पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४६७

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पंख अखि कोई ऐसा काम करना, जिसमें देर तक दृष्टि गडानी पडे, जैसे लिख ना पढ़ना, सीना, पिरोना, जैसे-(क) घटो वैठकर श्रीखें फोडी हैं, तव इतना सोया गया है (ख) घटो चूल्हे के आगे वैठकर श्राखे फोडी हैं तब रसोई बनी है । अखि फोरना = दे० ‘ख फोड ना' । उ० -सुरपति मुत जाने वल थोरा। राख। जियन अखि गहि फोरा |--मानस, ३ । ३५ । श्रख बद करके कोई काम करना, अाँख मूद कर कोई काम करना = (१)बिना पूछे पाछे कोई काम करना । विना जाच परताल किए कोई काम करना । विना कुछ सोचे विचारे कोई काम करना। बिना अागा पीछा किए कोई काम करना, जैसे(क) अख मूद कर दवा पी जाग्रो । (ख) जितना रुपया वे मागते गए हम उन को माख वद कर के देते गए । (२) दुसरी बातो की अोर ध्यान न देकर अपना काम करना। और वातो की परवाह न करके अपना नियत कर्तव्य करना । किमी के कुछ कहने-सुनने की परवाह न करके अपना काम करना, जैसे,—तुम अाख मूदकर अपना काम किए च नो, लोगो को वकने दो। अब बंद होना = (१) श्राख झपकना। पत्रक गिरना, जैसे-कहो तो वह पांच मिनट तक ताकता रह जाम, अब वद न करे । (२) मृत्यु होनी । मरण होना, जैसे,—जिम दिन इपके बाप की शा में वेद होगी, पह अन्न को तर मेगा । अाँख बचाकर कोई काम करना = इम रीति में कोई काम करना कि दूसरे ने देख पाएँ । छिपाकर कोई काम करना, जैसे,-बुराई भी करते तो जरा व बचाकर। अखि बचाना = नजर बचाना। सामना न करना। कतराना, जैसे,—रुपया लेने को ले किया, अव प्रय बचाते फिरते हो । अखि वचे का चाँटा = लड़को का एक खेल जिस में यह बाजी न गती है कि जिसे असावधान देखें, उसे चाटा लगावें । अखि वदल जाना = पहले की सी कृपादृष्टि या स्ने दृष्टि न रह जाना । पहले का सा व्यवहार न रह जाना नजर बद न जाना । मिजाज वदन जाना । बतव मे रूखापन अा जाना, जैसे,—(क) अव उनकी अखे वदल गई है, क्यो हम लोगो की कोई बात सुनगे ।-() गाँ निकन्न भई, अख बदल गई ।-(शब्द०) । (२) प्राकृति पर क्रोध दिखाई देना । क्रोध की दृष्टि होना । रिस चढ़ना, जैसे,—योडे ही में उनकी अखें बदल जाती हैं । अन्न बनवाना == ख का जाला कंटवारा = अाख का माडा निकनवाना । अाख की चिकित्सा करना, जैसे,—जरा अखं वनवा अाम्रो तो कपडा खरीदना । श्रख वरावर करना=(१) अख मि नाना। सामने ताकना, जैसे,—वह चोर लड़का अब मिनने पर ग्राख वरावर नहीं करता । (२) मुह पर बातचीत करना। सामने डटकर बातचीत करना । ढिठाई करना, जैसे,—उसकी क्या हिम्मत है कि ग्राख बरावर कर सके । श्रच बराबर हो :: दृष्टि सामने होना । नजर से नजर मिनाना, जैसे,--जयमे उसने वह खोटा काम किया तवसे मि तने पर कभी उम की अध बरावर नही होनी । अब बहना=(१) ग्रामू वहाना । (२) प्रख की वीनाई या रोशनी जाती रहना । अ हा बहाना= असू बहाना। रोना । अव बिगड़ना=(१)दृष्टि कम होना। नेत्र की ज्योति पटना । अाख मे पानी उतरना या जाना इत्यादि पड़ना । (२) व उनटन। अव पथना , जैसे, उनकी असो बिगड़ गई हैं और वो भी भी धर हो गई हैं । शाखें विछf= मैन्य स्वागत-गरकार होना 1 अन्य विद्याना= प्रेम में स्वागत करना, जगे,- यदि मेरे घर पर उनरे, तो मैं अपनी । विछाऊँ । (२) प्रेमी के प्रतीक्षा करना । वटि जोहनी 1 टकटकी वाँधकर राह देखना, जैसे,---हम तो केव से प्रति बिछाए बैठे हैं, वे ग्रावें नो । अन्न वैठना = (१) व का भीतर यी शो! बैंप जाना । चोट या रोग में अब का हे गड जाना (२) र फूटना । श्रथ भर श्रानी = व्र में शामू अना। शाँख भर देना = यू 7 अच्छी तरह देना । तृप्त हो कर देना । ग्रघा कर देना । इच्छा मर देखना । उ०-~-गाजू परै यहि नाज पै । अवि भरि देवन हैं नहिं पाई ।-(शब्द०), जैसे,—नि ह वै यहा आ जाते, हम उन्हे में मर देना तो लेने। श्रस भर लाना = ग्रामू भर लोना । श्रा। डाइनाना । रोजमा हो जाना । प्रांत भी ठेट्टी फरना = ग्रा6 दिशाना । क्रोध की दृष्टि में देना। तेवर बदलना, जैसे,--हमपर क्या अँ। गौं टेढी रने हो, जिगने तुम्हारी चीज ली हो उसके पास जाम्रो । अब मचकावा = (१) ग्राम छौ जना प्रौर फिर वद करना । पनको को मिकोड: कर गिराना । (२) इमार। करना। मैन मारना, जैम, तुमने ब्रा , मनका दी, इमी में वह भइक गया। आज मलना = सोकर उठने पर ग्रामों को जल्दी बनने के लिये हाथ में धीरे धीरे राइना, जैमें,-इतना दिन चढ़ गया, तुम प्रभ चारपाई पर बैठे मा गलत हो । अनि मारना = (१) इशारा करना । सनकारना । पनक मारना । । मट कान(२) उँगा से निषेध करना। इशारे में मना करना, जीमे,-हू तो कृपये दे रह। था, पर उन्होंने ग्राछा मार दी। ग्रॉन मिलना = माक्षात्कार होना । देवा देरी होना । मजर ने न जुरे मिलना। अाँख मिलाना = (१) ग्रा’ मामने करना । परावर तकनी । नजर मिनाना । (२) मामने आना । म मुना होना । मुह दिखाना, जैसे,-एब इतनी बेईमानी करके वह हममे क्या अावा मिनावेगा । अनि मदना = ग्राम वद होना । अखि में दना =(१) अन वद करना। निक गिराना । (२) मरना, जैसे- सत्र कुछ उनके दम तक है, जिप दिन वे असा मृदेंगे, सब जहाँ का तह हो जायगा । (३) ध्यान न देना, जैसे,—उन्हे जो जी में ग्रावे करने दो, तुम अाठी मूद लो, उ०--मूदै शनि कतई को। नाहीं । —मानस, १॥२८० ! अखिो मे = दृष्टि में । T जर मे । पर वो में । अनुमान में, जैसे,—(क) हमारी प्राशो में तो इस का दाम अधिक है । (ख) हमारी ग्राम पे यह जैव गई है। अति मे ग्राम डालना = (१) "छा में जा मि जाना। वरावर ताकना । (२) ढिाई में वह , जै,-ठा ग्रा6 में ग्राहक डालता है, अपना काम नही देता । श्रख में काजल घुलना = को जन का माख में लगना । आखो मे खटकनाने जरों में बुरा लगना । अच्छा न लगना, जैसे--उनका रहना हमारी मा भे टक रहा है। प्राखो मैं खून उतरना = क्रोध से अछा नान्न होना। रिस चढ़ना । अलि में गडना = (१) आप में बना । बुरा लगना । (२) मन