पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४८

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२१-५-५७-१५-४-५६, १ वर्ष, १३ शालग्राम उपाध्याय सहायक तक पा समय इसमें बीत गया, उमने १० 6 6 6 रुपए से को सपादक, १५-१-५७-२-६ ५७, २१-५-५७-१५-४ ५८, १ वर्ष, अनुदानस्वरूप प्रदान किया । इस प्रकार १४. फरवरी १४ श्यामसुंदर शुक्ल, सहायक, संपादक, ८-१ ५७-६१-५-५७ मन् १९६२ तक सरकार ने अपना पूर्वस्वीकृत एक लाख रुपया को ४ मास, १५ हरिमोहन श्रीवास्तव, सहायक सपादक, १५-१-५७ अनुदान सभा को दे दिया। ६-८-५७, २१-५-५७ १-१२-५७, ८ माह, १६ चट्टीप्रसाद मिश्र, सहायक संपादक, २८-२-५७-२१-५-५७ ३ महि, १ लक्ष्मण म्वरूप त्रिपाठी, संवत् २०१८ के अतं तक इतर तत' जो कार्य इस सवष में सहायक संपादक, २८-२-५१७-२१-५-५७, ३ मास, १८ रामकुमार राय, सभा कर रही थी उसमें एक लाख के अतिरिक्त १५३ रुपया सहायक संपादक, २८-२-५७-२१-२-५७,३ मास, १६ तिनकधारी पाडेय ७३ पैसा समा और ध्यय कर चुकी थी । तब तक सरकार इस सहायक सपादक, ११-३-५७-२१-५ ५७, १३ मास २० किशोरीदास कार्य की गुरुता की पहचान चुकी थी और उसे अधूरा छोडना उचित वाजपेयी, सहायक सपादक, २४-२-५७-१५-४-५८, १ वर्ष २ मास, २१ न समझ कर उसने ६५००० के। नया अनुदान स्वी व रि किया दयाशंकर द्विवेदी, सहायक संपादक, ६ ३-५७-२१-५-५७ २३ मास, २३ र ४ मार्च सन् १६६३ को उसने उसमें से ३२५०० रुपए छनूराम गुप्त, टकक, ६-६-५७-१६-१०-५७, २३ मास', २४ नागेंद्रनाथ सभा को एतदर्थ सहायता की । यही से सभा में कार्य की पुन नई उपाध्याय, सहायक सपादक, १-६-५७-१५-४-५६, ८३ मास, २५. चेतना उत्पन्न हुई। विष्णुचद्र शर्मा, सहायक संपादक, १-१०-५७-१५-४-५८, ६३ मास, २६ ब्रजेंद्रनाथ पांडेय, सहायक संपादक' १५-११-५७०-१५-४-५८, ५ मास, दक' १५-११-५७-१५-४-५६, ५ मास, फिर से पुराने कार्य का पुनरावलोकन और पुनर्मूल्याकन आरम २७ हरिहरसिंह, लेखक, १५-३-५८-१३-४-५६, १ वर्ष, १ मास, २८ किया गया और पुराने काम को, जिसमें से बहुत प्रस्तव्यस्त और जयशंकर मिश्र, टकक, २-७-५४-१०-२-५५, ७ मास । जीर्ण सा हो गया था, सुव्यवस्मित और सुनियोजित करने में लगभग दो वर्ष व्यतीत हो गए थे । सभा ने यह वडा मूल्यवान् समय ता० १३॥४॥१९५६ को विभाग समाप्त हो गया। कैवल पुनर्मूल्याकन में तथा योजनावद्ध रूप से कार्य करने की योजना बनाने में व्यय किया। फिर भी जिस उत्साह, निष्ठा और अपनी अपनी क्षमता और घाक्ति के अनुसार इन सभी कार्य को लगन से यह कार्य सवत् २०२१ से प्रारभ किया गया उसकी गति ने कार्य किया, इसके लिये ये धन्यवाद के पात्र हैं। निश्चय ही सतोषप्रद रही है। निश्चित अवधि के भीतर अब संपादन का कार्य ३१ दिसवर, सन् ६५ तक समाप्त होने जा रहा है । नई कार्यविधि कोश के कार्य का यह चरण यद्यपि स० २०१५ मे समाप्न । में शब्दसागर के प्रारंभ के यशा से ही संकलन, सशोधन, संपादन के हो गया, तो भी धीरे धीरे सभा इस कार्य को अग्रसारित कर रही साथ ही साथ निरीक्षण, व्यत्पत्तिनिदान, अयं चितने सशोधन तथा थी मीर, कार्य की शृखला धनी रहे, इसलिये स्वयं अपने पास से व्यय प्रेस कापी तैयार करने का कार्य वैतनिक अवैतनिक, दोनो कर रही थी । वाकी बचे २० हजार के स्वीकृत अनुदान में से अनेक प्रकार के कार्यक्र्ता अधिकारी र कर्मचारी का भेद भूलकर एकप्रयत्न करने पर भी १६ जून, १६५९ को केवल १० हजार रुपए केंद्रीय रमें हो हिदी हितचितन को आदर्श मान प्राणपणे से सचेष्ट होकर इस सरकार से प्राप्त हुए । स० २०१६ मैं सभी वेतन पर अवधि में कार्य करते रहे। जिन वैतनिक कार्यकर्ता ने कार्य १६२६ रुपया ४३ पैसा और व्यय कर चुकी थी तथा कोश के लिये । किया है या कर रहे हैं उनको सूची, पद तथा कार्यावधि के साथ नीचे संदर्भ ग्रंथ कय करने पर १०१४ रुपया ५६ पैसा लगा चुकी दी जा रही है। थी । इस प्रकार सवत् २०१६ के अत तक १२३३० रुपया ३६ पैसा व्यय कर चुकी थी। इसी बीच श्री डा० १ धीविलोचन शास्त्री, सहायक संपादक १-११-५६-३१-१२-६५, रामधन - शर्मा, विशेप अधिकारी शिक्षा मंत्रालय द्वारी ३१ ६ वर्ष ३ माहू, २ श्रीविश्वनाथ त्रिपाठी, सहायक संपादक १-११-५६जनवरी सन् १९५९ से ४ फरवरी सन् १९५६ तक अवे । १-१-६४, २-५-६०-३१-१२-६५ ( स्यानात रण) २ प ७ मास, तक किए गए कोश कार्य की जांच की गई तथा उनका महत्वपूर्ण ३ श्रीहरिहर सिंह शास्त्री, सहायक संपादक १४-२-६४-१५-४-६५, विवरण प्राप्त हुआ। निश्चय ही इसमें वणित तथ्य विचार १ बर्ष १।। मास, ४ स्व०श्रीरघुनंदनप्रसाद शुक्ल 'अटल', सहायक संपादक, णीय थे, तथा अनेक सुदर सुझावो से पूर्ण भी। सभा ने इस १-३-६४-३०-६-६५, १ वर्ष ८ मास, ५ श्री लालघर त्रिपाठी प्रवासी. पर गभीरतापूर्वक विचार किया और इस सकल्प पर दृढ रहो कि सहायक सपादक, २३-६-६४-३१-१२-६५, १ वर्ष ३ मास, ६ श्रीप्रसाद, उसे शब्दसागर का संशोधन और परिवर्धन करना है और इस रूप में करना है कि भले ही वह ससार का सर्वोत्तम कोश न बन सके तो सहायक संपादक, २३-६-६४-३१-१२-६५, १ वर्ष ३ मास, ७ श्रीराधाभी हिंदी के सर्वोत्तम कोश की उसकी मयदा सुरक्षित रहे और तव विनोद गोस्वामी, सहायक संपादक, १५-६-६४-३१-१२-६५ १ वर्ष ३॥ मास, ८ श्रीशारदाश कर द्विवेदी, सहायक संपादक, ६-३-६५-३१-१२-६५, तक के कोश-रचना-शिल्प से आधार पर पौष कार्य को उसको 6 मास, ६, श्री राजाराम त्रिपाठी, सहायक संपादक, २७-७ ६५मूल सिद्धातो के आधार पर अन्नसारित किया जाय । इसी प्रकार वह १६-११-६५, ३॥ मास १० श्रीरामवली पाडेय, महायव सपादक, शब्दसागर की पुरानी मर्यादा का सरक्षण कर सकेगी। ७ ७-६४-३०-१-६५, ६ मारा, ११ श्रोविजयवली मिथ, लेखक, ४-२-६३सरकार ने सभी की इस चिता में हाथ बटाया और सहानुभूति- ३१-१२-६५, २ वर्ष ११ मास, १२ श्री रमेश्वरलाल लेखक, १५-६-६४-- पूर्वक सहायता के लिये वह पुन मागे घढ़ी। वह १४ फरवरी सन् १९६२ १२-८-६४,२ मास,.१३ श्रीकेशरीनारायण त्रिपाठी, लेखक १०-१०-६४