पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४६९

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श्रा खमिचौली पंख ४०२ अखें उसी ओर तो लगी हैं, पर वे कहीं अाते दिखाई नही से भी न देना = ध्यान भी न देना । तुच्छ समझना, जैसेदेते। उ०-पलक अाँखा तेहि मारग, लागी दुनहु राहि । उस से बातचीत करने की कौन कहे मैं तो उसे प्रो से भी कोच न सदेशी श्रावही, तेहिक संदेस कहाहि ।—जायसी न देवू । श्री शो से लगाकर राना = बहुत प्रिय करके 'राना। (शब्द०)। सो लगना = आँखो में लगना । ऊपर पड़ना । बहुत आदर-सरकार में माना। प्राणों से लगाना = प्यार ऊपर अना। शरीर पर वीत ना। उ०—झा रज रज लागे करना । प्रेम में लेना, जैसे- उसने अपनी प्रिया के पुत्र को मोरी अँखियनि रोग दोष जजाल ।-सूर०, १० । १३८ । प्रो से लगा लिया । आ हा होना = पर का होना । पहचान आँखा लगाना = (१) टकटकी वाँधकर देवाना। प्रीति होना । शिनान होना । जैसे,—तुम्हे छ । गी है कि लगानी। नेह जोडना । प्रा डा लगी =(१) जिसमे ग्रसा चीजो के दाम ही लगाना जानते हो। (२) नजर गड़ाना । लगी हो । प्रेमिका । (२) सुरै तिन । उइरी। प्राण लडना = इच्छा होना । चाह होना, जैसे,-- उग तमवीर पर हमारी (१)देखणा देखी होना । अखि मिनना। घूराघूरी होना । नजर बहुत दिनो मे आसा हैं । (३) ज्ञान होना। विवेक होना। बाजी होना । (२) प्रेम होना । प्रीति होना, जैसे,- अब तो उ०-देशो राम को कहि कैद किए किए हिये, इजिये अखें लह गई हैं, जो होना होगा सो होगा 1 आस लड़ाना = कृपान हनुमान जू दयाल हो। ताही मर्म फैलि गए चोटि कोटि असा मिलाना । घूरना । नजरबाजी करना । (लडको की यह कपि नए लौचे तनु चे चीर भयो यों विहान हो। मई तत्र एक खेल भी है जिसमे वे एक दूसरे को टकटकी वांवकर 1ो दुगु गागर वो चाडौँ, अब वही हमें रा मा चारों ताकते हैं। जिसकी पनक गिर जाती है, उसकी हार मानी धन मात्र हो ।।- प्रिय1० (शब्द०)।। जानी है)। सा ललचाना= देशाने की प्रवन इच्छा होना । झाँख--प्रज्ञा पुं० [न० अक्षि, प्रा० अविरा प० अव] ग्रा के प्राचार अखि लाल करना = अँा दिलाना । क्रोध की दृष्टि से दैमाना। वा छेद या चिह्न, जैसे,--(१)प्राजू के ऊपर के नदीत के क्रोध करना । अाँख वाला = (१) जिने असा हो। जो देख समान दागे । (२) वी गठ पर की टोठी जिनमें से पत्तियाँ सकता हो, जैसे,—भाई, हम अवै सही, तुम तो नावाने हो निती हैं । (३) अनन्नाग के ऊपर के चिह्न या दाग । देखकर चलो। (२) परमाथाला । पहचाननेवाला। जानकार । (४) मुई का छेद । । चतुर, जैसे,—तुम तो बान्ने हो तुम्हे कोई क्या ठगेगा। विडी--सद्मा १० [हिं० प्रा डा+दी (प्रत्य०) ] ग्रा । उ0-- (क) प्राण सामने न करना= सामने न ताकना । नजर न मिलना। * दृष्टि बराबर न करना (लज्जा और भय से प्राय ऐसा होता अडिय झई परी पथ निहारि निहारि, जीमहि ।' छान्ना है । ), जैसे-जव से उसने मेरी पुस्तक चुराई कभी था । परयो, राम पुकारि पुकारि --यवीर (शब्द०)। (') मुझे सामने न की । (२) सामने ताकने या वाद प्रतिवाद करने का पुकारे ताना मारे, भर अाएँ अविवाडिया' ।—ठडा०, पृ० ६० । साहस न करना । मुह पर बातचीत करने की हिम्मत न खफोडटिड्डा--सद्मा पुं० [ स० प्राक = मदार+हि० फोडना ] करना, जैसे,---'मला उसकी मजाल है कि असा मामने कर हरे रग का एक कीड़ा या फतिंगा जो प्राय मदार के पेट पर सके । अगि सामने न होना= लज्जा से दृष्टि वरावर न होना। | रहता श्री उमकी पत्तिया' झााता है । होता तो है यह शर्म से नजर न मिलना, जैसे,—उस दिन से फिर उसकी उँगली के ही बराबर, पर इसकी मूॐ वही नवी होती हैं । शाखा सामने न हुई । प्राणो सुख कलेजे ठढक = पूरी प्रसन्नता। अखिफोडटिड्डा--वि० [हिं० रा+फोड़+टिड्डा] कृतघ्न् । वेमुऐन खुशी । ( जब किसी बात को लोग प्रसन्नतापूर्वक स्वीकृत | रौवत । ईष्र्यालु। करते हैं तब यह वाक्य बोलते हैं ) । ग्राख सँकना=(१) दर्शन अखिफोडतोता-सा पुं० [हिं०] ६० 'श्रा वाफोडे टिड्डा' । उ0--- का सुखा उठाना । नेत्रनिद लेना । (२) सुदर रूप देना। किसलिये ल यो बचाते हो, मैं नहीं आ साफोड तोता हूँ !--- नज्जारा कृरना । उO-जरा अखें सेक आइए, मैरवी उड चोले०, पृ० ५०| रही होगी–रसीली नयनोवालियो ने फदा मार ।-- अखिफोरवा--संझा पुं० [हिं०] दे० 'साफोड टिड्डा'। ४०-ठफिसाना, शाo, १, पृ० ३। प्रा रा से आ ही मिलाना =(१) फोरवी ग्रेवाफोरवा को ग्रास सूद निगल जाता है ।-प्रेमसामने ताकना । दृष्टि बराबर करना । (२) नजर नडाना। घन०, भा॰ २, पृ० २१ ।। अखि से उतरना = नजरो से गिरना । दृष्टि में नीचा ठहरना, खमिचौनी--सक्षा नी० [हिं० प्रसा+मीच+प्रौनी(प्रत्य०) ] जैसे—वह अपनी इन्ही चालो से सवकी अखिो से उतर गया। दे० 'असिमिचौली। उ०-छाया की ग्रावामिचौनी मेघो का प्राखो से उतारना या उतार देना = (१) किसी वस्तु या व्यक्ति मतवालापन ।-यामा, पृ० १६ । को जान बूझकर भुला देना । (२) किसी वस्तु या व्यक्ति का खिमिचौली--सझा स्त्री० [हिं० हा +1मीच + औली प्रत्य० ] मूल्य कम कर देना 1 प्राणो से झल होना = नजर से गायब लडको का एक वैन । लडको द्वारा अलि भूदकर छिपने और होना । सामने से दूर होना। हों से काम करना = इशारो। साोजने का एक सोल । से काम निकालना । शो से कोई काम करना = बहुत प्रेम । विशेप--इम खोल में एक लड को किसी दूसरे लड़के की अछि। और भक्ति से कोई काम करना, जैसे,—तुम मुझे कोई काम मूदकर बैठता है। इस बीच और लड के छिप जाते हैं । बतला तो, मैं अणों में करने के लिये तैयार हैं। अाँखो से तब उनी लडके की को खोल दी जाती हैं और वह लडको को गिरना = नजरो से गिरना । दृष्टि में तुच्छ ठहरना, जैसे,-- छूने के लिये तृढता फिरता है। जिस लडके को वह छू पाता अपनी इसी चाल से तुम सब की अखिो से गिर गए । असा है, वह चोर हो जाता है। यदि वह किसी लड़के को नही छू 10 ठिावदार+हि° पर