पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४८४

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मागंतु ४१७ प्रागंतु-वि० [सं० अरगन्तु] १ अानेवाना। २. बाहर से आनेवाला। । ३ पथभ्रष्ट । भटका हुआ । ४ अचानक होनेवाला । दे० ( *ग्रानतुक' (को०]: अगितुक–वि० [सं० अागन्तुक] [स्त्री० प्रागंतुका, प्रगतुकी] १ जो ।। ग्रावे । अागमनशील । २ जो इधर उधर से घूमता फिरता मा जाय । उ०-नगा कहने अगतूक व्यक्ति मिटाता उत्कठा |' सवित्रेप --कामायनी, पृ० ५० । अगितुक-सज्ञा पु०१ अतिथि । पहुना । २ वह पशु जिमके स्वामी का पता न हो। २ अचानक होनेवाला रोग । ३ प्रक्षिप्त पाठ (को॰) । यौ०-- प्रगतुक ज्वर= वह ज्वर जो चोट, भूत, प्रेत के भय था अधिक श्रम करने श्रादि में अचानक हो जाय । अगितु के अतिमित्त लिगनाश= एक प्रकार का चक्षुरोग जिसमे अाँख की ज्योनि मारी जाती है । प्राचीनो के अनुसार यह रोग देबती, ऋपि, गंधर्व, वडे मर्प और सूर्य के देखने से हो जाता है । प्रागंतुकव्रण = वह घाव जो चोंट के पकने से हो । प्रागतुक व्याधि = किसी बिमारी के बीच में होनेवाली विमारी । आग'-सज्ञा स्त्री॰ [८० अनि, प्रा० अग्गि] १ तेज और प्रकाश का एज जो उप्णता की पराकाष्ठा पर पहुंची हुई वस्तुप्रो में देखा जाता है। अग्नि । वैमद | २ जनन । ताप । गरमी । जैसे,—वह हाह की आग से झुनना जाता है । ३ कामाग्नि । काम का वेग । जैमै- तुम्हें ऐसी ही ग्राग है तो उनसे जाकर मिलो न । ४ बात्मय प्रेम । जैसे,—जो अपने बच्चे की अोग होती हैं बह दून के बच्चे की नही । ५ डाह । ई०१f । जैसे,-- जिस दिन में हमें इनाम मिना है, इसी दिन से उमे वढी अाग है । प्राग--वि० जनता हुा । वहुत गरम । जैसे,—चिलम तो आग हो रही हैं । २ जो गुण म उष्ण हो । जो गरमी फुके । जैसे,— अरर को दान नौ ग्रीजकल के लिये प्राग है ।। मृहा-प्राग उगलना = कड ! बचन मुनाना । जली कटी मुनाना । अग उठाना= झगड़ी उठाना । कलह या उपद्रव उत्पन्न करना । अाग जियाना या में ना = ग्राम का ठढा होना । दहकने हुए कांपने का ठूढ़ा होकर काला पड़ जाना । आग घरना = (१) अाग जलाना । (२) बहुत गर्म करना । अाग की तरह जलता हु प्रा बनाना । अाग का पतगा= चिनगारी। जलता हा कोयला । अाग का पुतला = क्रोधी । चिडचिडा। आगे का बाग =(१) सुनार का अंगीठा । २ आतिशबाजी । आग फुरेदना = (१) गुस्सा भडाना। ऋद्ध करना । २ दबे या पुराने गुन्ने को उ पाइना । भाग के मोल = वहूत मॅहगा । जैगे,--- यहाँ तो चीजें अाग के मोल विकती हैं । आग खाना, अगार हगाना = जमा करना, वैसा पाना । जैसे- हमे क्या, जो अाग खाएगा, वह अँगार हुगेगा । प्राग गाइनी = कहे को रग्ब म नुन क्षित रखना। प्राग जोड़ना = प्राग सुल गाना । अाग जनाना । अागे लाडना= पत्थर या चकमक में भाग बनाना । प्राग दिखाना=(१) अगि लगाना । जन्नाने के लिये अग छलाना । (२) तोप में बत्ती देना। आग देना= (१) चिता में आग लगाना । दाहकमें करना । (२) अनि बाजी में ग्राग लगाना । ग्राग लगाना । फूकना । उ००-३।। कंठ आगि देइ हो । छार भई जरि अग न मोरी 1-जाय। ग्रं०, पृ० ३०० । (३) बरवाद करना। नन्ट करना । जैसे,—उम् पास है क्या, उसने तो अपने घर में प्राग दे दी । (४) त मे वत्ती देना= रजक पर पलीना छुन्नाना। प्रांग धोनी: अगारों के ऊपर से व दूर करना । जैसे,--प्राग धोय चिनम पर रखना। आग पर आग लगा = क्रिमी भइके हैं। व्यक्ति को रि भड काना । अाग पर पानी डानना = झग शात करना । प्राग पर लोटना :- वेचैन होनः । विकन होना तडपना । च ---वह विरह के मारे ग्राग पर लौट रहा है। २ डाह से जलना । ईप्य करना । जैसे,—यह हमे देव आग पर लौट जाता हैं । भाग पानी का वैर= म्वाभा गत्रता । जन्म का वैर 1 ग फांना(१) व्यर्थ । बकवाद करना । वात बघारना । झूठी शेखी हाँ ना । जैसे उनकी क्या बात है, वे तो यो ही अाग फीका करते हैं । ( अस मब कार्य को स भव करने की चेष्टा । प्राग फुकना = के उत्पन्न होना । रिम नगना । जैसे, यह बात सुनने ही : तन में आग फुक गई । अग फू के देना= जलन उत्पन्न कर गरमी पैदा करना । जैसे,—म दबी ने तो शीर झाग १ दी है । अग फुश का वैर= स्वाभाविक शत्रुता । जन्म बैर । प्राग वेनाना= अग मुनगाना । अागबबूला (बगून होना या वनाना- क्रोध के भावेश मे होना । अत्यत कु होना । जैसे,—इम बात के मुतने ही नह प्रागबबूला हो गर आग बरसना=(१) बहुत गरमी पइन। (२) लू चलन २ गोलियों की बौछार होना। आग बरसाना = शत्रु खूव गोलियां चलाना । जैसे,—-सिपाहियों ने किले पर आग बरसाई। आग बुझा लेना= कमर निकालना । दर लेना । जैसे,—अच्छा मौका है, तुम भी अपनी अगि बुझा - आग बोना=(१) अाग लगाना । ३०--योगी प्राहि विवं कोई। तुम्हरे मंडन ग्रागि जिन बाई !-—जायसी, (गद २ चुगलखोरी करके झगडा उत्पात बड़ा करना । जैसे, यह सब अाग तुम्हारी ही वोई तो है। ग भड़कना = अाग का धधकना । २ नडाई उठना । उत्तान खडा हो। जैसे,--दोनों दलों के वीर अाजकल वुन अाग भइ की ३ उद्वेग होना । जोश होना । क्रोध और शोक अादि 'म का तीव्र अौर उद्दीप्त होना । जैसे --(क) शत्रु को स देखकर उसकी प्राग और भड़क उठीं। (छ) अपने मन की टोपी देकर माता की आग अौर भष्टक उठीं । आग भेडकना=(१) मागे धधकनी । २ लडाई लगाना । ३ : अौर शोक प्रादि 'भाबी को दीग्न करना । जोग वाः आग भभू का होना क्रोध में नाव होना। आग में कूद व न बूझकर विपत्ति नौल नेन । स्वाग ने घी ड़ाना = क्रोधित व्यक्ति को और क्रुद्ध करना । (२) अहुति डान होन करना। आग में कूदना = अनि करना । जैने,--- चलो, क्यो अाग में मूतते हो । अाग मे होना = (१) अ में डाल देना । (२) न ही को ऐसे १२ व्याह दे ११, ही