पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४७१

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चर f? ४०४ अचर ---प्रज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'चल' । उ4- पौंह ॐवे, अवरु जीजी, वेशा ग्राई हैं, उठकर अचन ले । ब्रा चल सँभालना = उ गर्टि, मोरि, मुई मौरि मोरि नीठ नीठि मीर गई, अचल ठीक करना । मरीर को अच्छी तरह ढकना । उ०-- दीठि दीठि सौं जोरि ।--विहारी र०, दो० २४२ । फुलवा बिनत डार डार गोपिन के मग कुमार चंद्रवदन चमकने अचल-सुज्ञा पुं० [सं० अञ्चल] १ घोतो, दुपट्टा आदि बिना सिले वृप मानु की ली । है है चचत्र कुमार अपनी अचन में भार हुए वस्त्रो के दोनो छोरो पर का भाग । पल्ला । छोर। उ० श्रावन वृजराज अाज विनन को ली।--(शब्द॰) । पिअर उपरना काखा सोती । दुई अचन्हि लगे मनि हो चुलपल्लू-सा पुं० [हिं० अचल + पल्ला] कहें कै एफ़ छोर पर मोति ।- मानस, १॥३२६ । २ साधुप्रो का औचला। ३. टैका हुम्रा चौडा ठप्पेदार पट्टा । स्त्रियों की साडी या मोनी की वह छोर या माग जो सामने आ चूसंज्ञा पुं॰ [देश॰] एक कटीली झाटी जिसमें शरीफे के प्रकार छाती पर रहता है । उ०-वह् मग मे रुक, मानो कुछ झुक के छोटे छोटे फल लगते हैं। इन फ7 में मीठे रस से भरे दाने | रहते हैं । अचल सँ मारती फेर नयन ।–ग्राम्या, पृ० १७ । मा जन--सज्ञा पुं० [स० अञ्जन] दे॰ 'अ'जन' । मुहा०-- अचल डालना= मुसलमान लोगों में विवाह की एक जना–क्रि० स० [सं० अञ्जन] अंजन रागाना । उ०-(क) ललना रीति । (जब दूल्हा दुलहिन के घर जाने लगता है, तब उसकी बहन दरवाजे से उसके सिर पर प्राचल डालकर उसे घर में गन जब जेहि प्ररहि धाइ । लोचन या जहि फगुआ। मनाई ।ले जाती हैं। इसका नेग वहन को मिलता है)। चल = तुलसी (शब्द०) । (ख) हीं अनूर ही जु अाजे मजे न्हाए दवाना=दूध पीना । स्तन मुह में डालना । जैसे,—वच्चे ने झाएँ, भूपन बनाए वीर वीरा खाए जानवी -गग ग्र०, पृ० आज दिन भर से आचल मुह मे नही दवाया। अचल देना = ३३ । २ विलन करना । जैसे, प्राजो मत, काम चटपट कर (१) बच्चे को दूध पिलाना (स्त्रि०) । जैसे, बच्चे को किसी के डालो। सामने अचले मत दिया करो --(२) विवाह की एक रीति । टि-सज्ञा पुं० [हिं० अ टी] १ हथेली में तर्जनी और अंगूठे के बीच (जब बारात वर के यहाँ से चलने लगती है, तब दूल्हे की का स्थान । माँ उसके ऊपर अचल डालती है और उसे काजल विशेष----इसमें कभी कभी जुआरी लोगे कोही छिपा लेते हैं। लगाती है । इस रीति को अचल देना कहते हैं । ) ३. २ दाँव । वश । उ०-~-नए विससि यहि लनि ना! दुरजन दुपहअचल से हवा करना (स्त्रि०)। जैसे—(क) दीए को सुमइि । अटै परि प्राननु हुरत कोर्ट जौं लगि पाइ ।अचल दे दो, व्यर्थ जल रहा है । (ख) थोडी चल दे दो विहारी र०, दो० ३११ ।। तो आग सुलग जाय । चल पडेना = अचल छू जाना । मुहा०. ट पर चढ़ना = देंव पर चढ़ना । उ०-जहा तक हो जैसे-देखो, बच्चे पर चले न पड़ जाय । (स्त्रिया बच्चे पर अट पर न चढो -चोटी०, पृ० १४४ । चल पहना बुरा समझती हैं और कहती हैं कि इससे बच्चो ३ वैर । लगिडद । ४ गिरह । गठ। जैसे-धोती की प्राट में की देह फूल जाती है)। अचल फाड़ना= बच्चे के जीने के रुपया रख लो ! ५ पूरा । गर । पॅच । लिये टोटका करना 1 (जिस स्त्री के बच्चे नही या वाझ होती यौ०-- ट साट । है, वह किसी बच्चेवाली स्त्री का मा चले घात पाकर कतर लेती अटना(५-क्रि० अ० [हिं० अटना] १ समाना। मेंटना । है और उसे जलाकर खा जाती है। स्त्रियों का विश्वास है कि अमाना। २. पूरा पड़ना। काफी होना । उ०—प्रेग नहि कह ऐसा करने से जिसका श्रा'चुल कुतरा जाता है. उसके बच्चे तो। पानी गहि वाटा । पिछलहि कहें नहिं का दू प्राट।।-जायमी मर जाते हैं और जो अचन कतरती हैं, उसके बच्चे जीने (शब्द॰) । ३. अनी 1 मिनन । उ०—(कोइ) फून पाव, लगते हैं) । आचल में वा धना=(१) हर समय साथ रखना । प्रतिक्षण पास रखना । जैसे,—वह किताब क्या हम अचल कोई पाती, जेहि के हाय जो अट !-जाय मी ग्रे०, पृ० ८२ । में चाँधे फिरते हैं, जो इस वक्त माँग रहे हो । (२) कपडे ४ पहुँचना । ३०-मच्छ छवई अहि गडि काटी । जहाँ के छोर मे इस अभिप्राय से गैठ देना कि उसे देखने से कमल तहँ हाथ न आटीं ।--जायसी (शब्द॰) । वक्त पर कोई बात याद आ जाय । जैसे,--तुम बहुत अ टी--सा स्त्री० [सं० अण्ड]१ लेवे तृण की ओट गट्ठा । पूना । भूलते हो, अचल में बँध रखो । अँचल में वात बाँधना= २ लहको के खे नने की गुल्नी । उ०—-दिगो जनाय वा सो (१) किसी कही हुई वात को अच्छी तरह स्मरण रखना । कभी ही स्वरूप वालके । गोविद स्वामी सग अटि दह वेन न भूलना । जैसे,—किसी के झगड़े मे पड ना बुरा है यह बात हालके -रघुराज० (६०) । ३ कुरी का एक पेंच अाचल मे व ध रखो। (२) दृढ़ निश्चय करना। पूरा विश्वास जिसमें विपक्ष की टांग में टाग अड़ाते हैं और उसे कमर पर रखना । जैसे,—इस बात को अंचल में वाँध रखो कि उन लीदकर गिराते और चित करते हैं । लोगों में अवश्य खटपट होगी। आचल में सात बातें बाघना = क्रि० प्र०--मारना ।। टोटका करना । जादू करना । अचल लेना=(१) किसी स्त्री ४. सूत का लच्छा । ५. धोती की गिरह । ४ । पुर। उ०--- की अपने यहूँ। आई हुई दूसरी स्त्री का आचल छूकर सरकार आपकी माटी निकसी नाही तो करज वहुत सिर लीन्हा । या अभिवादन करना । (२) किसी स्त्री का अपने से बड़ी स्त्री कदीर ग्र २, पृ० १० । की अचल से पैर छूना । पाव छूना । पाव पड़ना । जैसे ० प्र०—देना । सगाना ।