पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 1).pdf/४६५

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अखि चढ़ना = नशे, नीद या सिर की पीड़ा में पराको का तन जाना और नियमित रूप से न गिरना । अब फा नाले होना, जैसे--- देखते नही इसकी अखे चढ़ी हुई हैं और मुहै से में धी बात नहीं निकलती । अखि चमकाना= अपो में तरह तरह वे इशारे व र ना। प्रख की पुतली इधर उधर घुमाना । “ख मकान।। श्रख चरने जानी = हटि । जति रहना, जैसे--तम्हारी ग्राख वया चरने गई थी जो माने मे चीज उठ गई । अखि चार करना, चार अखें फरसा = देवादे करना । सामने ग्राना । जैसे,—जिस दिन से मैने खरी गरी सुनाई, वे मुझसे चार अँखें नहीं करते। अखें चार होना, चार अप होना = (१) देवदेव करना । सामना होना । एक दूसरे के दर्शन होना, जसे,--माख चार होते ही वे एक दूसरे पर मरने लगे । (२) विद्या का होना, जैसे,--हम तो अपट्ट हैं, पर तम्हे तो चार अखें है, तुम ऐनी भूल क्यों करते हो । चोर चोर फर देख = दे० 'मासे फाड फाइ कर देना' । त चुरान = नजर बचाना। कतराना । मामने न होना । जैसे--दिन से रुपया ले गया है, अखि चरता फिरता है । (२) लज्जा ने वरवर न ताकना । दृष्टि नीची करना (३) प्रा करना । ध्यान न देना, जैसे- अब वे वडे अादमी हो गए हैं, अपने पुराने मित्रो से अखि चुराते है । प्राय चुराकर कुछ करना = छिपकर कोई म करना । भाग्य चुके ।। = नजर चूकना । दृष्टि हुट जाना 1 अगावधान होना, जनै,-'गचुकी किं माले यारो का । अखि छन से लगना = (१) में ऊपर पी चन।। अँखि टैगना । स्नब्ध होना । ग्रे या एकदम गुनी रहना । ( यह मरने के पूर्व की अवस्था है।) (२) टपटप वैधना । अव छिपाना = (१) नजर बचाना । तराना । टानमटूल करना । (२) लज्जा से बरावर न तामना । दृटि नीची करना । (३) कलाई करना। वेमुवती पर।। ध्यान न देना । अाखा जमना = नजर ठहरना। दृष्टि के स्थिर रहना, जैम,-7हिया इतनी ज़रुदी जल्दी घूमता है कि उपर प्रानही जमती । अनि झपकना (१) अदा वद होना । पलफ गिरना । (२) नीद आना । झपकी लगना, जैसे,—अँ। झपकी ही थी कि तुमने जगा दिया। अहा झपकाना = को मारन । पर। करना। प्रो सँपना = दृष्टि नीची होना नउज मालूम होना, जैसे,—सामने आते ही अँ।। ॐगती है। अत टॅगना = (१) अॅासा ऊपर फो चढ जाना । ।दी का पूत भी का स्तब्ध होना। श्राम का एक दम खुन्२हुना (यह मरने का पूर्वलक्षण है)। (२) टकटकी बंधन, जैसे,—तुम्हारे मिरे में हमारी में टॅगी रह गई, पर तुम न अाए । १ टेदी करना =(१) भौं टेढी करना । रोप दिसाना । (२) ग्रंखें बदलना । । ई वरना । बेमुर्गव Tी करना । अँखें ठढी होना = तृप्ति होन ।। सतोप होना । मन भरना । इच्छी पूरी होना, जैसे,—व तो उसने मार राई, तुम्हारी आँखें उठी हुई ? शाखें डबवाना = (1) (क्रि० प्र०) अमो में अमू भर आना। में मो मे अॅना ग्राना, जैसे,—यह सुनते ही उसकी को डबईवी चाई । (२) क्रि० स०) अॅामा में ग्राम लनि । 'म भरना, जैसे,—वह ग्रामो डबडवाकर बोला । अॅामा डा नना = दृष्टि डासना । देसाना । ध्यान देना । चाह करना । इच्छा करना, जैसे--- गम 'नोग पर व पु में 17 नई। ११ । प्र र दूर पर ना = पनि । गनि ठीक न ?ना । 'पा का तिनभिजन। जरी,--- दिनों के उगन में उगी में ६ र १२ र २३ । प्रां में तरमन - १ नये प्रारुन 7।। दर्शन है जिसे ?।। होना, जैग:--12 21ने के लिये । तर ग गई। में तरेरना= को 7 में निकाप फर देना । ध । इन्टि r: । ३०-उनि 'नगिन विम बार नयन त में --, १० । र तले न धरना = = १ ग ३ ना 1 उ०-- ३ िनव बानक दोङ। अब त । न । १६ 75 -rrन, १२ १३ ।। । तसे न ना = नमुना । नमन!, जैम, उ नि । । प्र', नी ।। ३ । १ ज 3 । बात नागा : अ र याता= मि ।। 7 याना; जैर, (क) १' 'T 7 77 वर्ग २ । । । प्रने माग की र घृ7 प न ६ नुन * +: । पत्र दि = क; में ये नि न देनः । ऋोध की दृष्टि ने । जता । ३० -(क) ज्ञान प्र म विश्वर अन्।ि 77 हैट !---माने में, 3॥६९ । ( ३ ) मुनि मद भृगुन!ि प्र} । .? *१f 7 नि ! fir | |--- मान, १२९३ । (ग) ना?" [ज के बै; - यो दिशावत पनि।--गुन ग्र०, १ ११५ । । दाई में रिना = १० 'पैंय ना नै न।' । । दुगना = अँ7 में पीडा होना । अन् देने = (१) प्रौ। के गामने । देने हुए । जानबूझकर, ,- (क) में देते है। हम ग्गा अन्याय नहीं होने देंगे ।-3) | देने में नही निग जाती । (:) दयाने देते। ३ fनी में, मै– देते इतना चटा गर तिर गइ । प्राय देगा = 71 से देश हो । प्रपना ।। 30-जन में प? मन में हैं । 7 देय नगर - ( पन, १ ज ३ । ), जैसे,—हू तो हमारी में।यो । ३त हैं। प्रत दौड़ाना = नजर दौड़ना । ठ पमान।। नारी र दुटि फेरना। इधर उधर ६7 ना, जैगे,-मैंने इधर उधर बात प्रौटाई पर कुछ 7 है । #रा न उठना = (१) नजा में दृष्टि नीची रहना । (२) मान ने १३ रह ।।। (३) दे० ' िन प्रान।। ।३ । इटार =(१। नगर न उठाना । मामने न पैसना । वरपर 7 तक 7। (२) जा मे दृष्टि नीनी फिर रहुना (३) ३) जाम ३ वरपर नगे रहना, जगे,—वह मुथैरे में जो गाने पै तो दिन भर घ7 7 उठाई। रा न सना = (१) व उद उनी । (२) सुम्त पदा रहना । धन्ध रहना। फिर रहना, जैसे,—प्राज चार दिन हुए उच्नै 'प्रय न वो। वादन । प्राय न नना = चादन का धिरना । प्रा रश क! उदिलो से ढा रहना । मैह की रा ने गोलना = पानी में न यमना । चप में न रच न । अरू न ठहरना चमक या द्रुत गति के कारण दृष्टि न जमना । जैसे,-(ना) वह ऐसा मड़फोला कपडा है कि ग्राख न ठहरती । (च) पहिया इननी तेजी से घूमती था कि उसपर वे नहीं ठहरती थी । श्राहा न पसीजन पख में आँसू न माना । (एक) अखि न भाना = बिलकुन