रानेवाली बात का निश्चय करना । का भला बुरा सोचनेवाला । अग्रसोची । दूरदर्शी । जैसे,- अभी से क्या अगम वाँधते हो, जव वैसा समय प्रावैगा आगमापायी-वि० [सं० आगमापायिन] जिसकी उत्पत्ति और विना तब देखा जायेगा । ४ समागम । सगम । उ०-- 'अरुण, श्वेत हो । विनाशधर्मी । अनित्य । सित झलक पलक प्रति को वरनै उपमाई । मनु सरस्वती गगई आगामत-वि० [सं०] १ पठित । शिक्षित । २ निश्चित । निर्धारित जमुना मिलि अगम कीन्हो अाइ ।—तुलसी (शब्द०)। ५ ३ ले प्राया हुआ । कि०] । श्रामदनी । प्राय । जैसे,—-इस वर्ष उनका अगम कम और , श्रमिष्ट - वि० [सं०] शीघ्रता या प्रसन्नतापूर्वक आनेवाला (को०] । आ व्यय अधिक रहा। ग्रामी-सबा पुं० [सं० अगम = भविष्य] भामुद्रिक विचारने वाली । ज्योतिपी । अहढ्योपो । उ-अवध प्राजु अगिमी यौ०-अर्थागम । | एफू अायो । करतल निरखि कहत सव गुनगन बहुतन परिचय ६ व्याकरण में किसी शब्दसाधन में वह वणं जो बाहर से लाया पायो ।—तुलसी ग्र०, पृ॰ २७६ । जाय । ७ उत्पत्ति । ६ योगशास्त्रानुसार शब्दप्रमाण । मागमी--वि० भविष्यवक्ता । होनहार कहनेवाला । ९ वेद । उ०-ग्रगम निगम पुनि अनेका । पढे सुने कर फल आगमी-वि० [म अगमिन्]१ भविष्य । २ पहुंचने वाला।३ शास्त्रज्ञ। प्रभ एका ।--मानस, ७ । ४६ । १० शास्त्र । ११ तत्र अगिर–सना पुं० [सं० अाकर = खाना][जी० अगरी] १ खान । शास्त्र | १२ नीतिशास्त्र । नीति । १३ तत्रशास्त्र का वह म्राकर । २ समूह । ढेर । अग जिसमें सृष्टि, प्रलय, देवताओं की पूजा, उनका साधन, विशेप-यह शब्द प्राय समासात में आता है । जैसे,—-गुणपुरश्चरण और चार प्रकार का ध्यानयोग होता है । १४ गर। बल-प्रागर। प्रवाई । धार को०] । १५ ज्ञान [को०] । १६ सपत्ति की ३ कोप । निधि । खजाना । उमस च फूत्र बास का वृद्धि (को०)! १७ सिद्धात [को०] ! १८ नदी का मुहाना। अगर भा नासिका समु द । जति फून वह फूल हि ते सद भए १६. (व्याकरण में) प्रकृति और प्रत्यय को०]। २० सडक सुगद |--जायसी (शब्द०)। ४ वह गड्ढा जिसमें नमक या मार्ग की यात्रा [को०]। २१ लिखित प्रमाणपत्र [को०] । जाता है। ५ नमक का कारखाना । अागम-वि० [सं०] थानेवाला । अगामी । उ०—दरसन दियो कृपा श्रीगर--सला पुं० [सं० अगल= व्योड़ा इयोडा। अगरी ३० - करि मोहन वेग दियो वरदान । अागम कल्प रमण सुव ह्व है। अगर इक लोह जटित लीन्हो वरियड । दुई करनि असुर श्रीमुख कही वखान -सूर (शब्द॰) । हुयो भयो मास पिंड |--सुर० ६ । ६६।।